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शारदीय नवरात्र धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक

 

शारदीय नवरात्रि को धर्म की अधर्म और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा अपने मायके धरती पर अवतरित होती है। धरती पर उनके अवतरित होने की खुशी में भक्तगण इन दिनों को दुर्गा उत्सव के रुप में मनाते हैं।….

नवरात्रि सनातनी हिंदू धर्म में मां दुर्गा की उपासना का पर्व है। नवरात्रि संस्कृत का शब्द है,जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, आदिशक्ति / महाकाली, महासरस्वती,महागौरी के श्रृंगार युक्त देवी के नौ रूपों की पूजा की होती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा के कारण हम आदिशक्ति को नवदुर्गा भी कहते हैं। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हरने वाली नवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत वर्ष में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र ने इसी शारदीय नवरात्रि में स्वेतु बंद रामेश्वर के समुद्र तट पर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा कर दशवें दिन वानर सेना के साथ रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए लंका की ओर प्रस्थान किया।

आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग रुपों में पूजा की होती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ हर भक्त प्रदान करने वाली हैं। मां दुर्गा कमल पर विराजमान है तथा इनका वाहन सिंह है। नवरात्रि के नौवें दिन भक्तगणों द्वारा इनकी उपासना की जाती है।

नवदुर्गा के दस महाविद्याओं में काली ही प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य,दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं।

देवता,मानव,दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता,राक्षस,मनुष्य,गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए आज भी लालायित रहते हैं। दानवी गण रावण,कंश, हिरण्यकश्यप,नरसिंह आदि इसके उदाहरण है।

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