साहब, जो नहीं ‘चलता है’ वो क्या हैं ?
योगेश भट्ट
हर सरकार के लिए छवि बहुत मायने रखती है। और वो छवि पे-रोल पर रखे गए ‘इमेज मेकरों’, सलाहकारों और जुमले गढ़ने वालों से नहीं बनती। ‘सरकार’ को न जाने यह छोटी सी बात क्यों समझ नहीं आती?सरकार क्यों नहीं समझती कि छवि तो सिर्फ और सिर्फ काम से बनती है। सलाहकारों के भरोसे तो तमाम मौकों पर जगहंसाई ही संभव है। अपनी सरकार को ही देखिए, छवि के चक्कर में आये दिन यहां कुछ न कुछ उलूल-जुलूल और उल्टा-पुल्टा हो रहा है।
हाल में मुख्यमंत्री ने अंग्रेजी में एक ट्वीट किया, जो उनके फेसबुक अकाउंट पर भी है। उस ट्वीट का हिन्दी अनुवाद यह है कि, ‘मैं हर किसी को यह साफ कर देना चाहता हूँ कि मेरी सरकार में ‘चलता है’ के लिए कोई स्थान नहीं है’। बहुत संभव है कि यह बयान मुख्यमंत्री का ट्विटर व फेसबुक हैंडल करने वाले पे-रोल कर्मियों के दिमाग की उपज हो। लोकिन अगर वाकई यह मुख्यमंत्री का बयान है तो यह सोचनीय है, क्योंकि मुख्यमंत्री यानी सरकार की हर बात के मायने हैं। आखिर मुख्यमंत्री क्या कहना चाहते हैं और क्या संदेश देना चाहते है? आखिर क्या नहीं चल रहा है सरकार में? ट्रांसफर पोस्टिंगों में क्या खेल नहीं चल रहा ? संसाधनों की लूट क्या बंद हो चुकी है? शराब, जमीन और खनन के कारोबार में सफेदपोशों और नौकरशाहों को दिलचस्पी क्या समाप्त हो गई है? सत्ता के प्रसाद की सरकारी रेवड़ियां क्या नहीं बंट रही? क्या फिजूलखर्ची बंद हो गई? क्या बेरोजगारों के साथ छल बंद हो गया है ? गर्भवती महिलाओं की इलाज के आभाव में मौत या सड़क पर ही बच्चा पैदा होने की घटनाएं क्या बंद हो गई हैं? सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार बंद हों गया है क्या ? विधायक निधि में कमीशनखोरी नहीं होती अब? सरकारी अस्पतालों का निजीकरण बंद कर दिया गया है क्या ? क्या अब अस्पताल से डाक्टर और स्कूल से मास्टर साहब गायब नहीं रहते? क्या केंद्र ने उत्तराखण्ड के बजट में कटौतियां बंद कर दी हैं ? सत्ता के गलियारों में ठेकेदारों और बिचौलियों की आवाजाही प्रतिबंधित है क्या ? क्या अब खास नौकरशाहों पर मेहरबानी और किसी खास विशेष को पावर सेंटर नहीं बनाया जा रहा है? किसी खास नौकरशाह के इशारे पर ही सरकार नहीं चलती अब ? सरकार के अंदर ही सत्ता संघर्ष नहीं है अब ? नौकरशाही के अंदर खेमेबाजी नहीं है अब?
अभी तक की सरकारों में तो यही सब चलता रहा है, और अगर यह सब अभी भी चल रहा है तो मुख्यमंत्री के बयान के क्या मायने हैं? ऐसा फिर वो क्या ‘चलता है’ जिसे मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उनकी सरकार में उसकी जगह नहीं हैं? बहरहाल कहीं यह भी तत्कालिक सुर्खियां पाने के लिए दिया गया बयान तो नहीं? यदि ऐसा है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। अब तो सरकार को पूरा फोकस राज्य हित में अपनी प्राथमिकताएं तय करने और अंजाम तक पहुंचाने पर करना करना चाहिए। सरकार यदि सिर्फ जुमलेबाजी और कोरे प्रचार के भरोसे रही तो बहुत जल्द उस पर से जनता का भरोसा उठ जाएगा।