सूबे की वो विधानसभाएं जहाँ से कभी नहीं हारी कांग्रेस, भाजपा और बसपा
देहरादून : उत्तराखंड के पिछले तीन विधानसभा चुनाव इस बात के गवाह हैं कि कोई भी सरकार दुबारा सत्ता में नहीं आ पाई है। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि राज्य में तमाम ऐसी सीटें हैं जोकि सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भाजपा का अभेद गढ रही हैं। इतना ही नहीं दो सीटें ऐसी भी हैं, जहां ये दोनों पार्टियां एक बार भी बहुजन समाज पार्टी को मात देने में सफल नहीं हो पाई हैं।
भले ही उत्तराखंड के मतदाता पांच साल देखने के बाद सत्ताधारी पार्टी को अगली बार सरकार बनाने का मौका ना देते हों लेकिन मजेदार बात ये है कि डेढ दर्जन सीटें ऐसी हैं, जिनमें ज्यादातर कांग्रेस और भाजपा और दो सीटें अदद बहुजन समाज पार्टी का अभेद किला रही हैं। यानि संबधित सीटों पर पिछले तीन चुनावों के दौरान इन पार्टियों के प्रत्याशी कभी नहीं हारे। आईए सबसे पहले बात करते हैं, उन सीटों की जिन पर भारतीय जनता पार्टी कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई यानि यें सीटें कांग्रेस का अभेद गढ़ रही हैं।
इन सीटों पर कभी नहीं हारी कांग्रेस
जसपुर
द्वारहाट
जागेश्वर
धारचूला
टिहरी
देवप्रयाग
पौडी
चकराता
धर्मपुर
भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला का कहना है कि ये सच है कि पार्टी इन सीटों पर कभी नहीं जीत पाई, लेकिन उसने इस बार कांग्रेस को धराशायी करने की रणनीति बनाई है।
ये रही बात उन सीटों की जहां राज्य गठन के बाद भारतीय जनता पार्टी कभी भी कांग्रेस प्रत्याशियों को शिकस्त नहीं दे पाई। लेकिन करीब आधा दर्जन ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं। जहां कांग्रेस को जीत नसीब हीं नहीं हुई। यानि उत्तराखंड में ये सीटें भारतीय जनता पार्टी के लिए अभेद किले से कम नहीं हैं।
ये हैं भाजपा के मजबूत गढ़
काशीपुर
हरिद्वार शहर
कैंट जो कि राजधानी देहरादून में पहले देहराखास का हिस्सा थी
डीडीहाट
यमकेश्वर
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि ये सच है कि है हमारी पार्टी को इन सीटों पर कभी जीत हासिल नहीं हुई लेकिन इस बार संबधित सीटों पर बीजेपी विधायकों के खिलाफ माहौल है। उनका दावा है कि मौजूदा सरकार के विकास कार्यों के सहारे कांग्रेस जीत दर्ज करेगी।
ये कहानी थी पिछले तीन चुनावों के दौरान कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अभेद गढ रही सीटों की। लेकिन कुछ एक ऐसी सीटें ऐसी भी हैं जहां ये दोनों पार्टियों के उम्मीदवार भी नहीं जीत पाए। जिनमें हरिद्वार जिले की मंगलौर और लंढौरा एवं झबरेडा हैं। जहां लगातार बहुजन समाज पार्टी ने फतेह हासिल की है। हालांकि कुछ सीटों का पिछले परिसीमन के बावजूद प्रभाव खत्म हो गया था, लेकिन वहीं कांग्रेस, भाजपा और बीएसपी का प्रभाव कायम रहा।