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विद्यालयी शिक्षा में गुणात्मक शिक्षा

नई शिक्षा नीति में ऐसी शिक्षा का समावेश हो जिसमें प्रत्येक छात्र की बहुआयामी क्षमताओं का समान रुप से संपूर्ण विकास  हो सकें

कमल किशोर डुकलान
गुणात्मक शिक्षा एक ऐसी शिक्षा है जिसमें शिक्षक अपने कौशलों द्वारा विद्यालय में ऐसा वातावरण निर्माण करता है,जिससे छात्र का चहुंमुखी विकास हो और छात्र अपने अनुभवों के आधार पर शिक्षक के सहयोग से ज्ञान का सृजन कर उसे अभिव्यक्त सकें।
शिक्षा में गुणवत्ता की बार-बार चर्चा होती है जो सार्वजनिक मंचों से बार-बार एक उदघोष की तरह दोहराई जाती है। हम इस नारेबाज़ी से अलग हटकर भी गुणात्मक शिक्षा के इस मुद्दे को देख पाएं, इसीलिए इस पोस्ट में हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा  को समझने का प्रयास करते है।
आसान शब्दों में “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मतलब ऐसी शिक्षा से है,जो विद्यालय में पढ़ने वाले हर छात्र के काम आये। इसके साथ ही हर छात्र की बहुआयामी क्षमताओं के संपूर्ण विकास में समान रूप से हो सकें।”
गुणात्मकता शिक्षा हर छात्र के लिए उपयोगी एवं वैयक्तिक विभिन्नता का ध्यान रखने वाली होगी। हर छात्र के सीखने के तौर-तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर छात्र के सीखने के तरीकों को अपने में समाहित करने वाली हो, जिससे छात्र विद्यालयी शिक्षण में अधिगम के पर्याप्त अवसर से वंचित न रह पाये। इसके साथ ही हर बच्चे को विभिन्न गतिविधियों,खेल और प्रोजेक्ट वर्क के माध्यम से उनको सीखने का मौका देने वाली भी होगी।
गुणात्मक शिक्षा में विभिन्न वस्तुओं को समझने (अर्थ निर्माण) के ऊपर विशेष फोकस होगा। छात्रों को चर्चाओं के माध्यम से अपनी बात कहने और ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया में भागीदारी का मौका मिलेगा। इस नज़रिये से संचालित होने वाली कक्षाओं में गतिविधियों और विषयवस्तु में एक विविधता होगी। शिक्षक के नज़रिये में लचीलापन होगा। वे हर छात्र को साथ-साथ सीखने के अतिरिक्त खुद के प्रयास से भी सीखने का पर्याप्त मौका देंगे ताकि छात्रों का आत्मविश्वास बढ़े।
ऐसी शिक्षा में बच्चों के सामने समस्या समाधान की दिशा में सोचने वाली परिस्थितियां रखी जाएंगी ताकि बच्चा ऐसे जीवन कौशलों का विकास कर सकें जो आने वाले भविष्य में उसके काम आयेगा। इसके लिए कक्षा में एक ऐसा माहौल होना जरूरी है जहाँ बच्चे भावनात्मक रूप से अपने को सुरक्षित महसूस करें और जहाँ उनकी रचनात्मकता की अभिव्यक्ति के लिए भी पर्याप्त अवसर उपलब्ध हो सकें। विद्यालय में ऐसे माहौल के लिए समुदाय के साथ अच्छी सहभागिता की जरूरत होगी क्योंकि बग़ैर समुदाय के सहयोग के ऐसे सकारात्मक माहौल का निर्माण करने की आवश्यकता है, जिसमें छात्र के जीवन कौशलों का विकास हो सकें। 
विद्यालय समुदाय का एक ऐसा हिस्सा है। जिसमें समुदाय की ओर से मिलने वाले सकारात्मक सहयोग से ही विद्यालय में जेंडर के आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जा सकता है। स्कूल में पढ़ने वाली बालिकाओं को भावनात्मक संबल प्रदान किया जा सकता है। जिसमें उन्हें आगे की शिक्षा के लिए प्रेरित किया जा सकता है। अभी भारत के पूर्वोत्तर राज्य एवं विहार, छत्तीसगढ़,झाड़खण्ड आदि  राज्य बालिका शिक्षा में काफी पीछे हैं।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में बच्चों को चुनाव का अवसर दिया जाता है। ऐसे माहौल में एक शिक्षक सुगमकर्ता के रूप में काम करता है। कक्षा के केंद्र में छात्र होता है। और छात्रों का सीखना सबसे ज्यादा मायने रखता है। ऐसे में एक छात्र को पूरा सम्मान मिलता है ताकि छात्र आत्मविश्वास के साथ कक्षा में अपनी बात बग़ैर किसी झिझक व संकोच के कह सकें।
सीखने का बेहतर माहौल छात्रों को प्रदान करने के लिए कक्षा-कक्ष में शिक्षण कार्य सुचारु रुप से चलाने के लिए छात्रों की बैठक व्यवस्था और कक्षा-कक्षों में साफ-सफाई का होना भी जरूरी है। गंदे और आपाधापी वाले माहौल में किसी छात्र के लिए अपने शिक्षण के ऊपर ध्यान केंद्रित करना संभव नहीं रह जाता है। ऐसे में जरूरी है कि कक्षा शिक्षण को सुचारू ढंग से चलाने के लिए बुनियादी माहौल उपलब्ध हो साथ ही नई शिक्षा नीति में ऐसी शिक्षा का समावेश होना चाहिए जिसमें प्रत्येक छात्र की बहुआयामी क्षमताओं का समान रुप से संपूर्ण विकास  हो सकें।

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