UTTARAKHAND

सड़क दुर्घटना में घायलों को अस्पताल पहुंचाने को लेकर अब ख़त्म हुआ पुलिस का डर

दुर्घटना में घायल व्यक्ति  को अस्पताल लाने वाले से अब नहीं की जा सकेगी भुगतान की मांग

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : देश में बढ़ते सड़क हादसों को लेकर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा सड़क दुर्घटनाओं में घायलों व पीड़ितों की मदद हेतु निर्गत अधिसूचना के आधार पर उत्तराखंड पुलिस के निदेशक यातायात ने प्रदेश के समस्त जनपदों को निर्देश जारी किये हैं। केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद अब सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों को पुलिस के अलावा आम नागरिक भी सहायता पहुंचा सकता है और मामले में पुलिस केस होने के खतरे से से भी बचा जा सकता है क्योंकि परिवहन एवं सड़क मंत्रालय से दिशा निर्देश दिए हैं कि ऐसी दुर्घटना में घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए जरुरी है कि पुलिस की किच -किच से सहायता करने वाले को बचाया जा सके ताकि लोग आगे आकर ऐसे घायलों की मदद करें।

जानिए क्या निर्देश दिए गए हैं पुलिस के लिए …..

1. किसी भी व्यक्ति द्वारा अगर सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद की जाती है तो उक्त से कोई प्रश्न नहीं पूछा जाएगा।

2.कोई भी व्यक्ति जो सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की मदद करेगा उसको ईनाम भी दिया जायेगा।

3.कोई भी व्यक्ति जो सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की मदद करेगा उक्त को फोन पर या व्यक्तिगत रूप से नाम व पता पूछने पर बाघ्य नहीं किया जायेगा।

4. कोई भी व्यक्ति जो सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की मदद करेगा उसके नाम व पता  जैसी व्यक्तिगत सूचना को स्वैच्छिक तथा वैकल्पिक बनाया जायेगा।

5 .उन लोकअधिकारियों के विरूद्व अनुशासनात्मक या विभागीय कार्यवाही की जाएगी जो किसी ऐसे व्यक्ति को (जो सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की मदद करेगा) अपना नाम व पता देने के लिये बाध्य करेगा।

6. अगर कोई व्यक्ति  सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को सार्वजनिक या निजी अस्पताल में भर्ती करवाता है तो ऐसे व्यक्ति  से अस्पताल  भुगतान की मांग नहीं करेगा।

7.सड़क दुर्घटनाओं से सबंधित किसी आपातकालीन परिस्थिति में,जिस समय डॉक्टर से चिकित्सीय देखभाल प्रदान किये जाने की आशा की जाती है अगर वह नहीं करता है तो भारतीय चिकित्सा परिषद(व्यवसायिक आचार,शिष्टाचार और नैतिक)विनियम,2002 के अध्याय-7″व्यवसायिक कदाचार”के अन्तर्गत सम्मिलित किया जायेगा और उसके विरूद्व विनियम के अध्याय-8 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।

8.राज्य के सभी अस्पतालों को इस आशय से अपने प्रवेश द्वार पर हिंदी,अग्रेंजी और राज्य क्षेत्र की भाषा में यह अंकित कराना होगा कि किसी भी सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की मदद करने वाले व्यक्ति को अस्पताल में नहीं रोका जाएगा और न ही उसे धन जमा कराने के लिए बाध्य किया जाएगा।

9.सड़क दुर्घटना के दौरान अगर कोई व्यक्ति इसकी सूचना पुलिस नियंत्रण कक्ष अथवा पुलिस थाने में फोन कॉल करता है तो उसके नाम,पता आदि नहीं पूछा जायेगा।

10.किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा घटनास्थल पर पहुँचने पर सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की मदद करने वाले किसी व्यक्ति को रिकार्ड फार्म या लॉग रजिस्टर में नाम पहचान या पता बताने के लिये बाध्य नहीं करेगा।

11.कोई भी पुलिस अधिकारी या कोई अन्य व्यक्ति किसी घायल व्यक्ति की मदद करने वाले व्यक्ति को गवाह बनने के लिये बाध्य नहीं करेगा।किसी भी मामले में गवाह बनने का विकल्प केवल मदद करने वाले व्यक्ति पर निर्भर करेगा।

यातायात निदेशालय द्वारा राज्य में  पूर्व में ही प्रोजेक्ट SAVE BEATS चलाया जा रहा है जिसमें जनपदों को उपरोक्त बिन्दुओं पर दिशा-निर्देश भी दिए जा चुके हैं।

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