उत्तराखंड के स्टार्टअप गोहेम्प एग्रोवेंचर्स को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया सम्मानित
उत्तराखंड के यमकेश्वर में इंडस्ट्रियल हेंप आधारित रिसर्च देश में उत्कृष्ट कार्य करने एवं ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज में हुई विजयी
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्टार्टअप गोहेम्प एग्रोवेंचर्स टीम को दी बधाई
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड प्रदेश के यमकेश्वर ब्लॉक के कंडवाल गाँव में विगत ढाई साल से रहकर इंडस्ट्रियल हेम्प पर रिसर्च करने वाले स्टार्टअप गोहेम्प एग्रोवेंचर्स ने देश व विदेश के टॉप पाँच विजेताओं में अपनी जगह बनाई है। गोहेम्प स्टार्टअप द्वारा उत्तराखंड में हेंप पौधे से भवन निर्माण सामग्री बनाने पर रिसर्च की जा रही है। इन्होंने हेंप की लकड़ी, चूने एवं विभिन्न मिनरल्स के मिश्रण से बिल्डिंग इंसुलेशन मटेरियल तैयार किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक वीडियो कार्यक्रम के दौरान देश की पांच संस्थाओं को सम्मान से नवाज़ा है जिसमें उत्तराखंड में इंडस्ट्रियल हेम्प पर रिसर्च करने वाले स्टार्टअप गोहेम्प एग्रोवेंचर्स ने टॉप पाँच विजेताओं में अपनी जगह बनाई है। वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्टार्टअप गोहेम्प एग्रोवेंचर्स टीम को दी बधाई देते हुए उनके इस शोध को उत्तराखंड के लिए सम्मान बताते हुए कहा कि यह शोध विकास के मार्ग में मील का पत्थर साबित होगा।
गौरतलब हो कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का विज़न है कि 2022 तक भारत के प्रत्येक नागरिक के पास रहने का घर हो। लेकिन इतने बड़े सपने को साकार करने हमारा देश वर्तमान में प्रचलित टेक्नोलॉजी पर ही केवल निर्भर नहीं रह सकता। इसलिए यह जानते हुए मोदी जी के नेतृत्व में मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स द्वारा ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज आयोजित किया गया। इस प्रतियोगिता में देश और विदेश की टीमों ने विभिन्न केटेगरी में कई संस्थानों और स्टार्टअप संस्थानों ने भाग लिया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रक्रिया के अगले चरण में, विभिन्न स्थानों पर 6 लाइट हाउस परियोजनाओं का काम आज से शुरू हो रहा है। ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट आधुनिक तकनीक और नवीन प्रक्रियाओं से बने होंगे और निर्माण के समय को कम करेंगे और गरीबों के लिए अधिक लचीले, किफायती और आरामदायक घर बनाएंगे। उन्होंने बताया कि इन लाइट हाउसों में निर्माण प्रौद्योगिकी में नवाचार हैं।
गोहेम्प स्टार्टअप द्वारा उत्तराखंड में हेंप के पौधे से भवन निर्माण सामग्री बनाने पर रिसर्च की जा रही है। जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी सराहा है। इन्होंने हेंप की लकड़ी, चूने एवं विभिन्न मिनरल्स के मिश्रण से बिल्डिंग इंसुलेशन मटेरियल तैयार किया है। उल्लेखनीय है कि यह तकनीक प्राचीन भारत में भी प्रयोग की जाती थी एवं इसका उपयोग एलोरा की गुफाओं में भी देखने मिला है।
गोहेम्प की नम्रता कंडवाल का मानना है कि उत्तराखंड प्रदेश हेम्प की फसल के वेस्ट से भवन निर्माण सामग्री बनाकर, दूसरे राज्यों पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है। यह इनोवेटिव मटेरियल हल्का है, कमरे को गर्मी में ठंडा एवं ठंड में गरम रखता है, इतना ही नहीं चूने के उपयोग के कारण यह अग्नि रोधक भी है,और एंटीबैक्टीरियल एवं एन्टीफंगल भी है।
उन्होंने बताया कि यह नमी का भी रेगुलेटर है जिससे इसमें सीलन इत्यादि की समस्या कम आती है और सबसे खास बात है कि चूने का उपयोग होने से इसकी उम्र कई सौ साल है एवं सीमेंट टेक्नोलॉजी से उलट इससे बनाई गई इमारतें समय के साथ कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर मज़बूत होती जाती हैं। इससे भवन के अंदर की एयर क्वालिटी बेहतर बनती है।
उन्होंने कहा हेंप से उत्तराखंड में भवन निर्माण किया जाना चाहिए जिससे आने वाले समय में हेम्प के किसानों की आय बढ़ेगी,और उनके वेस्ट का समुचित मैनेजमेंट होगा, एवं प्रदेश का पैसा प्रदेश में ही रहेगा। इस टेक्नोलॉजी में रॉ मटेरियल को उगाया जा सकता है जिससे भवन निर्माण में खपने वाले नॉन रिन्यूएबल प्राकृतिक संसाधनों जैसे नदी की रेत, उपजाऊ मिट्टी, पानी के संरक्षण में बल मिलेगा एवं निर्माण सेक्टर से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगेगी।