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बंद हुए केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट

  • -भैयादूज पर बंद हुए केदारनाथ धाम के कपाट
  • – यमुनोत्री धाम के कपाट भी हुए बंद
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
रुद्रप्रयाग ।उत्तराखंड में शीतकाल के लिए चार धामों के कपाट बंद होने का सिलसिला जारी है। भैया दूज के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद कर दिए गए। अब श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन ऊखीमठ स्थित पंच गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर और यमुना के दर्शन उत्तरकाशी जिले के खरसाली गांव में कर सकेंगे। इससे पहले गुरुवार को गंगोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए थे। गंगा की डोली शुक्रवार को अपने शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा पहुंच गई है। इसी के साथ तीन धामों के कपाट बंद हो चुके हैं, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 20 नवंबर को बंद किए जाएंगे।
समुद्रतल से करीब साढ़े ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम में कपाट बंद करने की प्रक्रिया तड़के तीन बजे शुरू हो गई थी। इस दौरान केदारनाथ के मुख्य पुजारी बी गंगाधर लिंग के नेतृत्व में वेदपाठियों ने विशेष पूजा अर्चना के साथ ही बाबा केदार का महाभिषेक किया गया। गर्भगृह की पूजा और भोग लगाने के बाद बाबा केदार की पंचमुखी मूर्ति को उत्सव डोली में विराजमान किया गया।
मंत्रोच्चारण के बीच मंदिर की परिक्रमा और अन्य रस्में पूरी करने के बाद सुबह ठीक 8.30 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। इसी के साथ बाबा केदार के जयकारों के साथ पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा। सेना के बैंड की धुन पर उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गई।  रामपुर में रात्रि विश्राम के बाद उत्सव डोली 10 नवंबर को गुप्तकाशी और 11 नवंबर को ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी। इस मौके पर एसडीएम गोपाल सिंह चौहान, पुलिस उपाधीक्षक अभय सिह, कार्याधिकारी एनपी जमलोकी समेत बडी संख्या में भक्त मौजूद थे।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी भगवान केदारनाथ के कपाट भैयादूज के पर्व पर प्रातः सवा आठ बजे बंद कर दिये गए। भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली धाम से प्रस्थान कर विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंचेगी। 
कपाट बंद को लेकर मंदिर समिति के अधिकारी व पुलिस प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर दी थी । यहां तक की तीर्थ पुरोहित समाज और स्थानीय व्यापारियों ने भी अपना सामान समेट लिया है। प्रातः सवा आठ बजे भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये बंद किये जाएंगे। इससे पूर्व प्रधान पुजारियों, विद्वान आचार्यों, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों द्वारा भगवान केदारनाथ की विभिन्न पूजाएं संपंन कर भगवान केदारनाथ के स्वयंभू लिंग को ब्रम्हकमल, भष्म, पुष्प-अक्षत्र सहित विभिन्न पूजार्थ सामाग्रियों से समाधि दी जाएगी।
इसके बाद भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली केदारपुरी, लिनचैली, जंगलचटटी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंचेगी। इसके बाद शनिवार को डोली द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। जहां पर अखण्ड जागरण का आयोजन किया जायेगा।
रविवार को डोली अपने शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी, जिसके बाद बाबा केदार की मूर्ति को पूजा स्थल पर विराजमान किया जायेगा और इसके बाद भगवान केदारनाथ की शीतकाल की पूजा यहीं पर होगी। केदारनाथ के प्रधान पुजारी टी शंकर लिंग ने बताया कि इस बार की यात्रा बेहद सुखद रही है। देश-विदेश से 7 लाख तीस हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किये, जिससे मंदिर समिति और स्थानीय व्यापारियों को भी काफी फायदा पहुंचा है। उम्मीद है कि अगले वर्ष इससे भी अधिक तीर्थयात्री बाबा के धाम पहुंचेंगे।  
  • यमुनोत्री धाम के कपाट भी हुए बंद  

शुक्रवार को शनिदेव की डोली खुशीमठ से सुबह आठ बजे ढोल-नगाड़े के साथ यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुई तथा 10 बजे यमुनोत्री धाम पहुंचेगी। जहां वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन, पूजा-अर्चना के बाद यमुनोत्री धाम के कपाट बंद किये गए। जिसके बाद शनि देव की अगुवाई में मां यमुना की डोली खुशीमठ के लिए प्रस्थान किया और छह माह तक यमुना के दर्शन देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं खुशीमठ (खरसाली) में करेंगे। भैयादूज के पावन पर्व पर यमुनोत्री धाम में स्नान एवं पूजा-अर्चना का अपना विशेष महत्व है। भैयादूज अर्थात यम द्वितीया के इस पर्व पर यमुना में स्नान व पूजा-अर्चना करने से यम यातना से मुक्ति मिलती है। इस दिन देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं यमुनोत्री धाम में पूजा-अर्चना तथा यमुना में स्नान करने  पहुंचे हैं।

भैयादूज का दिन भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है। भाई-बहन यमुनोत्री धाम पहुंचकर अपने भाई एवं बहन अपने-अपने रिश्तों को जन्म-जन्मांतर तक बरकरार रखने की एवं उनके जीवन में खुशहाली की कामना करते हैं। भैयादूज के पावन पर्व पर यमुनोत्री धाम में यम यातना से मुक्ति के लिए श्रद्धालु यमुनोत्री धाम में पहुंचकर यमुना में स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन एक दूसरे की मंगल कामनाओं के लिए श्रद्धालु मां यमुना से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि सूर्य ने तीनों लोकों के हित के लिए यमुनोत्री धाम में यमुना को पृथ्वी पर अवतरित कराया। उत्तर वाहिनी यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व है और यमुनोत्री धाम में यमुना उत्तर वाहिनी है। जो समस्त पापों से विश्व को मुक्ति दिलाने वाली है।

मान्यता है कि यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया है कि सनातन जगत में भैया दूज अर्थात कार्तिक शुक्ल द्वितीय को यम अपने सभी कार्यों को छोड़कर अपनी बहन यमुना को मिलने यमुनोत्री धाम पहुंचते हैं। तब से जो भाई-बहन इस पर्व के अवसर पर यमुनोत्री धाम में पहुंचते हैं और यमुना में स्नान कर इस पर्व को मनाते हैं, उनके रिश्ते जन्म जन्मांतर के लिए भाई-बहन के प्रेम के बंधन में जाते हैं।

यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित पंडित पवन उनियाल का कहना है कि यमुनोत्री धाम में यम द्वितीया के इस पर्व पर स्नान व पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन यमुना में स्नान करने से यम यातना सेे मुक्ति मिलती है। यमुनोत्री धाम के कपाट छह माह तक शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं तथा छह माह तक मां यमुना की टोली अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ में रहती है।

यमुना के स्वागत के लिए खुशीमठ में तीर्थ पुरोहितों तथा श्रद्धालुओं द्वारा पूरी तैयारियां कर ली है। यमुना के पहुंचने पर खुशीमठ में इस दिन त्यौहार के रूप में मनाते हैं तथा धूमधाम से संगीत कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। मंदिर प्रांगण में ढोल-नगाड़े की थाप पर रासो एवं तांदी नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं। यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने से पहले खुशीमठ से शनिदेव की डोली यमुना को लेने यमुनोत्री धाम पहुंचती है।

उधर यमुनोत्री धाम दोपहर 12.15 बजे बंद किए गए। इसके बाद शनिदेव की अगुआई में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यमुना की डोली शीतकालीन प्रवास खरसाली पहुंची। यहां ग्रामीणों ने डोली का भव्य स्वागत किया। बाद में यमुना की उत्सव मूर्ति मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। इस अवसर पर विधायक केदार सिंह रावत, डीएम डॉ. आशीष चौहान, एसडीएम अनुराग आर्य, यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कीर्तेश्वर, उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल, पूर्व उपाध्यक्ष पवन उनियाल उपस्थित थे।

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