UTTARAKHAND

पर्वतीय इलाकों में चकबंदी के लिए माहौल बनाने की तैयारी

राजस्व विभाग सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से तैयार कर रहा है थ्री डी मैप तैयार 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में 108 और ऊधमसिंहनगर के 50 गांवों में चल रही चकबंदी  के बीच सरकार ने अब पर्वतीय इलाकों में चकबंदी के लिए माहौल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। सूबे के पर्वतीय जिलों में कृषि भूमि की चकबंदी के लिए सरकार थ्री डी मैपिंग कराए जाने की तैयारी इसी योजना का पहला कदम है । इससे कृषि भूमि के खसरा नंबर की वास्तविक स्थिति का पता लग सकेगा। राजस्व विभाग सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से थ्री डी मैप तैयार कर रहा है। पहाड़ों में चकबंदी न होने के कारण सरकार की अनुबंध खेती की योजना भी सिरे नहीं चढ़ रही है। पौड़ी जनपद के पांच गांवों में भी अभी तक चकबंदी नहीं हो पाई है। इन गांवों में ड्रोन के जरिये एरियल सर्वे कराया जाएगा।

वर्तमान में उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में 108 और ऊधमसिंहनगर के 50 गांवों में चकबंदी चल रही है। पर्वतीय जिलों की बात करें तो पौड़ी जिले के केवल चार गांवों तक ये मुहिम सिमटी है। वह भी ग्रामीणों के स्वैच्छिक रूप से चकबंदी को अपनाने की सहमति के बाद। इनमें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का पैतृक गांव खैरासैण, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का गांव औणी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का धैड़गांव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गांव पंचूर शामिल हैं।

इन चार गांवों को छोड़ पहाड़ के अन्य गांवों को चकबंदी की मुहिम का इंतजार है। हालांकि, पूर्व में सरकार ने चकबंदी एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की नियमावली में संशोधन किया। ये तक प्रविधान किया कि यदि किसी गांव में 20 किसान भी चकबंदी को रजामंद होते हैं तो इसे कानूनीजामा पहनाया जाएगा। फिर भी बात आगे नहीं बढ़ी। पहाड़ में चकबंदी की राह में सबसे बड़ी दिक्कत भूमि के अभिलेखों की है। कई जगह भूमि के किसी के नाम और काबिज कोई और है। बिखरी जोत का समान बंटवारा कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। कई जगह प्रवासियों की भूमि का पता नहीं चल पा रहा। ऐसी तमाम अड़चनों के मद्देनजर सरकार ने पहाड़ में अनिवार्य चकबंदी से फिलहाल हाथ खींचे हैं। अपर सचिव एवं चकबंदी आयुक्त बीएम मिश्र के अनुसार भूलेखों से जुड़ी दिक्कतें जल्द होने वाले राजस्व सर्वे में दूर हो जाएंगी। इससे भूमि की तस्वीर साफ हो जाएगी। साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में चकबंदी के फायदों के बारे में व्यापक जनजागरण भी किया जाएगा।

पहाड़ में चकबंदी के प्रति समझ विकसित करने को मुहिम शुरू की जाएगी। दो लाख एकड़ भूमि पर विकसित हो रहे 3900 क्लस्टरों में कलेक्टिव फार्मिग को भी अप्रत्यक्ष चकबंदी के रूप में देखना चाहिए। हम इसके जरिये लोगों को चकबंदी के फायदे बताएंगे।

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