प्रेमचंद अग्रवाल चौथी विधानसभा के अध्यक्ष बने
डा. इंदिरा हृदयेश ने ली विधायक की शपथ
देहरादून। भाजपा विधायक प्रेमचंद अग्रवाल राज्य की चौथी विधानसभा के स्पीकर होंगे। स्पीकर पद के चुनाव की नामांकन प्रक्रिया में एकमात्र नामांकन उन्होंने ही किया। इससे अब उन्हें निर्विरोध स्पीकर चुन लिया गया है। विधानसभा में इसकी विधिवत घोषणा की गई। घोषणा के बाद अध्यक्ष प्रेमचंद ने गुरुवार को अपना कार्यभार संभाल लिया।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया था। नामांकन प्रक्रिया में एकमात्र नामांकन आने के कारण अग्रवाल को निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। उत्तराखंड की नवगठित विधानसभा का प्रथम सत्र शुक्रवार 24 मार्च से शुरू हो रहा है। इससे पहले स्पीकर का चुनाव कर लिया गया है। भाजपा विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने कल ही विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया था। हालांकि कांगे्रस की ओर से विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल न कराए जाने के बाद से ही प्रेमचंद अग्रवाल को निर्विरोध स्पीकर चुन लिया जाना तय माना जा रहा था।
वहीं अब डिप्टी स्पीकर पद के लिए चुनाव बाकि रह गया है। बता दें कि भाजपा में विधानसभा अध्यक्ष पद के कई दावेदार थे। इनमें प्रोटेम स्पीकर हरबंश कपूर, पूर्व मंत्री बिशन सिंह चुफाल और बंशीधर भगत का नाम चल रहा था मगर अंत में प्रेमचंद्र अग्रवाल के बुधवार को स्पीकर पद के लिए नामांकन कराए जाने के बाद स्थिति साफ हो चुकी थी। के नाम पर लगी। कैबिनेट मंत्री डा$ हरक सिंह रावत ने विधानसभा में धन्यवाद प्रस्ताव रखा, वहीं डा$ हरक सिंह ने स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल को धन्यवाद दिया।
वहीँ प्रेमचंद के नामांकन से कैंट विधायक और पूर्व विस अध्यक्ष नाराज दिखाई दिए थे। हरबंस कपूर की नाराजगी के बावजूद प्रेमचंद अग्रवाल को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया है। ऋषिकेश के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल का जन्म 12 अप्रैल 1960 को डोईवाला में हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा डोईवाला में हुई। वह स्नातकोत्तर हैं और उन्होंने कानून की शिक्षा भी ग्रहण की है।
विद्यार्थी परिषद से लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े रहे अग्रवाल युवावस्था से ही सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे। नौजवान साथियों के संग गरीब बच्चों को मुफ्त ट्यूशन पढ़ाने का उन्होंने क्षेत्र अभियान भी चलाया था, आरएसएस पृष्ठभूमि से जुड़े प्रेम ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र से 2007 में पहला चुनाव जीते। फिर 2012 में उन्होंने चुनाव जीता और उसके बाद एक फिर निर्वाचित होकर विस पहुंचे हैं।
इस दौरान अग्रवाल ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए एक-एक कर सदस्यों को बोलने को बुलाया तो सदस्यों में वरिष्ठतम कांग्रेस की डा. इंदिरा हदयेश ने कहा कि अध्यक्ष पीठ संख्या बल के आधार पर सदन संचालन नहीं करती। उन्होंने इस विडंबना की ओर भी संकेत किया कि भले ही विधानसभा अध्यक्ष को सर्वाधिकार हो और उसका नाम अंग्रेजी में स्पीकर हो, लेकिन वे सदन में सबसे कम बोलते हैं।
कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने कटाक्ष किया कि निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कंुजवाल ने साबित किया कि यह पीठ कितनी ताकतवर है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के हस्ताक्षरों से हम साल भर सदन से बाहर रहे और मामला आज भी सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। हालांकि जनता ने बता दिया कि ’न खाता न बही, जो मैं कहूं, वही सही’ को इस बीच सही कर भी दिया है।
भाजपा के वरिष्ठ विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि आज के सदन से कई इतिहास बन रहे हैं जिनमें एक यह भी है कि इस समय सदन के सभी पूर्व अध्यक्ष प्रकाश पंत, यशपाल आर्य, हरबंस कपूर तथा गोविन्द सिंह कुंजवाल मौजूद हैं । उन्होंने अध्यक्ष के सदन में सर्वाधिकार पर भी टिप्पणी की कि उन्हें सर्वाधिकार सदन ही सौंपता है। फिर यह पीठ पर बैठने वालों पर निर्भर है कि वे क्या बैंच मार्क सैट करते हैं ? उन्होंने भारतीय संसदीय परंपरा को ब्रिटिश पार्लियामेंट से निसृत मानने से इंकार करते हुए कहा कि वैदिक काल से राजा का निर्वाचन होता रहा है और उसमें सभा से अयोग्य को हटाया जाना भी पाते हैं। उन्होने सीख भी दी कि कुछ लोगों की पद से गरिमा बनती है तो कुछ ही ऐसे होते हैं जिनसे पद की गरिमा बढती है।
कैबिेनेट मंत्री यशपाल आर्य ने उनके संस्कारवान परिवार से होने का उल्लेख किया तो उनके विधायक पुत्र संजीव आर्य ने आज शहीद दिवस पर उत्तराखंड आंदोलन के भी बलिदानियों को याद करते हुए अपेक्षा की कि अध्यक्ष नये सदस्यों के क्षेत्रीय समस्याओं संबंधित सवालों का अतिरिक्त संवेदनशीलता से लेंगें।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने अध्यक्ष पीठ को विक्रमादित्य का सिंहासन बताया। अन्य वक्ताओं में कांग्रेस विधायक राजकुमार भी थे जो हाथ आया कोई भी ऐसा अवसर नही गंवाते कि वे कभी भाजपा के प्रदेश मंत्री और विधायक रह चुके हैं। आज भी उन्होंने जिक्र कर ही डाला कि जब वे प्रदेश भाजपा में थे तो प्रेमचंद अग्रवाल जिला स्तरीय पदाधिकारी थे।
इस दौरान कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, अरविन्द पांडे, सतपाल महाराज, भाजपा के गणेश जोशी, खजान दास, बिशन सिंह चुफाल, महेंद्र भट्ट, निर्दलीय त्रिवेंद्र सिंह पंवार व रामसिंह कैडा ने भी अपने विचार व्यक्त किये। सदन में आज केवल तीन ही कांग्रेस विधायक नजर आये। इनमें गोविन्द सिंह कुंजवाल भी थे।
उधर शपथ बुधवार को शपथ नहीं ले सकीं एकमात्र कांग्रेस विधायक डा. इंदिरा हृदयेश ने आज विधायक की शपथ ली। इस तरह अब सभी 70 विधायकों ने शपथ ले ली है।