सही व समय पर इलाज न मिलने के कारण हो रहा मोहभंग
देहरादून । उत्तराखण्ड राज्य में सरकारी चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मरीजों तक बेहतर तरीके से नहीं पहुंच पा रहा है। वहीँ इसका फायदा निजी चिकित्सालय उठा रहे हैं जहाँ रोगियों व उनके तीमारदारों का जमकर शोषण किया जा रहा है। वहीँ पहाड़ी कई क्षेत्रों में जहां सरकार की स्वास्थ्य सुविधाएं लचर हैं जबकि राजधानी दून के सरकारी अस्पतालों का हाल भी बदहाल बना हुआ है। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के नाम वाले दून अस्पताल में मरीजों को सही ईलाज न मिलने के कारण अब मरीज इस अस्पताल से दूर होते जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में दवाईयों के अभाव एवं अनेक तरह की जांच से भी विश्वस्नीयता खत्म होती नजर आ रही हैं। हैरानी की बात यह है कि सरकार द्वारा भी इस बड़ी एवं गंभीर समस्या पर ध्यान नही दिया जा रहा है।
सरकारी अस्पतालों की हालत से आज न सिर्फ आम जन व मरीज पूरी तरह से वाकिफ हैं बल्कि कई जनप्रतिनिधि भी इस समस्या को भलि भांति जानते है। क्योंकि अक्सर कई मरीजों के तीमारदारों द्वारा सरकारी अस्पतालों में लापरवाहियां देखकर अच्छे ईलाज के लिए सिफारिशें लगाए जाने के मामले सामने आते रहे है। प्रतिदिन भले ही सैकडों की संख्या में मरीज इन अस्पतालों में ईलाज कराने आते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि कई चिकित्सकों के व्यवहार ठीक न होने के कारण अब मरीज सरकारी अस्पतालों से विमुख होने लगे हैं। दून अस्पताल में मशीनों का अक्सर खराब होना, दवाएं उपलब्ध न होना, मरीजों के साथ डॉक्टरों का व्यवहारिक न होना जैसी कई समस्याएं ऐसी हैं जिनसे कि मजबूर होकर मरीजों को प्राईवेट अस्पतालों की ओर अपना रूख करना पड़ रहा है। अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं न मिलने पर कई आरोप ऐसे भी लग चुके है जो कि चिकित्सा के अभाव व लापरवाही के चलते दम तोड़ गये और मृतक के परिजन सिर्फ आक्रोश व आंसू बहाकर रह गये। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों पर मरीज के साथ लापरवाही बरतने तथा गंभीरता पूर्वक ईलाज न करने के आरोप लगते भी रहे है।
पिछली कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल में दून चिकित्सालय कोई कम विवादों में नहीं रहा है बल्कि चिकित्सकों की कईबार की लापरवाहियों को उजागर करते हुए आक्रोश-प्रदर्शन भी हो चुके है। दून अस्पताल ही नहीं बल्कि महिला चिकित्सालय, कॉरोनेशन अस्पताल पर भी मरीजों के ईलाज में भेदभाव बरतने एवं ईलाज में लापरवाही बरतने के आरोप लगते रहे है। इन अस्पतालों में कई मरीज अस्पताल के द्वार पर अपने ईलाज को जहां तरसते रहे हैं तो वहीं कुछ ने दम भी तोड़े। आज हाल यह है कि राजधानी के सरकारी अस्पताल ही नहीं बल्कि राज्य के अनेक जनपदों के भी विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से लचर बनी हुई है। सरकार की गंभीरता इस दिशा में न होने के कारण आज हजारों मरीज परेशान है और सरकार के बड़े-बड़े दावों पर अफसोस व्यक्त कर रहे है। आरोप तो कई सरकारी डाक्टरों पर यह भी लगते चले आ रहे है कि वे कई मरीजों को अपने महंगे निजि अस्पतालों की ओर आकर्षित कर उनसे ईलाज के नाम पर खासा धन वसूल लेते है। ऐसे में राज्य सरकार की कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान लगा हुआ है। सरकार की मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ भी कई को नहीं मिल पा रहा है।