RUDRAPRAYAG

यात्रियों ने आज भी नहीं छोड़ा उम्मीद का दामन

रुद्रप्रयाग। इस बार केदारपुरी का नजारा पूरी तरह बदला हुआ है। चार वर्ष पूर्व आपदा ने जो जख्म केदारपुरी को दिए थे, वह अब भरते दिखाई दे रहे हैं। वर्ष 2013 में आपदा का तांडव अपनी आंखों से देख चुके श्रद्धालु भी बेखौफ बाबा के दर्शनों को केदारनाथ पहुंच रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिनके सामने उनके अपने सैलाब में समा गए थे। उम्मीद का दामन उन्होंने आज भी नहीं छोड़ा। उन्हें भरोसा है कि बाबा की कृपा से एक न एक दिन उनके अपने जरूर मिल जाएंगे।16-17 जून 2013 को आई आपदा ने केदारपुरी को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया था।

रामबाड़ा का तो अस्तित्व ही मिट गया था, जबकि गौरीकुंड, सोनप्रयाग, विजयनगर समेत मंदाकिनी नदी के किनारे बसे गांव-कस्बों में भारी तबाही मची थी। इस तांडव में कितने लोग काल का ग्रास बने, इसकी ठीक-ठीक जानकारी आज भी नहीं है। बावजूद इसके केदारनाथ पहुंच रहे यात्रियों को देख लगता नहीं कि उनके मन में आपदा का जरा भी खौफ है।

जनकपुर (अयोध्या) निवासी 64 वर्षीय किसान यशोधर सिंह आपदा के समय केदारपुरी में थे। इसके बाद वह दो बार केदारपुरी आ चुके हैं। कहते हैं कि इस बार व्यवस्थाओं में बीते वर्ष की अपेक्षा काफी सुधार आया है। पैदल मार्ग बीते वर्ष काफी जटिल था, लेकिन इस बार गौरीकुंड में रास्ता दुरुस्त होने से इसका लाभ यात्रियों को मिल रहा है। रहने-खाने की व्यवस्थाएं भी काफी अच्छी हैं।

द्वारका (दिल्ली) निवासी 46 वर्षीय शिक्षक प्रकाश सिंह भी बीते वर्ष कपाट खुलने के मौके पर धाम पहुंचे थे। इस बार वे सपरिवार बाबा के दर्शनों को आए हैं। कहते हैं अब नहीं लगता ही कि केदारनाथ में आपदा आई होगी। पैदल रास्ता, रहने-खाने व स्वास्थ्य की व्यवस्था चाक-चौबंद है।

कानपुर जिले के ग्राम अकबरपुर निवासी रंजन कुमार मिश्रा आपदा के बाद दोबारा केदारपुरी पहुंचे हैं। आपदा के दौरान वह परिवार के आठ सदस्यों के साथ वे केदारपुरी में थे। उन्हें छोड़ बाकी सभी आपदा में समा गए। फिर भी उन्हें आस है कि बाबा बिछुड़े परिजनों को उनसे मिलवा देंगे।

बता दें कि यात्रा शुरू हुए दस दिन ही हुए और 60 हजार से अधिक यात्री बाबा की चौखट पर पहुंच चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि यात्रा अपने पुराने स्वरूप में आ चुकी है। जिलाधिकारी रंजना ने बताया कि इस बाद यात्रा को लेकर काफी उम्मीदें हैं। इसे देखते हुए प्रशासन सुविधाओं को बेहतर से बेहतर बनाने में जुटा हुआ है।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »