पिछले आठ वर्षों से अधर में लटके हुए यमुनोत्री रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर बंधी आस
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : यमुनोत्री जाने वाले यात्रियों को लगभग अब अगले यात्रा काल से जानकीचट्टी से यमुनोत्री तक पैदल नहीं चलना होगा। राज्य सरकार का पर्यटन विभाग अब स्वयं पीपीपी मोड पर इस प्रोजेक्ट पर आगे काम करेगी। अब त्रिवेंद्र रावत मंत्रिमंडल ने 3.50 करोड़ की जब्त की गई बैक गारंटी और प्रोजेक्ट के लिए खरीदी गई 1.56 करोड़ की जमीन का पैसा काम न कर पाने वाली कंपनी को लौटाने का फैसला कर दिया है।
गौरतलब हो कि वर्ष 2012 में रोपवे का यह कार्य मैसर्स टॉप वर्थ इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। जो काम कर पाने में असमर्थ ही रही है , लेकिन इस कंपनी के कार्य न कर पाने से राज्य का यह रोपवे प्रोजेक्ट पिछले आठ वर्षों से अधर में लटका हुआ रहा। कार्य समय पर न कर पाने के बाद कम्पनी के साथ विवाद की स्थिति पैदा हो गयी थी और सरकार ने उसकी बैंक गारंटी और भूमि खरीद का पैसा जब्त कर दिया था।
इसी दौरान राज्य सरकार ने इस रोप वे प्रोजेक्ट निर्माण के लिए यमुनोत्री रोपवे प्रोजेक्ट कंपनी नाम से एक स्पेशल परपज व्हीकल(एसपीवी) का गठन किया गया। लेकिन टॉप वर्थ इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड फिर भी काम नहीं कर पाई। इसके बाद तत्कालीन राज्य सरकार ने 29 अप्रैल 2016 में कम्पनी और सरकार के मध्य हुए करार को निरस्त कर दिया। मिली जानकारी के अनुसार अब इस रोपवे प्रोजेक्ट को पर्यटन विभाग स्वयं पीपीपी मोड पर बनाएगा।