मनीष खंडूरी पर भाजपा – कांग्रेस में राजनीतिक घमासान !

- भाजपा में घमासान तो खंडूरी परिवार में भी मचा घमासान!
- भाजपा ने की रणनीति में परिवर्तन करने की योजना पर काम शुरू!
- भाजपा की किसी कद्दावर ठाकुर नेता को मैदान में उतारने की योजना!
- राहुल की रैली के बाद कांग्रेस करेगी आक्रमक रणनीति पर काम!
देहरादून : भाजपा सांसद व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी (सेवानिवृत्त) के पुत्र मनीष खंडूड़ी शनिवार को कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली के दौरान कांग्रेस में शामिल होंगे। मनीष की ज्वाइनिंग को लेकर बने सस्पेंस के बीच कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने इसकी पुष्टि की है। वहीँ मनीष खंडूरी द्वारा कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद भाजपा ने राजनीतिक समीकरण बदले जानें की स्थिति में अपनी रणनीति में परिवर्तन करने की योजना बना डाली है सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक भाजपा अब गढ़वाल सीट से किसी कद्द्वर ठाकुर नेता को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है अब ये ठाकुर नेता कौन होगा अगले दो दिनों में साफ़ हो जायेगा।
गौरतलब हो कि पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी (सेवानिवृत्त) के पुत्र की कांग्रेस की सदस्यता को लेकर इससे पहले यह तय हुआ था कि मनीष दिल्ली में ही ज्वाइन करेंगे, लेकिन आखिरी समय में पार्टी हाईकमान ने निर्णय बदला है। मनीष खंडूड़ी के कांग्रेस में शामिल होने से पौड़ी सीट के समीकरण बदल जाएंगे।वहीं मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी (सेवानिवृत्त) के पारिवारिक सूत्रों के अनुसार खण्डूरी परिवार में मनीष की कांग्रेस की सदस्य्ता को लेकर घमासान मचा हुआ है। जहाँ मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी (सेवानिवृत्त) यानि मनीष खंडूरी के पिता और यमकेश्वर विधायक ऋतू खंडूरी अपने भाई का कांग्रेस की सदस्यता लिए जाने पर बेहद नाराज बताये जा रहे हैं जबकि मनीष खंडूरी की माँ अरुणा खंडूरी इसके पक्ष में है।
वहीं अब बदले हालत में कांग्रेस मनीष खंडूरी का आगामी लोकसभा चुनाव में किस तरह उपयोग करती है, यह तो अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन पिता जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी और बहन ऋतु खंडूड़ी के भाजपा में होने से मनीष का कांग्रेस में जाना जहां भाजपा के लिए अजीबोगरीब स्थिति पैदा कर रहा है वहीं कांग्रेस के लिए उत्तराखंड की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट पर ऑक्सीजन देने का काम कर सकता है बशर्ते कि कांग्रेस गढ़वाल लोकसभा सीट पर एक होकर चुनाव लडे और गुटबाज़ी पर नियंत्रण रखे। हालांकि प्रदेश भाजपा से जुड़े नेता इस सदस्यता के सियासी मायने टटोलने के साथ ही सियासी नफा-नुकसान का आकलन करने पर लगे हैं।