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उत्तराखंड में पिरूल की खरीद दर बढ़ी, वनाग्नि रोकथाम को मिलेगा बल…

देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने पिरूल (चीड़ की पत्तियों) की खरीद दर को तीन रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर दस रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है। इस निर्णय का उद्देश्य वनाग्नि की घटनाओं को कम करना और स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करना है। वन विभाग मई 2023 से पिरूल की खरीद तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से कर रहा था, जिसे अब बढ़ाकर दस रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है। इस योजना के तहत, वन क्षेत्र के अंतर्गत पिरूल की खरीद के लिए 50 करोड़ रुपये की सीमा निर्धारित की गई है।

इससे पहले, मई 2024 में, सरकार ने ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ अभियान शुरू किया था, जिसमें पिरूल की खरीद दर 50 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई थी। इस अभियान का संचालन उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किया गया था, और इसके लिए 50 करोड़ रुपये का कोष स्थापित किया गया था।

हालांकि, वर्तमान में पिरूल की खरीद दर दस रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है, जो कि पहले की तीन रुपये प्रति किलोग्राम दर से अधिक है, लेकिन ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ अभियान के दौरान निर्धारित 50 रुपये प्रति किलोग्राम दर से कम है। इस बदलाव का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को पिरूल एकत्रित करने के लिए प्रोत्साहित करना और वनाग्नि की घटनाओं को कम करना है।

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