- NH-74 मुआवजा घोटाला मामला ……
- एसआईटी जाँच के बाद अब शासकीय जाँच की आंच !
- सरकार ढिलाई पर भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पर जनता को क्या देगी जवाब!
राजेन्द्र जोशी
DEHRADUN : NH-74 मुआवजा घोटाले की आंच की आंच में झुलस रहे दो आईएएस अधिकारियों को अब दो – दो जांचों से गुज़रना होगा। यह हम नहीं जांच के दस्तावेज बोल रहे हैं। एसआईटी द्वारा की जा रही पहली जांच तो जहाँ लगभग अंतिम चरण में पहुँच गयी है और वह अभियोजन की तैयारी में है वहीँ अब शासनस्तर से भी इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ मामले से सम्बंधित एक और शुरू हो गयी है क्योंकि दोनों आईएएस अधिकारियों को राज्य सरकार के कार्मिक विभाग से जो पत्र सौंपा गया है उसमें कहीं भी एसआईटी जांच का उल्लेख नहीं है यानि जो पत्र इन दोनों अधिकारियों को सौंपा गया है उससे अब यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि शासनस्तर से भी सम्बंधित मामले में जांच की कार्रवाही कहीं न कहीं गतिमान है।
गौरतलब हो कि त्रिवेन्द्र सरकार के सत्ता में आने के बाद NH-74 मुआवजा घोटाले के मामले में एसआईटी पांच पीसीएस अफसरों सहित 18 अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को अब तक जेल भेज चुकी है। एसआईटी ने अब आर्बिट्रेशन प्रोसेस की जांच करते हुए तत्कालीन समय में उधमसिंहनगर जनपद में तैनात रहे जिलाधिकारियों से पूछताछ भी की है । क्योंकि मामले की जांच में एसआईटी को यह भी पता चला है आर्बिट्रेशन में दोनों अधिकारियों द्वारा काफी कुछ अनियमिततायें बरती गयी है। जिसका खुलासा तत्कालीन मंडलायुक्त सेंथिल पांडियन की रिपोर्ट में भी हो चुका है। इसके बाद एसआईटी इन दोनों अधिकारियों से पिछली 12 अगस्त को सवाल -जवाब भी कर चुकी है। अब चर्चा यह भी है कि एसआईटी अब पूछे गए सवालों के आधार पर एक और रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजने की तैयारी में है। इससे साफ़ यही कि इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी के पास पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं जिनके आधार पर एसआईटी ने दोनों साहिकारियों पर अपना सिकंजा कस दिया है।
वहीँ एसआईटी की जांच में इस तथ्य का भी खुलासा हुआ है कि जांच में सामने आये दो आईएएस अधिकारियों के कारण सरकार को लगभग 213करोड़ रुपयों का चूना लगा है। सूत्रों के अनुसार एएसआइटी अब इस बात की जानकारी जुटाने में जुटी हुई है कि सरकार को हुए नुकसान की इस रकम को किन-किन अधिकारियों और कर्मचारियों सहित किन किसानों के बीच बांटा गया है। उल्लेखनीय है कि एनएच -74 मुआवजा घोटाले से जुड़े मामलों में एनएचएआई द्वारा करीब 213 करोड़ रुपये मुआवजा वितरण की अनियमितताएं कागजों में मिलने पर पिछले महीने एसआईटी ने तीन तत्कालीन दो प्रोजेक्ट डायरेक्टर और एक अतिरिक्त प्रोजेक्ट डायरेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट तैयार कर उत्तराखंड शासन को भेजी थी। इसके बाद उक्त अधिकारियों को जांच में बयान देने के लिए नोटिस भी भेजा गया था।
नोटिस के आधार पर एसआईटी कार्यालय पहुंचे तत्कालीन पीडी अशोक कुमार से एसआईटी ने पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए। बताया जा रहा है कि वर्ष 2015-16 में किच्छा तहसील के बरा गांव में किए गए भूमि अधिग्रहण के मामलों में पीडी अशोक कुमार से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए। इससे पहले भी एसआईटी दो बार अशोक कुमार से पूछताछ कर चुकी है। वहीँ गलत तरीके से मुआवजा लेने वाले किसानों के खिलाफ भी एसआईटी मामला दर्ज करने की तैयारी में है जिन्होंने अधिकारियों से सेटिंग करके अपनी जमीनों का कई गुना कीमत मुआवजा लेकर अपनी और अधिकारियों की जेबें भरी हैं।
वहीँ अब मामले में चर्चित रहे अधिकारियों को दिए जा रहे नोटिसों के सिलसिले में एक बात की संभावना तो साफ़ नज़र आ रही है कि दोनों अधिकारियों पर एक तरफ जहाँ एसआईटी का सिकंजा कसता जा रहा है वहीँ दूसरी तरफ प्रदेश सरकार भी इन दोनों अधिकारियों को बख्शने के मूड में नहीं है। हालाँकि मामले में चर्चित दोनों आईएएस अधिकारी आईएएस एसोसिएशन को ढाल बनाकर और एसोसिएशन के माध्यम से प्रदेश सरकार पर दबाव बनाकर अपने को बचाने की जुगत में हैं लेकिन प्रदेश में काबिज भाजपा सरकार की मुश्किल यह है कि यदि वह इन दोनों अधिकारियों को बचाने का प्रयास करती है तो उसके पास भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पर जनता को क्या जवाब देगी। वहीँ प्रदेश में चर्चित आईएएस अधिकारियों के खिलाफ बन रहे माहौल को देखते हुए भी राज्य सरकार की हिम्मत नहीं कि वह इस अब इतने आगे तक बढ़ चुके इस मामले की आंच में जानबूझकर अपने हाथ झुलसाएगी।