भीख मांगने और भीख देने पर सरकार ने लगायी रोक

भीख देने वालों पर भी दंड देने का प्रावधान
धार्मिक स्थलों पर किसी को भी भिक्षावृत्ति की अनुमति नहीं
कार चमकाने के लिए भी पैसा देना भी गैरकानूनी
देहरादून । प्रदेश की छवि राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के समक्ष ख़राब न हो इसलिए राज्य शासन ने प्रदेश में छोटे बच्चों को भीख देने पर रोक लगा दी है। इसके तहत इन्हें भीख देने वालों को भी दंड देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा धार्मिक स्थलों के आसपास भिक्षावृत्ति पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है। इन स्थानों पर किसी को भी भिक्षा देना अपराध की श्रेणी में आएगा।
इसका उल्लंघन करने वालों को आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है। यदि कोई दान देना ही चाहता है तो वह इनके लिए भंडारा अथवा इन्हें के निवास स्थान पर भोजन करा सकता है। शासन की ओर से सभी जिलाधिकारियों को इस आदेश का सख्ती से अनुपालन कराने के निर्देश दिए गए हैं।
गौरतलब हो कि उत्तराखंड हाईकोर्ट की ओर से बीते वर्ष दिसंबर में सभी पूजा स्थलों पर भिक्षावृत्ति पर रोक लगाई गई थी। यह रोक हरिद्वार में पहले से ही लागू है। यह बात अलग है कि हरिद्वार में सबसे अधिक भिक्षावृत्ति होती है। इस पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है। अब शासन ने हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुपालन के क्रम में सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इस पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि धार्मिक स्थलों पर किसी को भी भिक्षावृत्ति की अनुमति नहीं होगी। छोटे बच्चों को भिक्षा देना गंभीर अपराध की श्रेणी में आएगा। इतना ही नहीं, यदि कोई इन बच्चों को भिक्षा के लिए जबरदस्ती कराएगा तो उसे भी आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। यहां तक कि बच्चों को चौराहों अथवा अन्य किसी स्थान पर समान बेचना, जूता पॉलिश करना अथवा कार चमकाने के लिए भी पैसा देना गैरकानूनी होगा। यदि ऐसा करता कोई बच्चा पकड़ा गया, तो उसके लिए उसके अभिभावकों को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
शासन ने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी को दान दक्षिणा देनी ही है तो वह चैराहे व मंदिरों में न देकर इनके निवास स्थान पर जाकर दें। इसके अलावा बच्चों की बंधुआ मजदूरी व अन्य प्रकार की मजदूरी पर भी रोक लगाई गई है। उक्त निर्देशों का पालन करने के लिए चाइल्ड लाइन, श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग व पुलिस की एक संयुक्त टीम बनाने के निर्देश दिए हैं। ये टीमें जगह-जगह जांच अभियान चलाएंगी। इसके अलावा शिकायतों पर भी यही टीमें कार्यवाही करेंगी। राज्य शासन ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित कर दिया है।