Uttarakhand

बुरांश के फूल तीन महीने पहले खिलने पर हुई वैज्ञानिकों को चिंता

देहरादून  : हिमालय क्षेत्र में हो रहे जलवायु परिवर्तन का असर अब यहां की वनस्पति पर भी दिखाई देने लगा है। यहां बुरांश का फूल जलवायु परिवर्तन चलते समय से तीन माह पहले ही खिल गया है। मौसम में हो रहे बदलावों के कारण वनस्पति भी प्रभावित हो रही है। राज्य के सीमांत जिलों के कई हिस्सों में समय से पहले ही बुरांश खिल गया है। समय से तीन माह पहले बुरांश के खिलने से लोग हैरत में हैं। वनस्पति वैज्ञानिकों सहित भारतीय वन्य जीव संस्थान के अधिकारियों ने भी इसपर चिंता जाहिर की है।

जलवायु परिवर्तन का फसल के साथ ही जीव जंतुओं पर भी इसका असर पड़ रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार जलवायु में हो रहे परिवर्तन से भूमि के अंदर भी तेजी से बदलाव आ रहे हैं। जिसके चलते वनस्पतियों के लिए उपयोगी जैव कारकों के चक्र में भी बड़ा बदलाव आया है। इस बदलाव के कारण यहां उगने वाली वनस्पतियों के जीवन चक्र में भी बदल रहा है। जिससे यहां कई वनस्पतियों के समय से पहले खिलने और समय से पहले मुरझाने का नया चक्र शुरू हो गया है। जो जलवायु में बड़े बदलाव के संकेत हैं।

वनस्पति वैज्ञानिकों के नौसार गोपेश्वर -चोपता और कांचुला के जंगलों से सहित विकास खंड कनालीछीना और जौनसार की ऊँची पहाड़ियों ,ग्वालदम और गैरसैण और ध्वज और कासिंगदेव के जंगलों में भी बुरांश का फूल खिल गया है। जिससे यहां के जंगलों की रौनक बढ़ गई है। स्थानीय लोग बुरांश के सौंदर्य से अभिभूत होकर लोग सेल्फी ले रहे हैं।

बुरांश अमूमन समुद्र तल से 1700 से 3400 मीटर की ऊंचाई में होता है।अमूमन बुरांस चैत माह यानी मार्च-अप्रैल में खिलता है। बुरांश को खिलने के लिए 15-21 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है। इसमें करीब 15 से 20 दिन के अंदर फूल खिलने की प्रक्रिया संपन्न होती है।

बुरांश के जूस को हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा यह पुष्प तेज बुखार, गठिया, फेफड़े संबंधी रोगों में, इन्फलामेसन, उच्च रक्तचाप, हीमोग्लोबिन बढ़ाने, भूख बढ़ाने, आयरन की कमी दूर करने तथा हृदय और पाचन संबंधी रोगों में लाभदायक है। इसका आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक दवाइयों में भी प्रयोग होता है।

वनस्पति वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तराखंड में बुरांश ये प्रजातियां रोडोडेंड्रोन बारबेटम, रोडोडेंड्रोन केम्पानुलेटम, रोडोडेंड्रोन एरबोरियम और रोडोडेंड्रोनलेपिडोटम पायी जाती हैं। 

भारतीय वन्य जीव संस्थान के एक अधिकारी ने बताया कि जलवायु में हो रहे परिवर्तन से भूमि के अंदर भी तेजी से बदलाव आ रहे हैं। जिसके चलते इस बार बुरांश समय से पहले खिल गया है। उन्होंने कहा कि मौसम चक्र में इस तरह का बदलाव चिंता का विषय है। ग्लोबल वार्मिग के कारण इस तरह की स्थिति पैदा हो रही है। यह स्थित वनस्पतियों के साथ ही जीव-जंतुओं के लिए भी प्रभावित कर रही है।

devbhoomimedia

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