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महिला ब्लाइंड क्रिकेट में उड़ीसा की दूसरी धमाकेदार जीत

- क्रीज पर ओपनिंग के लिए झिल्ली बरिया और बसंती जमी रही
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । महिला राष्ट्रीय ब्लांईड क्रिकेट के दूसरे दिन वेलहम ब्वाइज स्कूल के प्रांगण की गुनगुनी धूप में उड़ीसा की टीम ने दर्शकों की वाहवाही और शाबासी को चुराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस त्रिकोणीय श्रृंखला में जीत हार किसी की भी हो पर दर्शकों के दिल को तो सुदुर समुंदर किनारे से आई उड़ीसा की इन छोटी-छोटी लड़कियों ने ही अपने खेल, जीवट और चपलता से जीता।
उड़ीसा की टीम की खूबी थी कि यह बच्चे किसी एक स्कूल के नहीं बल्कि 5-6 स्कूलों के आए हैं। इनका समन्वय और टीम भावना देखकर कहीं से नहीं लगता कि यह अलग अलग स्कूलों से आए हैं। पीली जर्सी में सजी 11 साल से 18 साल तक की इन लड़कियों का उत्साह, जीवट, चपलता और ऊर्जा देखने लायक थी। दूसरे दिन दो मैच हुए। पहला मैच उड़ीसा और दिल्ली के बीच था। पहले मैच में उड़ीसा की कप्तान लीना सवाईन और दिल्ली की गुलशन के बीच टास हुआ। टास गुलशन ने जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला लिया।
मैच का पहला ओवर श्रेया ने फेंका। क्रीज पर ओपनिंग के लिए झिल्ली बरिया और बसंती ने कमान थामी। यह गजब की जोड़ी क्रीज पर तब तक डटी रही जब तक उन्होंने टीम की जीत सुनिश्चित नहीं की। इस टीम ने 90 रन की पार्टनरशिप की। मैच के पहली बाॅल पर पहला ही चैका बसंती ने मारा। मैच के पहले ओवर में इस जोड़ी ने 2 चैकों के साथ 12 रन बनाए। उसके बाद तो बसंती और झिल्ली के बैट से जैसे रनों की बौछार ही लग गई। 2 ओवर में 28 रन बने। इस मैच में 11 साल की झिल्ली के बैट से जिस तरह से जिस तरह से सनसनाते और दनदनाते चैके निकल रहे थे उसको देखकर दर्शक झूम उठे। यद्यपि दिल्ली की टीम उड़ीसा की रनों की आंधी को तो ना रोक पाई पर उनकी फील्डिंग सजाने की कला, आपसी समन्वय और उनके हाव भाव देखने लायक थे। मैच के 50 रन चौथे ओवर में बसंती के चौके से पूरे हुए।
इस खेल में झिल्ली जिस तरह से रिवर्स शाट मार रही थी वो देखकर तो देश की क्रिकेट टीम की सिद्धहस्त टीम का खेल याद आ गया। झिल्ली की बैटिंग की खूबी है कि उसने अपने पहले ही टूर्नामेंट में 7 चैकों के साथ 52 रनों की पारी खेली। बसंती ने 6 चैकों के साथ 51 रनों की नाॅट आउट पारी खेलकर एक विकेट भी लिया। झिल्ली की कहानी है कि पैदायशी अनाथ बिना मां बाप की बच्ची बालेश्वर डिस्ट्रीक्ट हंैडीकैपड वेलफेयर आर्गेनाईजेशन बेतरा भद्रक में पढ़ रही है। वह यहां 7 साल की उम्र में आई थी। इस लड़की का खेल देखकर तो आज सचिन तेंदुलकर के चैके छक्कों की बरसात याद आ गई है। यह सिर्फ 2 साल पहले से ही बैट पकड़ना सीखी है। इसका खेलदेखकर तो मुझे भविष्यवाणी करने में संकोच नहीं कि यह दुनिया की मशहूर खिलाड़ी बनेगी।
बसंती को आज का प्लेयर आॅफ द मैच चुना गया। शत प्रतिशत ब्लांईड केटगिरी में उड़ीसा की गायत्री ने 13 बाॅल पर 14 रन बनाए। गायत्री को इस केटगिरी में प्लेयर आफ द मैच चुना गया। झिल्ली-बसंती की बैटिंग और आत्मविश्वास देखने लायक था। मानो वह सोचकर आई थी कि आज तो देहरादून के दर्शकों का मनोरंजन चैकों से करना है। झिल्ली के बाद गायत्री क्रीज पर आई और उसने बसंती को उसका अर्धशतक पूरा करने में मदद की। कुल 12 ओवर में 2 विकेट पर 150 रनों का लक्ष्य देकर इस टीम ने दर्शकों का मन मोह लिया। उड़ीसा की इस समुंदरी टीम जीत के बाद पहाड़ी मैदान पर उनकी जीत का जश्न समुंदर की लहरों पर नाचने लायक था। तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली झिल्ली का कहना था वह भारत की टीम का प्रतिनिधित्व करना चाहती है।
कल हुए मैच में भी झिल्ली ने दर्शकों का मन मोह मोहकर मैच का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का खिताब जीता। उड़ीसा की इस पहाड़ सी चुनौती को दिल्ली ने स्वीकारा लेकिन उनकी टीम 12 वें ओवर में कुल 107 रन बनाकर 43 रन से हार गई। दिल्ली की कप्तान गुलशन ने 32 बाॅल पर 34 रन बनाकर मुकाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश की पर वह रन आऊट हो गई। उनकी टीम जीत तो ना सकी गई पर हारने के बाद उसके इन शब्दों ने मुझे मोहा कि हम नर्वस जरूर हैं पर हम डट कर मुकाबला करेंगे जीत के लिए। मुझे अपनी टीम पर भरोसा है। मेरी बैटिंग लाईन बहुत अच्छी है। हार जीत तो चलती रहती है। उड़ीसा टीम के कोच देवाशीष जेना का कहना है कि हम अपने बच्चों को चुन चुनकर लाया है। यहां आने से पहले हमने दो राज्य स्तरीय दो टूर्नामेंट कर 30 बच्चों को चुना। उनको 7 दिन का प्रशिक्षण किया और उसमें से यह टीम निकली। झिल्ली बारिया हमारे दोनों राज्य स्तरीय टीम की मैन आफ द मैच थी।
दूसरा मैच उत्तराखंड और दिल्ली के बीच हुआ। टास उत्तराखंड ने जीतकर पहले बैटिंग की। यह टीम बहुत धीमा खेली। टीम ने 12 ओवर में 6 विकेट पर कुल 79 रन बनाए। इस टीम में अंशु ने 8 और शैफाली ही सिर्फ 12 रन बना पाई। बाकी टीम कुछ खास ना कर सकी। जबकि दिल्ली ने छटे ओवर में ही आसानी से लक्ष्य को प्राप्त कर आसानी से फाईनल में प्रवेश कर लिया जिसमें कप्तान गुलशन की 57 रनों की अविजित पारी सराहनीय रही। इस मैच की प्लेयर आॅफ द मैच गुलशन रही। जबकि बी1 केटेगिरी में रक्षा रही। इस मैच में एक सुंदर बात थी कि कैसे जब 100 प्रतिशत ब्लांईड लड़की बाॅलिग हेतु आती तो विकेटकीपर विकेट को बजाकर प्ले-प्ले-प्ले की आवाज कर बाॅलर को दिशा का आभास कराती। फिर बाॅलर प्लेयर रेडी की ध्वनि कर बैटसमैन की सहमति लेती ओैर येस रेडी के बाद ही बाॅल फेंकती। यदि बाॅल फेंकनी वाली बी2, बी3 केटगरी की हो तो विकेट बजाने के बजाय विकेटकीपर मुंह से प्लेयर रेडी की आवाज कर अपनी विपक्षी टीम को दिशा का बोध कराती।
ब्लांईड क्रिकेट में खेलने वाली टीम और विपक्षी टीम के बीच तालमेल और एक दूसरे को सहयोग की भावना देखी वह मानवता की पराकाष्ठा थी। इसे देखकर अहसास हुआ कि दो आंखे देकर ईश्वर ने सामान्य लोगों को कितना बड़ा उपहार दिया है। काश लोग अपनी आंखों की कीमत समझ कर दुनिया को अपना सबसे सुंदर योगदान देकर इस दुुनिया को और बेहतर बनाने में अपना योगदान देते। लतिका राय फांउडेशन के बच्चे हेमा थापा के अगुवाई में आज अपने दोस्तों का हौसला बढ़ाने को मैदान पर मौजूद थे। इस मौके पर डा. राजेन्द्र राणा, कुसुम रावत, अनुराधा ध्यानी, अंजली श्रीवास्तव, शैलेन्द्र यादव, नरेश नयाल, हर्षित, प्रोफेसर खन्ना, आकाशदीप, राजदीप जंग, अमित कुमार मौजूद थे।