Uttarakhand

सरकार ने सार्वजानिक की पलायन आयोग की रिपोर्ट 

  • पलायन रोकने के लिए ग्राम स्तर तक कर कर रही है सरकार : त्रिवेन्द्र 

देहरादून : राज्य पलायन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है की जहाँ सूबे के 850 गांवों में आस-पास के ग्रामीणों ने आकर अपने घर बसाये हैं जबकि 565 ऐसे गांव चिन्हित किये गये हैं जहाँ 2011 के बाद आबादी 50 फीसदी तक घटी है।  वहीँ आयोग ने यह चौकाने वाली बात भी की है कि हर दिन उत्तराखंड के पर्वतीय  गांवों से 33 लोग पलायन करते हुए सुगम स्थानों की तरफ जा रहे हैं। वहीँ आयोग की  रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 10 सालों में 6338 ग्राम पंचायतों से 3 लाख 83 हज़ार 726 व्यक्ति अस्थायी तौर पर रोज़गार या सुख सुविधाओं की तलाश में अपने गांवों से पलायन कर गए हैं। 

शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. शरद सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए मुख्यमंत्री द्वारा इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया।   आयोग ने उत्तराखंड के 7950 ग्रामपंचायतों का सर्वेक्षण करने के बाद इस रिपोर्ट को बनाया है।  आयोग के अनुसार उन्होंने सभी जिलों का दौरा करने के उपरान्त स्थानीय  पलायन के विभिन्न बिंदुओं पर परामर्श के बाद यह रिपोर्ट बनाई है। 

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पर्वतीय इलकों से 50 फीसदी लोगों ने आजीविका एवं रोजगार की तलाश में जबकि 15 फीसदी लोगों ने शिक्षा की सुविधा न होने के कारण जबकि 8 फीसदी लोगों ने चिकित्सा सुविधा के अभाव में पलायन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 42 फीसदी ग्राम पंचायतों से पलायन करने वालों की आयु 26 से 35 साल की है जबकि 29 फीसदी 35 आयु वर्ग के लोगों और 28 फीसदी 25 वर्ष की आयु से काम के युवाओं ने पलायन किया है। 

आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के ग्राम पंचायतों से प्रवासित होकर जाने वाले लोगों की संख्या 70 फीसदी है , जबकि राज्य के अन्य स्थानों की ओर पलायन  करने वालों की  संख्या 29 फीसदी है वहीँ एक फीसदी राज्य के लोगों ने देश से बाहर पलायन किया है। 

”वहीँ आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पलायन के तीन महत्वपूर्ण कारण सामने आये हैं जिसमें शिक्षा स्वास्थ्य और रोजागार प्रमुख हैं।  इन सब पर राज्य सरकार काम कर रही है ताकि पलायन को रोका जा सके।  उन्होंने कहा सरकार गांवों तक  रोजगार शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने का कार्य तेजी से कर रही है।  उन्होंने  कहा सरकार चाहती  है कि आगामी 2020 तक वह दस वर्ग किलोमीटर के दायरे में लोगों की स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराया जा सके।  इसके लिए सरकार ने 1141 डॉक्टरों को पहाड़ चढ़ाया है जो वहां स्वास्थ्य सुविधा दे  रहे हैं। वहीँ उन्होंने कहा राज्य सरकार ने अब तक ग्राम स्तर तक स्वरोजगार से जोड़ने के लिए 600 करोड़ के ऋण दो फीसदी ब्याज दर  पर ग्रामीणों को मुहैया किया है।  वहीँ होम स्टे और वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना से भी बेरोजगारों युवकों को स्वरोज़गार से जोड़ा जा रहा है।”   

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले 1 वर्ष में प्रदेश में चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार करने के लिए बहुत से कदम उठाए हैं। 1 वर्ष पूर्व जितने डॉक्टर प्रदेश में थे, उससे कहीं अधिक चिकित्सक 1 वर्ष में नियुक्त किए गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए वॉक-इन-इंटरव्यू लागू किया गया है और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिये पॉलिसी के स्तर पर कोई परिवर्तन होना है, तो उसका प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए।

उन्होंने कहा कि सरकार टेली रेडियोलॉजी और टेलीमेडिसिन के द्वारा दुर्गम और दूरस्थ स्थानों को उन्नत चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में आगे बढ़ रही है। अभी प्रदेश के 37 अस्पताल टेली रेडियोलॉजी-टेलीमेडिसिन से जुड़ चुके हैं। दूरस्थ क्षेत्र के अस्पतालों को दून अस्पताल, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, अपोलो हॉस्पिटल और यहां तक की विदेशों के डाक्टरों से भी सीधे जोड़ा गया है। पिथौरागढ़ में विश्वस्तरीय आईसीयू स्थापित कर दिया गया है। उत्तरकाशी और चमोली में शीघ्र ही आईसीयू स्थापित किया जाएगा। 1 आईसीयू की स्थापना में लगभग ढाई करोड़ रुपए का खर्चा आ रहा है। लेकिन सरकार हर जनपद अस्पताल में आईसीयू की स्थापना करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के कई कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं। पं.दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के 1 वर्ष से भी कम समय के भीतर सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। आजीविका मिशन, मुद्रा योजना, स्टार्टअप प्रोग्राम जैसे कार्यक्रमों का लाभ शीघ्र ही दिखना शुरू होगा। मुख्यमंत्री ने सरकार के द्वारा हाल में ही लागू की गई पिरूल नीति का भी उल्लेख किया और कहा कि इस नीति से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 60 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। महिलाओं को स्वरोजगार देने के लिए ग्राम एलईडी लाइटों की योजना लागू की गई है और शीघ्र ही ग्रोथ सेंटर योजना के अंतर्गत रेडीमेंट गारमेंट प्रशिक्षण का भी कार्य शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के पास पलायन रोकने के लिए एक स्पष्ट विजन है और सरकार इस दिशा में तात्कालिक एवं दीर्घकालिक नीतियां बनाकर आगे बढ़ रही है।

पलायन आयोग की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए लिंक पर जाएँ :-   http://www.uttarakhandpalayanayog.com/pdf/Report_Palayan%20Ayog.pdf

 

devbhoomimedia

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