बढ़ते वन्य जीव अपराधों से राज्य सरकार चिंतित : डॉ. रावत
- वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के कार्यालय के लिए कवायद
देहरादून : वन्यजीव सुरक्षा के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील उत्तराखंड में बढ़ते वन्यजीव अपराधों को देखते हुए प्रदेश में वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) की शाखा खुलवाने के लिए सूबे के वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने केंद्र सरकार से मदद मांगी है। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने अनुसार उनकी इस विषय पर केंद्री वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात भी हो चुकी है और राज्य के इस प्रस्ताव पर केन्द्रीय मंत्री ने सकारात्मक निर्णय देने पर हामी भरी है और है कि मंत्रालय जल्द ही वह इस पर निर्णय लेगा। राज्य सरकार की इस पहल के परवान चढ़ने पर न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि उत्तर प्रदेश, हिमाचल समेत अन्य राज्यों को भी लाभ मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के छह नेशनल पार्क, सात अभयारण्य और चार कंजर्वेशन रिजर्व (संरक्षण आरक्षिति) वाले उत्तराखंड की वन्यजीव विविधता भी कम बेजोड़ नहीं है। हालांकि, इन संरक्षित क्षेत्रों में वन्यजीवों के संरक्षण के साथ ही इनकी सुरक्षा के लिए कदम भी उठाए गए हैं, लेकिन राज्य में सक्रिय शिकारियों- तस्करों के जाल को तोड़ने में महकमा अब तक नाकाम ही रहा है। खासकर कुख्यात बावरिया गिरोहों ने सूबे के वन विभाग सहित पुलिस की नाक में दम किया हुआ है, जिनके निशाने पर कार्बेट से लेकर राजाजी नेशनल पार्क के बाघ, गुलदार व हाथी रहे हैं।
अभी तक संरक्षित क्षेत्रों में शिकार की अधिकांश घटनाओं में बावरिया गिरोहों की संलिप्तता की ही बातें सामने आती रही हैं। कई मौकों पर यह भी साबित हुआ है कि इन गिरोहों के तार देश की सीमा पार बैठे माफिया गिरोहों से जुड़े हैं। यही नहीं, इन गिरोहों ने अब उच्च हिमालयी क्षेत्रों पर भी गिद्धदृष्टि गड़ा दी है। सीमांत जनपदों में समय-समय पर होने वाली वन्यजीव अंगों की बरामदगी इस बात की तस्दीक करती है।
राज्य में बढ़ते वन्य अपराधों को देखते हुए राज्य सरकार चिंता में है। यही कारण है कि अब राज्य सरकार और वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत खुद प्रदेश में डब्ल्यूसीसीबी की ब्रांच खुलवाने के लिए सक्रिय रूप से आगे आये हैं । सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के अनुसार हाल में दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात के दौरान उन्होंने यह प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में डब्ल्यूसीसीबी का उत्तर क्षेत्र कार्यालय उत्तराखंड को भी देखता है, लेकिन उस पर कई राज्यों की जिम्मेदारी है। जबकि वन्यजीव सुरक्षा के लिहाज से उत्तराखंड ज्यादा संवेदनशील है इसलिए यहाँ स्वतंत्र कार्यालय होना चाहिए साथ ही उन्होंने कहा इस कार्यालय के यहाँ स्थापित होने से सूबे के पडोसी राज्यों को भी इसके साथ जोड़ा जा सकेगा इससे सूबे सहित पडोसी राज्यों के वन्य जीव अपराधों पर और करीब से नज़र रखी जा सकेगी।