- मेले के दौरान बाबा केदार का मंदिर रातभर भक्तों के दर्शनार्थ खुलेगा
- मान्यता है कि नए अनाज में पाए जाने वाले विष को भोलेनाथ स्वयं ग्रहण करते हैं
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
गुप्तकाशी : नए अनाज से बाबा केदार के स्वयंभू लिंग पर लगाने की परम्परा सदियों पुरानी चली आ रही है जिसे अन्नकूट या ”भतूज” कहा जाता है। इस बार भी केदारनाथ धाम में रक्षाबंधन से पहली रात यह मेला शुरू होगा और सोमवार तक मनाया जायेगा। मंदिर समिति सहित मंदिर से जुड़े सभी हकहकूकधारियों द्वारा अन्नकूट मेले की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। परम्परानुसार इस दिन केदारनाथ में स्वयंभू लिंग पर नए अनाज का लेप एवं शृंगार दर्शन किये जाते हैं । इस बार यह मेला शनिवार रात नौ बजे से शुरू होकर सोमवार सुबह चार बजे तक चलेगा। वहीं, विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी समेत अन्य कई स्थानों पर भी इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है।
गौरतलब हो कि प्रतिवर्ष रक्षाबंधन से एक दिन पूर्व केदारनाथ मंदिर में अन्नकूट मेला ‘भतूज’ धूमधाम से मनाए जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस बार रक्षाबंधन 26 अगस्त को पड़ रहा है। मेले में सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी भगवान शिव के स्वयंभू लिंग की विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। इसके पश्चात नए अनाज झंगोरा, चावल, कौणी आदि के लेप से स्वयंभू लिंग का शृंगार किया जाएगा। मंदिर समिति के पदाधिकारियों सहित सभी भक्त सुबह चार बजे तक शृंगारित स्वयंभू लिंग के दर्शन कर सकेंगे। बाद में भगवान को लगाए गए अनाज के इस लेप को मंदाकिनी नदी में विसर्जित कर दिया जाएगा।
मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद अगले दिन भगवान की नित्य पूजा-अर्चना के बाद दर्शनों का सिलसिला आरंभ होगा। मान्यता है कि नए अनाज में पाए जाने वाले विष को भोलेनाथ स्वयं ग्रहण करते हैं। इसलिए प्रतिवर्ष इस त्योहार को मनाने की परंपरा है। वहीँ विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, घुणेश्वर महादेव व कोलेश्वर महादेव ऊखीमठ में भी अन्नकूट मेले की परंपरा का निर्वहन किया जाता रहा है। श्री बदरी-केदार मंदिर समिति के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी के अनुसार अन्नकूट मेले को लेकर समिति तैयारियां शुरू हो गई है। इस मेले के दौरान बाबा केदार का मंदिर रातभर भक्तों के दर्शनार्थ खुला रहेगा।