UTTARAKHAND

पौड़ी जिला बना भाजपा का चुनावी अखाड़ा !

किसी भी कीमत पर ऋतू खंडूरी का समर्थन नहीं

कहा सभी विकल्प खुले लेकिन चुनाव लड़ने पर खोले नहीं पत्ते !

देहरादून : पौड़ी जिले की  लगभग सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा  ही भाजपा से भिड़ने को तैयार है। वहीँ यमकेश्वर से टिकट कटने पर भाजपा विधायक विजया बड़थ्वाल ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कहा जिन भाजपा नेताओं को अन्याय, अत्याचार के खिलाफ खड़ा होना चाहिए था, वो भ्रष्ट  लोगों के साथ खड़े हैं।

प्रेस क्लब में पत्रकारों के साथ बात करते हुए विजया बड़थ्वाल ने कहा की टिकट काटने से पहले मुझे एक बार भी विश्वास में नहीं लिया गया। सांसद बीसी खंडूरी के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा की टिकट कटने से एक दिन पहले उनकी खंडूरी से बात हुई थी, उन्होंने कहा की इस बार टिकट नहीं दिया जायेगा। वहीँ विजया बड़थ्वाल ने कहा की उनके सामने अभी सभी विकल्प खुले हैं। कांग्रेस समेत सभी दल उनके संपर्क में हैं। समय आने व् कार्यकर्ताओं से विचार कर वो अगली रणनीति तय करेंगी।

उन्होंने कार्यकर्ताओं से इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की मांग की। कहा की इस बार अन्याय के खिलाफ आवाज न उठाई गई, तो ये भी अन्याय का समर्थन करने जैसा होगा। सरकार आये न आये, पार्टी को बचाने के लिए विरोध किया जायेगा। साफ़ किया की वो किसी भी कीमत पर ऋतू खंडूरी का समर्थन नहीं करेंगी।

वहीँ  गढ़वाल के ‘प्रवेश द्वार’ कोटद्वार में घने कोहरे के बीच सियासी तस्वीर फिलहाल धुंधलके में है। दो दिन पहले तक सियासी दंगल में आर-पार की जंग की चर्चा जुबां पर अवश्य थी, मगर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के पत्ते खोलने के साथ ही सियासी परिदृश्य बदल गया है। सूरतेहाल, दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा व कांग्रेस की उलझन भी बढ़ गई है।

भाजपा इसे लेकर पशोपेस में है कि टिकट कटने के बाद पूर्व विधायक का अगला कदम क्या होगा, वहीं कांग्रेस ने टिकट के पत्ते नहीं खोले हैं पर वह भी हालात पर निगाह गड़ाए है। इस सबके बीच सियासी हलकों में पसर गई है सवालों की लंबी फेहरिस्त। हर कोई अपने-अपने हिसाब से इनके जवाब तलाशने में लगा है। कोटद्वार सीट से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत का टिकट काटकर पूर्व मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत को प्रत्याशी बनाए जाने से शैलेंद्र समेत उनके समर्थकों में उबाल है।

वहीँ नाराज चल रहे शैलेंद्र रावत ने अपने समर्थको से मिलने के बाद चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है, लेकिन उन्होंने अभी यह साफ नहीं किया कि वे निर्दलीय लड़ेंगे अथवा किसी अन्य राजनीतिक दल का दामन थामेंगे। सियासी हलकों में चर्चा है कि यदि शैलेंद्र रावत कांग्रेस में शामिल होकर कोटद्वार से ही टिकट मांगते हैं तो यहां से प्रबल दावेदार काबीना मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को यमकेश्वर अथवा किसी अन्य सीट पर शिफ्ट करना पड़ेगा। लेकिन सूत्रों का कहना है कि नेगी इसके लिए तैयार नहीं है।

वहीँ यदि नेगी राजी नहीं होते हैं तो यही फार्मूला शैलेंद्र रावत के लिए भी निकालना पड़ेगा। इस सीट पर नए समीकरण क्या बनते हैं और ऊंट किस करवट बैठेगा, यह आने वाले दिनों साफ हो जाएगा। लेकिन, इतना अवश्य तय हो गया है कि पिछली बार की तरह इस मर्तबा भी कोटद्वार सीट बेहद हॉट रहने वाली है।

उधर चौबट्टा खाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामे पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज का भारी-भरकम रुतबा से सिटिंग विधायक तीरथ सिंह रावत को लील गया। सिटिंग विधायक होने के बावजूद पार्टी ने उनके टिकट पर कैंची चला दी। पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी के कंधे पर सवार तीरथ अभिभाजित उप्र में एमएलसी बने और राज्य गठन के बाद अंतरिम सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री रहे। पहले चुनाव में पौड़ी से विजय हासिल की और बाद में सीट आरक्षित होने के कारण पिछले विस चुनाव में चौबट्टाखाल के विधायक बने। पिछली बार भाजपा क्षत्रपों की लड़ाई में खंडूड़ी के खास होने का फायदा मिला और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर भी विराजमान हुए।

पिछले कुछ समय से तीरथ की खंडूड़ी विरोधी खेमे से नजदीकी और उनके खास लोगों की उपेक्षा करने के चलते वह खंडूड़ी के रडार पर आ गए थे। माना जा रहा है कि इस सीट पर तीरथ से पहले कांग्रेस पार्टी में रहकर दो बार नेतृत्व कर चुकीं अमृता रावत के पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज को एडजस्ट करने के लिए भी केंद्रीय नेतृत्व को तीरथ के टिकट पर कैंची चलानी पड़ी। हालाँकि  भाजपा के विभिन्न धड़ों द्वारा तीरथ के खिलाफ माहौल तैयार कर उनके विरोध में नए चेहरे उतारने की तैयारियां कीं जाती रहीं। हालांकि, अपने टिकट के प्रति आश्वस्त तीरथ सिंह रावत ने क्षेत्र में जुड़े रहने के लिए देहरादून का मोह त्याग सतपुली में भी तीन मंजिला घर बना लिया था।

वहीँ जिले की श्रीनगर सीट को लेकर भी बबाल मचा हुआ है भाजपा ने यहाँ से धन सिंह रावत को प्रत्याशी बनाया है लेकिन भाजपा की ओर से मुंबई के उद्यमी मोहन काला बीते चार वर्षों से भी अधिक समय से यहाँ से तैयारी कर रहे थे उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक व स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है।  वे भी धन सिंह रावत को भाजपा द्वारा टिकट दिए जाने से नाराज बताये गए हैं और वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में या कांग्रेस से भी प्रत्याशी हो सकते हैं। हालाँकि कांग्रेस की तरफ से यहां से गणेश गोदियाल विधायक रहे हैं और कांग्रेस से उनका दावा सबसे मजबूत है क्योंकि से राजनीतिक उठापटक के दौरान मुख्यमंत्री हरीश रावत से साथ पूरी तरह से खड़े रहे थे।

इसी जिले की लैंसडाउन सीट पर मुकाबला भाजपा के दिलीप सिंह रावत व पूर्व मंत्री TPS रावत के बीच सिमटकर रह गया है कांग्रेस यहाँ से फौजी अधिकारी को टिकट देने जा रही है ऐसे में दलीप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही।

devbhoomimedia

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