आठ जून को दोनों देशों के बीच जनरल स्तर पर हुई थी वार्ता
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली। मई के शुरुआती सप्ताह से ही एलएसी पर चीनी सैनिकों की गतिविधियों को लेकर तनाव का माहौल था। वहीं,सूत्रों के अनुसार चीनी गतिविधियों के शुरू होने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगी जिनमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय सेना के अधिकारी शामिल थे। उस समय, सेना ने प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगियों को गलवन घाटी में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के पास एलएसी पर चीनी सेना की गतिविधियों और अन्य बिंदुओं पर जानकारी दी थी।
सूत्रों के अनुसार सेना 14 कोर मुख्यालय स्तर पर चीनी गतिविधियों की निगरानी कर रही थी और उस दिन से ही अपने आक्रामक हमले का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया था। सूत्रों ने उन सुझावों को खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था कि तैयारियों में कमी है। जिसके कारण चीन ने लद्दाख में एलएसी के साथ निर्माण करने की अनुमति दी है, अगर सैनिकों को तैयार और तैनात नहीं किया गया होता तो चीनी दूसरे क्षेत्रों में जाने में सक्षम होते।
वहीं, सरकारी के सूत्रों के अनुसार, पूर्वी लद्दाख में कई जगहों पर भारत और चीन के बीच तनातनी खत्म हुई है। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने गलवान, पेट्रोलिंग पॉइंट 15 और हॉट स्प्रिंग इलाके से अपने जवान और लड़ाकू वाहन 2.5 किमी तक पीछे हटाए हैं। भारत ने भी अपने कुछ जवानों को पीछे हटाया हैं।
गौरतलब हो कि दोनों पक्षों के सैनिकों ने पिछले आठ जून को आयोजित लेफ्टिनेंट जनरल-स्तरीय वार्ता के बाद पेट्रोलिंग पॉइंट 14 (गलवन घाटी), पीपी 15 (114 ब्रिगेड क्षेत्र) और पीपी 17 (हॉट स्प्रिंग्स) के साथ अपने स्टैंड-ऑफ स्थानों से विस्थापन किया है। चुशुल में पहले से ही उन क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर तौर तरीकों पर चर्चा करने के लिए जहां पहले विवाद शुरू हुआ था।