सावधान : लॉक डाउन भले ही चला गया हो वायरस नहीं गया : प्रधानमंत्री
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जनता कर्फ्यू से लेकर आज तक हम सभी भारतीयवासियों ने बहुत लंबा सफर तय किया है। जीवन को गति देने के लिए हम रोज घरों से बाहर निकल रहे हैं। त्योहारों के मौसम में बाजारों में भी रौनक लौट रही है। लेकिन हमें यह भूलना नहीं है, कि लॉकडाउन भले ही चला गया हो, वायरस नहीं गया है। भारत आज जिस संभली हुई स्थिति में है, हमें उसे बिगड़ने नहीं देना है और अधिक सुधार करना है।
आज देश में रिकवरी रेट अच्छी है, मृत्यु दर कम है। भारत में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर करीब साढ़े पांच हजार लोगों को करोना हुआ है, वहीं अमेरिका और ब्राजील में यह आंकड़ा 25 हजार है। भारत में प्रति 10 लाख लोगों पर मृत्यु दर 83 है, जबकि ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों में यह आंकड़ा 600 के पार है। दुनिया के सुविधासंपन्न देशों की तुलना में भारत अधिक नागरिकों की जान बचाने में सफल रहा है।
भारत में आज 90 हजार से अधिक बेड, 12 हजार क्वारंटाइन सेंटर, कोरोना टेस्टिंग की करीब 2 हजार लैब, देश में टेस्टिंग की संख्या जल्द ही 10 करोड़ के आकंडे को पार कर जाएगी। कोरोना महामारी के खिलाफ टेस्टिंग संख्या हमारी ताकत रही है। सेवा परमो धर्म: के मंत्र पर चलते हुए हमारे स्वास्थ्य कर्मी इतनी बड़ी आबादी की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं। इन सभी प्रयासों के बीच यह समय लापरवाह होने का नहीं है। यह समय यह मान लेने का नहीं है कि कोरोना चला गया है। हमने बहुत सी तस्वीरें वीडियो देखी हैं, जिनमें दिखता है कि बहुत से लोगों ने या तो सावधानी बरतना बंद कर दिया है या ढिलाई बरत रहे हैं। यह ठीक नहीं है। यदि आप लापरवाही बरत रहे हैं, यदि बिना मास्क निकल रहे हैं तो आप अपने आप को अपने परिवार के बच्चों, बुजुर्गों को उतने ही बड़े संकट में डाल रहे हैं।
आज अमेरिका हो या यूरोप के दूसरे देश, इन देशों में कोरोना के मामले कम हो रहे थे, लेकिन अचानक से तेजी से बढ़ने लगे हैं। संत करीब दास जी ने कहा है कि पकी खेती देखिके, गरब किया किसान, अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान, कई बार पकी हुई फसल देखकर ही आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि काम हो गया, लेकिन जब तक फसल घर ना आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए। यानी जब तक सफलता पूरी ना मिल जाए, लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
जब तक इस महामारी की वैक्सीन नहीं बन जाती, हमें कोरोना से अपनी लड़ाई को रत्तीभर भी कमोजर नहीं पड़ने देना है। वर्षों बाद हम ऐसा होते देख रहे हैं कि मानवता को बचाने के लिए पूरी दुनिया में काम हो रहा है। अनेक देश इसके लिए काम कर रहे हैं। हमारे देश के वैज्ञानिक भी वैक्सीन के लिए जी जान से जुटे हैं। भारत में कई वैक्सीन पर काम चल रहा है, इसमें से कई अडवांस स्टेज में है। कोरोना की वैक्सीन जब भी आएगी यह देश के सभी नागरिकों तक जल्दी से पहुंचे इसके लिए सरकार काम कर रही है। रामचरित मानस में बहुत ही शिक्षाप्रद बात है, साथ ही अनेक प्रकार की चेतावनियां भी हैं। जैसे- रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि यानी आग, शत्रु, पाप यानी गलती और बीमारी इन्हें कभी छोटा नहीं समझना नहीं चाहिए। जब तक पूरा इलाज ना हो इन्हें छोटा नहीं समझना चाहिए। यानी जब तक दवाई नहीं दब तक ढिलाई नहीं।
त्योहारों का समय हमारे जीवन में खुशियों का समय है, उल्लास का समय है। एक कठिन समय से निकलकर हम आगे बढ़ रहे हैं, थोड़ी सी लापरवाही हमारी गति रोक सकती है, हमारी खुशियों को धूमिल कर सकती है, जीवन की जिम्मेदारियों को निभाना और सतर्कता, ये दोनों साथ चलेंगी, तभी खुशियां बनी रहेंगी। दो गज की दूरी और समय-समय पर साबुन से हाथ धोना और मास्क लगाना, इसका ध्यान रखिए। मैं आपको सुरक्षित देखना चाहता हूं। ये त्योहार आपके जीवन में उमंग भरे ऐसा वातावरण चाहता हूं। इसलिए मैं बार-बार हर देशवासी से आग्रह करता हूं। मैं मीडिया और सोशल मीडिया में सक्रिय लोगों से अपील करता हूं कि आप जागरूकता के लिए जितना जागरूक करेंगे यह देश की सेवा होगी। प्यारे देशवासियों, स्वस्थ रहिए, तेज गति से आगे बढ़िए और हम सब मिलकर देश को भी आगे बढ़ाएंगे, इन्हीं शुभकामनाओं साथ नवरात्र, दशहरा, ईद, दीपावली, छठ पूजा, गुरुनानक पर्व सहित सभी त्योहारों की सभी देशवासियों को बधाई देता हूं।