- फोरम ने कोर्स फीस 1,01,000 रुपये छात्र को लौटाने के दिए आदेश
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड में स्थापित विश्वविद्यालयों का बुरा हाल है वे छात्रों से ली गयी फीस को वापस तक करने को तैयार नहीं है जबकि छात्र विश्वविद्यालय छोड़कर अन्यत्र जा चुके हैं जबकि ऐसे छात्रों से प्रवेश की प्रत्याशा में फीस तक विश्व विद्यालय ने जमा करवा दी थी।
मामला बिधौली स्थित कथित ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालय का है जहाँ अध्ययन के लिए आये छात्र की फीस नहीं लौटाने पर जिला उपभोक्ता फोरम की शरण लेनी पड़ी। उपभोक्ता फोरम ने बिधोली स्थित यूनिवर्सिटी आफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) को कोर्स फीस 1,01,000 रुपये छात्र को लौटाने के आदेश दिए हैं।
फोरम ने साथ ही मानसिक क्षति के तौर पर दस हजार व वाद व्यय के तीन हजार रुपए भी अदा करने के आदेश दिए। चंडीगढ़ निवासी अभिषेक मेहता की बीई कोर्स के लिए यूपीईएस की ओर से आयोजित टेस्ट में 2105 वीं रैंक थी। 25 जून 2013 को काउंसलिंग में सीएचसी एसबीओ का कोर्स दिया, जबकि छात्र सीएसई सीसीवीटी कोर्स चाहता था। तब छात्र ने 22 जून 2013 को 85 हजार रुपये जमा किए। विवि अधिकारियों ने बताया कि 10 जुलाई 2013 तक पैसा रिफंड किया जा सकता है, ताकि प्रतीक्षा सूची वालों को जगह दी जा सके।
ऐसे में छात्र ने सीएचसी एसबीओ कोर्स को निरस्त करने के लिए आठ जुलाई 2013 को प्रार्थना पत्र दिया। बाद में विवि के अधिकारियों से वार्ता के बाद 28 जुलाई को छात्र को सूचित किया कि वह 83 हजार रुपये जमा करे। फिर 30 जुलाई तक यूपीईएस देहरादून में आने को कहा। तब छात्र ने बीई सीसीवीटी के लिए 30 जुलाई 2017 को दाखिला लिया।
31 जुलाई को कक्षा में आने के बाद 2,60,650 रुपये जमा किए। इस बीच छात्र का पंजाब विश्वविद्यालय में चयन हो गया। यह छात्र के घर के नजदीक भी था। ऐसे में छात्र ने यूपीईएस को 16 अगस्त 2013 को प्रार्थना पत्र देकर दाखिला निरस्त करने को कहा और धनराशि वापस मांगी। यूपीईएस ने कहा कि पंजीकरण के समय 60 सीट थीं। छात्र की ओर से दाखिला निरस्त करने के बाद 57 सीट रह गईं। उक्त समय तक प्रतीक्षा सूची में कोई अभ्यर्थी नहीं था। ऐसे में फीस वापस नहीं होगी। फोरम अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल, सदस्य अलका नेगी और विपी नैथानी ने सुनवाई की।