- सरकार के आयुष विभाग में अटैच करने का आदेश निरस्त
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : तमाम विवादों में घिरे रहे डा. मृत्युंजय मिश्रा ने एक बार फिर आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव का चार्ज मिल गया है। हाईकोर्ट ने उन्हें शासन से संबद्ध करने के आदेश पर रोक लगाते हुए कुलसचिव पद पर चार्ज संभालने के आदेश दिए थे । 23 अक्तूबर को आए हाईकोर्ट के निर्देश के क्रम में उन्होंने शुक्रवार को चार्ज संभाला और शासन को इसकी सूचना दी।
आयुर्वेद विवि में कुलसचिव पद पर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस वर्ष 17 अप्रैल को मृत्युंजय मिश्रा ने विवि में बतौर कुलसचिव चार्ज संभाला। 20 अप्रैल को उन्हें शासन से संबद्ध कर दिया गया। इस पर उन्होंने 24 अप्रैल को अपील दर्ज की। मृत्युंजय शासन में अटैच किए जाने के बावजूद उन्हें बैठने के लिए कक्ष व अन्य सुविधाएं नहीं दी गई। इस पर उन्होंने 31 जुलाई को हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
23 अक्तूबर को हाईकोर्ट ने शासन के 20 अप्रैल के फैसले पर रोक लगा दी। उनका शासन में सबंद्धीकरण करने संबंधी आदेश पर रोक लगाने के साथ ही कुलसचिव का पदभार संभालने के निर्देश दिए। शुक्रवार को उन्होंने विधिवत रूप से कुलसचिव पद संभाल लिया।
उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश पर उन्होंने पद संभाल लिया है। इसकी सूचना आयुष सचिव के साथ ही कुलपति को भी ईमेल व अन्य माध्यमों से भेज दी गई है। कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार से मामले की जानकारी के लिए संपर्क का प्रयास किया गया। हालांकि देर रात तक उनसे बातचीत नहीं हो पाई। जब भी उनका पक्ष आएगा, उसे प्रकाशित किया जाएगा।
मृत्युंजय मिश्रा को उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पद से हटाकर आयुष विभाग में अटैच करने के सरकार के आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की खंडपीठ ने मृत्युंजय मिश्रा की याचिका पर यह आदेश दिया है।
सरकार ने 20 अप्रैल को मृत्युंजय मिश्रा को आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुल सचिव पद से हटाकर आयुष विभाग में अटैच कर दिया था। मिश्रा ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याची का कहना था कि सरकार को किसी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को हटाने का अधिकार नहीं है। वहीं, विश्वविद्यालय के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ विजिलेंस जांच चल रही है, इस वजह से उन्हें हटाया गया।