कार्यदायी संस्था ब्रिडकुल पर लगा22 लाख रुपए का जुर्माना
एसडीएम सहित उप निदेशक खनन ने मारा अवैध खनन पर छापा पांच डंपर सहित एक पोकलैंड मशीन की गयी सीज
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
टनकपुर (चम्पावत) । पहले पुल के ठेके में गड़बड़ -घोटाला, फिर पुल के नाम पर अवैध खनन को लेकर उत्तराखंड का ब्रिड़कुल सुर्ख़ियों में आ गया है। मामला चूका में चलथि नदी पर बन रहे पुल का है। जिसके टेंडर पिछले चार साल पहले हुआ था। चर्चा है कि निर्माणाधीन इस पुल के कार्य को लेकर पहले लोकनिर्माण विभाग और ब्रिड़कुल (Bridge Rope way Tunnel And Other Infrastructure Development Corporation) के बीच पुल के ठेके को लेकर लम्बी रस्साकस्सी चली बाद में लोकनिर्माण विभाग से इस पुल के काम को सचिवालय के एक बड़े अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद हटाते हुए पुल का काम ब्रिड़कुल को दे दिया गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस पुल की निविदा प्रक्रिया में देश विदेश में ख्याति जमा चुके उत्तर प्रदेश ब्रिज कॉर्पोरशन ने भी हिस्सा लिया था लेकिन ब्रिडकुल ने एक ऐसे ठेकेदार को पुल का काम आवंटित कर दिया जिसे कभी भी किसी तरह के पुल को बनाने का कोई तजुर्बा कभी भी नहीं रहा।
इतना ही नहीं मामले में विश्वस्त सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि निर्माणाधीन पुल का काम करने वाली फर्म का असली मंतव्य पुल के निर्माण के ठेके को हथियाने के पीछे चूका में लधिया नदी पर पर खनन का था जिसे वह बता तो पुल के निर्माण में खपत रहा था लेकिन असल में वह लधिया नदी पर बन रहे पुल की आड़ में अवैध खनन का खेल खेल रहा था। जिसकी कई बार शिकायत प्रदेश सरकार से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक हुई थी , लेकिन जब सैंयाँ भये कोतवाल तो डर काहे का वाली कहावत के चलते कोई भी अधिकारी इस अवैध खनन पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
लेकिन कहते हैं ना जब पाप का घड़ा भर जाता है तो अदना सा अधिकारी बड़े-बड़ों को धराशाही कर देता है। इस मामले में भी यही हुआ और लगातार मिल रही शिकायतों का संज्ञान लेते हुए एसडीएम व उप निदेशक खनन ने दलबल के साथ जब सोमवार को खनन पर छापा मारा तो वहां करीब पांच हजार घन मीटर खनिज का अवैध रूप से भंडारण किया पाया गया। और टीम को मौके पर अवैध खनन चलता मिला जिसपर टीम ने ठेकेदारों के पांच डंपर व एक पोकलैंड मशीन सीज कर डाली। वहीँ अवैध भंडारण करने के मामले में कार्यदायी संस्था ब्रिडकुल पर 22 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया।
अब मामले की जानकारी लगते ही चम्पावत से लेकर देहरादून सचिवालय तक में एसडीएम द्वारा अवैध खनन की कार्रवाही पर हड़कंप मचा हुआ है। अब सचिवालय में बैठे बड़े अधिकारी इस मामले में कैसे बीच बचाव करते क्योंकि उनके आगे तो मुख्यमंत्री का भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का डंडा सामने नज़र आया सो वे भी मामले में मुंह सिलकर बैठे हुए हैं। उन्हें अब समझ नहीं आ रहा है कि इस मामले में अब अपनी होने वाली छिछालेदारी से कैसे बचा जाए।