वाजपेयी और बहुगुणा जैसे राजनेताओं की इस मैदान पर हुई हैं जनसभाएं
देवभूमि मीडिया
श्रीनगर रामलीला मैदान जहाँ कभी एच एन बहुगुणा, अटलबिहारी वाजपेयी और जैसे दिग्गज नेताओं की जनसभाएं हुआ करती थी आजकल वह रामलीला के लिए तैयार हो रहा है। यह मैदान श्रीनगर गढ़वाल की ऐतिहासिक रामलीला सहित जनसभाओं और मेलो के लिए चर्चित रहा है। यह रामलीला मैदान शहर की गतिविधियों का एक केंद्र रहा है। अब इस बार रामलीला मैदान को रमालीला के लिए समतल किया जा रहा है। इससे मैदान की सुंदरता बढेगी और रामलीला के मंचन को बडी संख्या में देख सकेंगे। मैदान का समतलीकरण जेबीसी और रोलर के जरिए किया जा रहा है।
श्रीनगर की रामलीला राज्य की ऐतिहासिक रामलीलाओं में है। गायन संगीत शैली में यह रामलीला विधिवत खेली जाती रही है। कभी इसमें अवरोध नहीं आया। एक समय टीवी के कार्यक्रम और रामायण को दिखाए जाने के बाद रामलीला मंचन की विधा में लोगों का रुझान कम होने लगा था। लेकिन पिछले कुछ समय से यहां रामलीला के कलाकारों , शहर के संस्कृतकर्मियों कलाप्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के चलते फिर से रामलीला का उत्साह बढा है। कुछ समय समय पर यहां की रामलीला को बेहतर आकर्षक बनाने का प्रयास किया गया। परंपरागत रामलीला में बहुत छेडछाड नहीं की गई लेकिन कुछ गीत और प्रसंगों को हटाकर उसे बेहतर ढंग से संयोजित किया गया है। दस दिन चलने वाली रामलीला में अब महिलाएं भी अपनी भूमिका में होती है। महिला पात्र को रामलीला के मंच पर उतारने की पहल पौडी से शुरू हुई और फिर श्रीनगर में भी महिलाओं ने खासा रुझान दिखाया। रामलीला के मंचन के लिए युवाओं की भागेदारी भी तेजी से बढी है। अलग अलग दिवसों पर शहर में झांकियां भी निकाली जाती है।
रामलीला के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु अग्रवाल के नेतृत्व में इसका संचालन किया जा रहा है। इससे पहले सुधीर उनियाल ने रामलीला को बेहतर बनाने के लिए प्रयास किया। ररामलीला के मचन को लेकर खासकर युवा कलाकारों में काफी उत्साह है। इसका संगीत निर्देशन वीरेंद्र रतूडी कर रहे हैं। शिवलाल. विजय मोहन उनियाल, अरुण कुमार बडोनी रामलीला आदि तमाम कलाकार इसे रामलीला के मंचन को भ्वय साकार रूप देने के प्रयास में लगे हैं। लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि वह रामलीला के मंचन में आकर कलाकारों का उतसाह बढाएं। साथ ही इन दिनों रामलीला की तालीम जोरशोर से चल रही है। किसी समय यहां की रामलीला में गोविंद जोशी, भास्करा नंद मैठानी, उमाशंकर, थपलियाल श्री उनियाल रामेश्वर भट्ट, ओम प्रकाश नौटियाल भगवती प्रसाद थपलियाल, वाचस्पति उनियाल, रुडोला नरोत्तम जोशी आदि की प्रभावी भूमिका होती थी । अब नए समय में संस्कृति कर्मी और रामलीला के पुराने कलाकार इस मंचन को नया रूप दे रहे हैं।