सतपाल महाराज ने नागरिक उड्डयन विभाग की मुख्यमंत्री से खत लिखकर की शिकायत
महाराज ने बताई मुख्यमंत्री को अपनी व्यथा
देहरादून : जिस राज्य में कद्दावर नेता, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज खुद नागरिक उड्डयन विभाग की मनमानी से उपेक्षित महसूस कर रहे हों, वहां चारधाम यात्रा पर हेलीकॉप्टर से जाने वालों की स्थिति को आसानी से समझा जा सकता है।
राज्य के पर्यटन एवं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री को अपने साथ हुई लगातार घटनाओं का हवाला देते हुए नागरिक उड्डयन विभाग की मनमानी की शिकायत की है। हैरानी की बात यह है कि जब राज्य के सबसे बड़े नौकरशाह खुद मुख्य सचिव एस. रामास्वामी यह विभाग संभाल रहे हैं, तब विभाग का यह हाल है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लिखे पत्र में सतपाल महाराज ने कहा है कि बीती 10 मई को देहरादून से चमोली के वाण तक उन्हें हेलीकॉप्टर से यात्रा करनी थी। फिर वहां लाटू देवता के कपाट खुलने के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करना था, मगर वाण में हेलीकॉप्टर इसलिए नहीं उतारा गया क्योंकि हेलीपैड का निर्माण दलदली जमीन पर किया गया था।
ऐसे में पायलट मुझे कार्यक्रम में भाग दिलाए बगैर ही वापस ले आया। इसके बाद 23 मई को हेलीकॉप्टर से द्रोणगिरी और भविष्यबद्री में आयोजित कार्यक्रमों में मुझे प्रतिभाग करना था, मगर पायलट उन्हें जोशीमठ उतारकर रैकी करने की बात समझाकर देहरादून चला गया।
मंत्री ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि ये दोनों ही प्रकरण गंभीर हैं, क्योंकि द्रोणगिरी के ग्रामीणों से जानकारी मिली कि जो हेलीकॉप्टर रैकी के लिए द्रोणगिरी आया था, वह हिमालय की ऊंची पर्वतशृंखलाओं से होता हुआ सीधे निकल गया। ऐसे में आम जनता में सरकार के प्रति बेहद नाराजगी है। साथ ही सरकार की छवि भी लोगों में खराब हुई। सतपाल महाराज ने यह भी कहा कि दोनों भ्रमण कार्यक्रमों की जानकारी पूर्व में ही संबंधित विभागों एवं शासन को दे दी गई थी।
ऐसे में रैकी की कार्रवाई पहले ही की जानी चाहिए थी। मंत्री ने साफ शब्दों में कहा है कि नागरिक उड्डयन विभाग पूरी तरह मनमानी पर उतारू है। उन्होंने अपनी उपेक्षा को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच करवाने और लापरवाही के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग मुख्यमंत्री से की है।
सतपाल महराज की व्यथा रेखांकित करती है कि नागरिक उड्डयन विभाग जब इस कद के नेता को ठेंगे पर रखे हुए है, तो आम आदमियों की कीमत उसकी नजर में क्या होगी? चार धाम यात्रा में लगी कंपनियों की मनमानी को लेकर मामले सामने आने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
मुख्यमंत्री ने भी इस मामले में जांच कराने की बात कही, मगर न तो जांच का कोई परिणाम सामने आया, न ही हेली कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगा। श्रृद्धालु कहते हैं कि उत्तराखंड सरकार जिस तरह से चार धाम यात्रा के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे करती है, यहां तस्वीर ठीक उलट है। यात्रियों का कहना है कि बस हम लुट-पिट कर किसी तरह से यात्रा पूरी करते हैं।