2017 की हार का बदला लेने को 2019 की रणभेरी पर विपक्ष कर रहा काम
भाजपा के खिलाफ कांग्रेस कर रही सियासी हथियार तैयार
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । प्रदेश में त्रिवेन्द्र रावत की सरकार पर कांग्रेस के हमले तेज होने लगे हैं । सूबे की भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी एक ऐसा सियासी हथियार भी तैयार करने में लगी हुई है जिससे कि संभवतः प्रदेश सरकार घायल हुए बिना नहीं रहेगी। घोटालों, नाकामियों, झूठा श्रेय हासिल करने, विकास कार्यों के ठप्प होने आदि को विशेष बिंदु बनाकर बड़ा राजनैतिक हथियार बनाने में कांग्रेस जुटी हुई है। वर्ष 2017 के विधानसभा के चुनाव का बदला लेने के लिए राज्य की प्रमुख विपक्षी दाल कांग्रेस अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूत रणनीति बना रहा है।
बीते विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से लहुलुहान होने वाली कांग्रेस अब धीरे-धीरे फिर से राजनीति के फुटपाथ पर चलने के लिए निकल पड़ी हैं। सीटों के क्रम में बमुश्किल दहाई के आंकड़े को छूने वाली कांग्रेस यानि कि 70 में से सिर्फ 11 सीटें हासिल करने वाली इस विपक्षी पार्टी के आज छोटे व बड़े कई नेता महात्मा गांधी की प्रतिमा के नजदीक अपने प्रदेश सह प्रभारी के संग करीब तीन घंटे तक बैठे रहे और पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की हौंसला अफजाई करते दिखाई दिये।
दरअसल, गुरूवार को गांधी पार्क के सामने कांग्रेसी नेताओं ने सूबे में भाजपा सरकार को अपनी ताकत जिस तरह से जमकर व एकजुट होकर दिखाई, उससे संभवतः सरकार भी सावधान हो गयी होगी। राज्य के पार्टी सह प्रभारी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ इन्दिरा हृदयेश की एकजुटता जिस तरह से सभी को देखने को मिली, उससे भाजपाई भी कहीं न कहीं आहत जरूर हुए होंगे। त्रिवेन्द्र सरकार पर फिलहाल तो आज कई बड़े आरोपों की बौछार कांग्रेस के इन सभी नेताओं ने की और इस बात की स्पष्ट चेतावनी भाजपा सरकार को दे डाली है कि अब सारे कांग्रेसी पूरी ताकत के साथ सरकार की ईंट से ईट बजा डालेंगे। कांग्रेस के दिग्गजों ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव का बदला आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव में लेने की भी ठान ली है और कार्यकर्ताओं को इसके लिए पूरी तरह से तैयारी करने के फरमान भी जारी कर दिये हैं ताकि चुनाव के मददेनजर अब थोड़ी-सी भी वक्त की बर्बादी न हो सके। लोकसभा के इस चुनाव से पूर्व हालांकि निकाय चुनाव भी होने हैं लेकिन कांग्रेस का मुख्य फोकस 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में सूबे की पांचों सीटों पर कांग्रेस की जीत तथा भाजपा का सूपड़ा साफ करना है।
कांग्रेस के दिग्गजों की एकजुटता इस बात को भी पुख्ता कर रही थी कि वह शीघ्र ही एक ऐसा राजनैतिक व सियासत भरा विस्फोट राज्य में करेगी, जिससे कि सूबे में काबिज भाजपा की सरकार हिल जाएगी। क्योंकि जानकार सूत्र बता रहे हैं कि उत्तराखण्ड से लेकर दिल्ली तक के बड़े कांग्रेसी लीडर सत्तारूढ़ दल के करीब 30 विधायकों पर पैनी नजरें गढ़ाए हुए हैं तथा उनकी हर गतिविधि को वाच कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत राजनीति व सियासी दांव-पेंच के पुराने खिलाड़ी हैं और वे ही पूरी भूमिका के सरताज बताये जा रहे हैं । बहरहाल, कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं ने किसानों की समस्याओं व उनके द्वारा की जा रही आत्म हत्याओं के अहम बिंदु को लेकर उसके रास्ते जहां भाजपा सरकार को चौतरफा घेरने के प्रयास प्रारंभ कर दिये हैं तो वहीं उसका मुख्य निशाना भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकना है।