भारतीय सेना सहित आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार पर ही सवाल उठाने पर आमादा कुछ ख़बरिया चैनल
आपदा के दौरान अपनों को खो चुके लोगों में बढ़ते समय के साथ -साथ सरकार के खिलाफ आक्रोश होना स्वाभाविक
लेकिन ऐसे परिवारों को ऐसे समय में सांत्वना देने और उनके घावों पर मरहम लगाने के बजाय उन्हें कुरेदना कहां तक उचित
राजेंद्र जोशी
सात फरवरी को जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में आयी आपदा के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनकी सरकार ने जो तत्परता से स्वयं मौके पर रहकर कार्य किया। यह सर्वविदित है, मुख्यमंत्री की कार्यशैली की जहां हर कोई प्रशंसा कर रहा है तो वहीं कुछ ख़बरिया चैनलों द्वारा बीते सात दिनों से दिन रात अपनी जान को खतरे में डाल आपदा में फंसी एक-एक जान बचाने की कवायद में लगे बलों के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्टिंग कर राहत कार्यों में लगे बलों का मनोबल तोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं ।
यह बात तब है जब एक तरफ महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री कोश्यारी और विपक्षी दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तक सीएम के कार्यों की प्रशंसा कर चुके हैं, हालांकि उन्होंने आपदा राहत व बचाव कार्यों में कुछ सुझाव भी दिए हैं। वहीं यह बात भी दीगर है कि आपदा के दौरान अपनों को खो चुके लोगों में बढ़ते समय के साथ -साथ सरकार के खिलाफ आक्रोश होना स्वाभाविक है लेकिन ऐसे परिवारों को ऐसे समय में सांत्वना देने और उनके घावों पर मरहम लगाने के बजाय उन्हें कुरेदना कहां तक उचित कहा जा सकता है।
वहीं दूसरी तरफ कुछ खबरिया चैनल बीते सात दिनों से दिन रात एक किए हुए भारतीय सेना सहित आईटीबीपी, एनडीआरऍफ़ , एसडीआरएफ सहित जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार पर ही सवाल उठाने पर आमादा हैं , जिससे यह साफ़ प्रतीत होता है कि ये लोग पूर्वाग्रहों से ग्रसित हैं और जानबूझकर नकारात्मक रिपोर्टिंग कर रहे हैं। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि ऐसे ख़बरिया चैनल रात के अँधेरे में ग्रामीणों को भी बरगलाकर फौज और शासन के खिलाफ माहौल बना रहे हैं। कुछ स्थानीय लोगों का कहना है ऐसे ख़बरिया चैनल टनल के भीतर तक घुसकर नकारात्मक रिपोर्टिंग कर सेना और अर्धसैनिक बलों सहित एनडीआरऍफ़, एसडीआरएफ का मनोबल तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की काम करने की शैली को प्रदेश की जनता भलीभांति परिचित है। मुख्यमंत्री की सक्रियता के चलते आपदा के दौरान प्रशासन हरकत में आया और यही कारण है राज्य में केदारनाथ की जैसी जनहानि देखने को नहीं मिली और उनकी तत्परता से जनहानि तो जरूर कम हुई है। सरकार की मुस्तैदी से जहां श्रीनगर बैराज पर चौकसी और अतिरिक्त पानी को ऊपर से आने वाले सैलाब से पहले ही काम कर देने और टिहरी बाँध से भागीरथी के पानी को बंद करने से टिहरी जिले के निचले क्षेत्र मुनिकीरेती, ऋषिकेश और हरिद्वार के अलावा उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्र सुरक्षित रहा। वहीँ हालातों पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार का केंद्र सरकार व गृहमंत्री अमित शाह के संपर्क साध आपदा प्रबंधन टीम एनडीआरएफ को बुलवाना और रेस्क्यू अभियान के जरिए जितने को लोगों को सुरक्षित निकाला जा सका और निकाला भी गया। आपदा के दौरान मुख्यमंत्री की सक्रियता और जनता के धैर्य की केंद्र सरकार भी प्रशंसा कर रहे हैं।
महाराष्ट्र गर्वनर कोश्यारी भी कर चुके प्रशंसा
महाराष्ट्र के राज्यपाल व पूर्व सीएम व पूर्व सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने भी सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर उनके कार्यों की प्रशंसा की है। मुलाकात में आपदा पर चर्चा के दौरान सीएम रावत ने बताया कि आपदा में सड़क संपर्क टूटने से सीमांत क्षेत्र के 13 गांवों के 360 परिवार प्रभावित हुए हैं। सड़क संपर्क से कटे इन गांवों में हैली से राशन किट, मेडिकल टीम सहित रोजमर्रा का सामन लगातार भेजा जा रहा है। गांवों मे फंसे लोगों को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री भेजी जा रही हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में भूकंप सेंसर लगाने का निर्णय लिया है। राज्य में अलग-अलग स्थानों पर ऐसे 15 सेंसर लगाए जाने हैं। यह सेंसर आईआईटी रुड़की के सहयोग से लगाए जाएंगे। भूकंप पूर्व चेतावनी तंत्र के संचालन पर होने वाले व्यय के लिए राज्य सरकार ने 45 लाख की राशि जारी करने पर मंजूरी भी दी है। आपदा पर राज्य सरकार की तमाम तैयारियों, राहत व बचाव कार्यों को जानने के बाद राज्यपाल कोश्यारी ने त्रिवेंद्र सरकार की प्रशंसा की है।
त्रिवेंद की त्वरित कार्यवाही से नियंत्रण में आई स्थितिः हरीश रावत
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भेंट कर आपदा बचाव व राहत कार्यों पर बात की। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं। एनटीपीसी की सुरंग में मलवा अधिक भरने की वजह से उसे हटाने में समय अधिक लग रहा है। राहत एवं बचाव कार्यों में और तेजी आ सके इसके लिए अलग-अलग फोर्स एवं अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी गई है। केन्द्र सरकार का भी इस आपदा में बचाव एवं राहत कार्यों में राज्य को पूरा सहयोग मिल रहा है। जवानों द्वारा जोखिम में कार्य कर समय पर पहुंचकर स्थिति को संभाला। गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भी राहत कार्यों की निरंतर समीक्षा की जा रही है।
इस पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रैणी क्षेत्र में आपदा के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के द्वारा राहत एवं बचाव कार्यों के लिए किये गये प्रयासों की सराहना की और कहा कि जिस तेजी से मुख्यमंत्री ने सभी सबंधित राहत दलों एवं विभागों को त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिये उससे स्थिति काफी हद तक नियंत्रित हुई है। आपदा पीड़ितों को भी आवश्यक सहायता समय पर उपलब्ध कराने के लिए भी उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रयासों को सराहा। आपदा की सूचना प्राप्त होते ही मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने इस आपदा में पीड़ितों को मदद करने के लिए शासन, जिला प्रशासन एवं एसडीआरएफ के साथ आर्मी, आईटीबीपी एवं एनडीआरएफ की टीमों के प्रयासों की भी सराहना की। राहत एवं बचाव कार्यों की लिए जल्द ही प्रभावित क्षेत्रों में इन बचाव दलों के पहुंचने से लोगों को राहत भी मिली है। उन्होंने का कि आपदाओं में त्वरित कार्यवाही से समाज में अच्छा प्रभाव पड़ता है। संकट के इस समय सभी लोग सरकार के साथ हैं। पूर्व सीएम ने सीएम को सुझाव देते हुए कहा कि आपदा के कारणों की तह तक जाना भी जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटना दुबारा न हो। राज्य की विभिन्न परियोजनाओं का सेफ्टी ऑडिट करने का भी उन्होंने सुझाव दिया।