- तीन दस्तावेजों को सुप्रीम कोर्ट ने माना सबूत अब इनकी होगी जांच
- अरुण शौरी ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने हमसे सबूत मांगा था
- कांग्रेस के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा और मोदी के गले की फांस
कल लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग होने जा रही है और आखिरी चरण की वोटिंग 19 मई को होगी। ऐसे में साफ है कि चुनावी मौसम में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद कांग्रेस के पास राफेल डील पर मोदी सरकार को घेरने का बड़ा मौका मिल गया है……
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली । लोक सभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील पर सुनवाई करते हुए बुधवार को केंद्र सरकार को तगड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार की आपत्तियों को खारिज करते हुए और पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राफेल डील से संबंधित तीन दस्तावेजों को सबूत के तौर पर स्वीकार करने की अनुमति प्रदान कर दी है। सुप्रीम कोर्ट अब इन दस्तावेजों के आधार पर पुनर्विचार याचिका पर आगे की सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लीक हुए दस्तावेज मान्य हैं और इस डील से जुड़े जो कागजात आए हैं, वो सुनवाई का हिस्सा होंगे। कांग्रेस के लिए ही नहीं बल्कि 2019 के चुनाव में राफेल डील बड़े चुनावी मुद्दों में शामिल हो गया है।इसके साथ ही लंबे समय से राफेल डील को लेकर चल रहा विवाद अब मोदी सरकार के गले की फांस बन गया है।
सरकार ने पहले याचिका में शामिल सभी दस्तावेजों को विशेषाधिकारी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताकर कोर्ट में प्रस्तुत करने और सार्वजनिक करने का विरोध कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इन आपत्तियों को खारिज कर दिया है। मालूम हो कि पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 14 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी गई है। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल फाइटर प्लेन खरीद प्रक्रिया की जांच का आदेश देने से इंकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हुई सुनवाई में कहा कि जहां तक राफेल डील से जुड़ी पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई का सवाल है, इस पर बाद में विस्तृत सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पहले ही पूरी कर चुका था। इसके बाद पुनर्विचार याचिकाओं पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा लिया था। बुधवार को कोर्ट ने फैसले की तिथि निर्धारित की थी
राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेश को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका दाखिल करने वाले पूर्व भाजपा नेता अरुण शौरी ने कहा, ‘हमारी दलील थी कि याचिका में शामिल किए गए दस्तावेज चूंकि रक्षा विभाग से संबंधित हैं, सुप्रीम कोर्ट को उसकी जरूर जांच करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने हमसे सबूत मांगे थे, जो हमने उपलब्ध करा दिए। इसलिए कोर्ट ने हमारी पुनर्विचार याचिका स्वीकर कर ली और सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया।’
मालूम हो कि राफेल डील पर केंद्र सरकार ने दावा किया था कि इस सौदे से जुड़े दस्तावेजों पर सरकार का विशेषाधिकार है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के तहत कोई भी संबंधित विभाग की अनुमति के बगैर सौदे से जुड़े दस्तावेजों को प्रस्तुत या सार्वजनिक नहीं कर सकता है। मामले में अटार्नी जनरल ने दलील दी थी कि कोई भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक नहीं कर सकता। राष्ट्र की सुरक्षा सबसे ऊपर है।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने देश की सुरक्षा का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की याचिका खारिज करने की मांग की थी। दलील दी गई थी कि तीनों याचिकाओं में जिन दस्तावेजों का प्रयोग हुआ है, उस पर सरकार का विशेषाधिकार है। लिहाजा उन दस्तावेजों को याचिका से हटाया जाना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया था कि याचिका में संलग्न दस्तावेज, मूल दस्तावेजों की फोटो कॉपी हैं। इन्हें गैर-अधिकृत तरीके से तैयार किया गया है। इसकी जांच चल रही है।
अटॉर्नी जनरल के इस दावे के विपरीत वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी थी कि राफेल के जिन दस्तावेजों पर सरकार विशेषाधिकार का दावा कर रही है, वो पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं और सार्वजनिक हैं। सूचना के अधिकारी तहत, जनहित अन्य सभी चीजों से सर्वोपरि है। खुफिया एजेंसियों से संबंधित दस्तावेजों पर किसी प्रकार के विशेषाधिकार का दावा नहीं किया जा सकता।
इन दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पुरर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। पूर्व में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि राफेल डील के तथ्यों पर गौर करने से पहले वह मामले में सरकार द्वारा की गई आपत्तियों और उसके विशेषाधिकार पर फैसला सुनाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट आज सरकार के विशेषाधिकार पर अहम फैसला सुना सकता है।