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हर दिल अज़ीज, डॉ. उमाशंकर थपलियाल ‘समदर्शी’: जन्मदिन पर नमन




डॉ. उमाशंकर थपलियाल ‘समदर्शी’ खुशनुमा व्यक्तित्व, जीवन की जकड़ता से दूर, ‘जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह और शाम’ की तर्ज पर हर समय गतिशील एवं ऊर्जावान, जीवन के 75वें पायदान पर दुनिया से हमेशा के लिए मुक्त हुए। परन्तु जीवन को अलविदा कहने के क्षण तक बुलन्द हौसला लिए अभी बहुत कुछ करना है की धुन में दिन-रात व्यस्त रहे। दुनियादारी की कई उलझनों में फंसे होने के बावजूद भी चेहरे पर कभी शिकन नहीं। दो बार बाईपास सर्जरी हुयी तो क्या हुआ नंदादेवी राजजात यात्रा तो करनी ही है, का जज्बा बरकरार। एक ऐसा व्यक्तित्व जो परिस्थिति को अपने अनकूल करने का हुनर रखता हो। किस्सागोई के लिए वे मशहूर थे। परन्तु उनके किस्सों में कितनी फसक है, ये समझना हर किसी की वश की बात नहीं थी। लोगों की मदद में हर समय आगे रहना औरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करने का हुनर उनसे हमने बखूबी सीखा। रिश्ते एवं उम्र में बड़े होने का फर्ज वे परिवार से ज्यादा सार्वजनिक जीवन में निभाते थे। उनकी पत्रकार और साहित्यकार के रूप में एक विशिष्ट पहचान थी। रामलीला और होली के वे मंझे कलाकार थे। उनके बहुआयामी व्यक्तित्व के बारे में और भी बहुत कुछ कहा-लिखा जा सकता है। इसीलिए हरदिल अजी़ज थपलियाल जी को हम सभी मित्र ‘बड़े ज्ञानी जी’, ‘ज्ञानी’ हम उनके सुपुत्र भवानी शंकर थपलियाल को कहते थे और उनका घर आज भी हम मित्रों के लिए ‘ज्ञान लोक’ है।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.