नैनीताल : हाई कोर्ट ने राज्य सरकार व शिक्षा मित्रों की ओर से दायर विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए अगली तिथि मंगलवार 13 दिसंबर को नियत कर दी है। टीईटी पास अभ्यर्थी ललित कुमार व अन्य ने याचिका दायर कर कहा था कि पांच मार्च 2014 को उत्तराखंड प्रारंभिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली की धारा-32 में संशोधन किया गया।
इस नियमावली में कहा गया कि शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजन में शिक्षक पात्रता परीक्षा जरूरी नहीं है। याचीकर्ता का कहना था कि शिक्षा मित्रों के लिए भी टीईटी अनिवार्य है। इसलिए इस संशोधित नियमावली को निरस्त किया जाए। पिछले दिनों एकल पीठ ने मामले को सुनने के बाद इस संशोधन को निरस्त कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार व शिक्षा मित्रों ने विशेष अपील के जरिये चुनौती दी। इसमें कहा गया है कि नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन विशेषज्ञ संस्था है। एनसीटीई के साथ ही केंद्र सरकार से अनुमति लेने के बाद ही उत्तराखंड की विषम परिस्थितियों को देखते हुए नियमावली में संशोधन किया गया है। जो नियमानुसार होने के साथ ही कानूनी रूप से सही है।
अपील में कहा गया है कि एनसीटीई से अनुमति मिलने के बाद ही शिक्षा मित्रों को डीएलएड व बीटीसी की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। ऐसे शिक्षा मित्र 2001 से लगातार दूरस्थ क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और प्रदेश सरकार उन्हें सहायक अध्यापक के रूप में अस्थायी नियुक्ति दे चुकी है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसेफ व न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने विशेष अपील को सुनने के बाद अगली सुनवाई मंगलवार के लिए नियत की है। बता दें कि सरकार ने 3652 शिक्षा मित्रों की नियुक्ति सहायक अध्यापक के तौर पर की है।