बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन से परिणाम
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कमल किशोर डुकलान
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं राज्य विद्यालयी शिक्षा बोर्ड में मूल्यांकन के परिणामों के आधार पर जो छात्र उत्तीर्ण हुए हैं या होने जा रहे हैं,उन्हें आगे भी चुनौतियों का सामना करने के लिए दूसरे छात्रों की तुलना में ज्यादा मुस्तैद रहना पड़ेगा।
कोरोना महामारी से प्रभावित समय में आखिरकार उत्तराखंड बोर्ड स्कूली शिक्षा का हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट के परिणाम आज घोषित होने वाले हैं। हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट उत्तीर्ण छात्रों के लिए यह भावनाओं का मिला-जुला अवसर होगा। क्योंकि इस कोरोना महामारी में ज्यादातर छात्र न तो स्कूल गए थे और न प्रत्यक्ष पढ़ाई ही की थी,इसके बावजूद वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति से जो परिणाम आयेंगे,उनकी प्रशंसा करनी चाहिए।
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के कल इण्टरमीडिएट का परीक्षा परिणाम घोषित हुआ है, जिसमें इस वर्ष 99.37 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। इसमें भी लड़कियों ने लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया है। हालांकि उनमें अंतर ज्यादा नहीं है, फिर भी यह एक संकेत है कि जिन लड़कियों को मौका मिल रहा है,वे लड़कों से बेहतर पढ़ाई कर रही हैं। पढ़ाई के प्रति लड़कियों का लगाव कोई तुक्का नहीं है।यह अपने आप में इतिहास है कि किन हालात में परिणाम आए हैं। देश भर में कोरोना संक्रमण में वृद्धि के चलते केंद्र सरकार द्वारा हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट की परीक्षा रद्द कर दी गई थी। केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बाद में 12वीं के मूल्यांकन का मानदंड तैयार करने के लिए 13 सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस पर एक मत राय ने बन पाने परदेश की सर्वोच्च अदालत को भी समाधान तलाशने के लिए आगे आना पड़ा था।
देश में कई लोग प्रत्यक्ष परीक्षा कराने के पक्ष में थे,लेकिन अंतत: परीक्षा न कराने पर सहमति बनी और मूल्यांकन का पैमाना तय हुआ। अब यह हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया है कि कोरोना महामारी के कारण देशभर की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं और छात्रों का परिणाम मूल्यांकन फॉर्मूला से घोषित किया गया था। इन परिणामों के बावजूद प्राइवेट व पत्राचार वाले छात्रों को कोरोना संकट के समय उन्हें ज्यादा नुकसान हुआ है। उन्हें किसी मूल्यांकन प्रक्रिया द्वारा पास करना आसान नहीं है।
भविष्य के लिए यह एक संकेत है कि संकट के समय में स्वतंत्र रूप से या पत्राचार के जरिए पढ़ाई करने वालों को नुकसान होगा। इन परिणामों ने हमें बहुत सिखाया है। क्लास टेस्ट से लेकर सामान्य कक्षा परीक्षाओं में भी पूरे मनोयोग व मेहनत से प्रदर्शन करना चाहिए। भविष्य में जब भी ऐसे संकट के मौके आएंगे, तब किसी भी छात्र का मूल्यांकन उसके पिछले प्रदर्शन के आधार पर ही किया जाएगा।
जो छात्र उत्तीर्ण होंगे, उन्हें आगे भी चुनौतियों का सामना करने के लिए दूसरे छात्रों की तुलना में ज्यादा मुस्तैद रहना पड़ेगा। इस बैच के छात्रों की किसी से तुलना तो नहीं होनी चाहिए,लेकिन होगी जरूर,अत: इस बैच के छात्रों को अतिरिक्त रूप से मेहनत करते हुए योग्यता के पैमाने पर खरा उतरना पडे़गा। इन छात्रों के संरक्षण और शैक्षणिक विकास के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को भी सजग रहना होगा। मूल्यांकन के आधार पर परिणाम देने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि ऐसे छात्रों के लिए आगे की शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया जाए।