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नैनीताल के जिन होटलों में पार्किंग नहीं उनके 50 फीसदी कमरे बंद करने के आदेश

नैनीताल : ‘पर्यटन सीजन में 15 दिन तक नैनीताल के लोग कैदी का जीवन जी रहे थे और आपातकालीन सेवाएं तक ध्वस्त हो गई थी’ हाई कोर्ट की इस गंभीर टिप्पणी के बाद  नैनीताल में पर्यटन सीजन के दौरान जाम और वाहनों के अंधाधुंध प्रवेश पर गंभीर चिंता जताते हुए हाई कोर्ट ने पार्किंग विहीन होटलों में 50 फीसदी कमरे बंद करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अवैध गेस्ट हाउस तथा पर्यटन सीजन में होटल के तौर पर किराये में दिए जा रहे भवनों को चिह्नित करने तथा नए टैक्सी परमिट जारी नहीं करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जोड़ा है कि यदि परमिट जारी हो तो संबंधित वाहन नैनीताल को प्रवेश ना दिया जाए।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की खंडपीठ में नैनीताल निवासी प्रो. अजय रावत की शहर में अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट के आदेश पर डीएम दीपेंद्र चौधरी, एसएसपी जन्मेजय खंडूरी, आरटीओ राजीव मेहरा, पालिका ईओ रोहिताश शर्मा कोर्ट में पेश हुए।

एसएसपी ने कोर्ट के समक्ष बताया कि नैनीताल शहर में अधिकतम डेढ़ हजार वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था है मगर पीक सीजन में एक दिन में हल्द्वानी-भवाली मार्ग से आठ हजार वाहन पहुंचे, जबकि कालाढूंगी रोड से आने वाले वाहनों की संख्या अलग है। इसके अलावा ईद के अगले दिन शहर में हजारों बाइकर्स पर्यटक नैनीताल पहुंच गए।

खंडपीठ ने पर्यटन सीजन की अवधि के दौरान नैनीताल में पर्यटकों की भारी भीड़ व क्षमता से कई गुना अधिक भीड़ के नियंत्रण के लिए विशेषज्ञों से राय लेने को कहा है। साथ ही तल्लीताल रिक्शा स्टैंड के समीप संचालित लेक ब्रिज चुंगी को हल्द्वानी, भवाली रोड, कालाढूंगी रोड में शिफ्ट करने के आदेश दिए। अदालत ने कहा कि नैनीताल के अधिकांश होटलों के पास पार्किंग नहीं है।

इसके बावजूद होटल संचालक क्षमता से अधिक पर्यटकों को ठहराते हैं। इसलिए भीड़ को कम करने के लिए बिना पार्किंग वाले होटलों में 50 फीसद से अधिक कमरे ना लगाए जाएं। कोर्ट ने बारापत्थर में अवैध घोड़ा संचालन पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश भी दिए।

खंडपीठ ने कहा कि शासन नए परमिट जारी नहीं करे, परमिट जारी करने पर उस वाहन को नैनीताल में प्रवेश नहीं दिया जाए। जिला एवं पुलिस प्रशासन समेत अन्य से कोर्ट के आदेश के अनुपालन की कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा है।

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