खलंगा वन क्षेत्र में पेड़ कटान की आशंका पर भड़का जनआक्रोश, पर्यावरण प्रेमियों ने उठाई जांच की मांग

देहरादून। खलंगा वन क्षेत्र के हल्दुआम में पर्यावरण प्रेमियों और नागरिक संगठनों का आक्रोश एक बार फिर “खलंगा बचाओ आंदोलन” की याद दिला गया। आक्रोशित लोगों ने जमकर नारेबाजी की।
इस बार मुद्दा था रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में लगभग 40 बीघा भूमि पर भू-माफिया द्वारा कैंपिंग साइट तैयार करने का प्रयास। यहां लोहे के गेट, एंगल, तारबाड़ निर्माण और पेड़ों के संभावित कटान को लेकर स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी देखने को मिली।
उच्च अधिकारियों के निर्देश पर डीएफओ अमित कंवर रेंज अधिकारियों और राजस्व विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे। वहां अभिलेखों का अध्ययन किया गया। प्रारंभिक जांच में मामला संदिग्ध पाया गया।
गौरतलब है कि पहले भी इसी क्षेत्र में प्रस्तावित सोंग बांध परियोजना के लिए 2 हजार से अधिक पेड़ों के कटान का विरोध हो चुका है। अब पुनः पर्यावरण प्रेमियों द्वारा इस भूमि के संदिग्ध स्वामित्व को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि जब चारों ओर रिजर्व फॉरेस्ट है तो बीच की भूमि निजी कैसे हो सकती है।
सिटीजन फॉर ग्रीन दून, संयुक्त नागरिक संगठन, बलभद्र खालंगा विकास समिति समेत कई जागरूक संगठनों की मांग पर अधिकारियों ने इसे “गंभीर जांच का विषय” बताते हुए विस्तृत जांच कराने का निर्णय लिया।
नागरिकों ने इस मौके पर देहरादून में भू-माफिया से अधिग्रहित 900 बीघा भूमि की सरकारी कार्रवाई की सराहना करते हुए मांग की कि खलंगा प्रकरण की भी तह तक जांच होनी चाहिए।
इस विरोध में शामिल प्रमुख जागरूक नागरिकों में जया सिंह, ईरा चौहान, आशीष गर्ग, अवधेश शर्मा, प्रद्युमन सिंह, पंकज उनियाल, परमजीत सिंह कक्कड़, कैप्टन वाई बी थापा, कैप्टन विक्रम सिंह थापा, मनीषा रतूड़ी, दीपशिखा रावत, वाई एस नेगी, मनीष मित्तल, मेजर एम.एस. रावत, परमेंद्र सिंह बर्थवाल, एस एस गोसाई, रविंद्र सिंह गोसाई, सागर नौटियाल, रोशन सिंह, यशवीर आर्य, नीरा रावत, अंकित रोथाण, श्रद्धा चौहान, युद्धवीर गोसाई, इंद्रेश नौटियाल, आभा भटनागर, मनीष, महेश असवाल, जनसंवाद और अन्य शामिल रहे।