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आपदा में अवसर और राजनीति

विपक्ष को भी सरकार को इन निर्णयों के सहभागी बनाना चाहिए

विधानसभा सदस्यों को पूछना तो दूर नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश से भी इस मामले में कोई बात तक नहीं की

मनोज रावत
करोना से सारा देश पीड़ित है । सारे देश में लोग अपनी तरफ से आगे बढ़कर करोना से लड़ने के लिए अपनी सामर्थ्य के अनुसार सरकारों को सहयोग दे रहे हैं।
उत्तराखंड कैबिनेट ने भी एक तरफा निर्णय लेते हुए माननीय विधानसभा सदस्यों के वेतन , निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और सचिव भर्ती के का 30% राशि सरकार को देने का निर्णय लिया । लोकतंत्र की भावना है कि , जिन निर्णयों से हर विधान सभा सदस्य की हित प्रभावित हो रहे हो या उनसे देश और प्रदेश के हित में कुछ योगदान देने की आशा सरकार रख रही हो तो , ऐसे निर्णय सर्वसम्मति से होने चाहिए । विपक्ष को भी इन निर्णयों के सहभागी बनाना चाहिए । यह संदेश जाना चाहिये कि , संकट के समय उत्तराखंड का हर विधायक देश और प्रदेश के साथ खड़ा है । लेकिन हमेशा तानाशाही के भाव में रहने वाली और हर तरह की घटना पर राजनीति करने वाली उत्तराखंड सरकार, माननीय नेता सदन जो कि माननीय मुख्यमंत्री भी हैं ने सभी विधानसभा सदस्यों को पूछना तो दूर नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश से भी इस मामले में कोई बात तक नहीं की । इसलिए अप्रैल के महीने कांग्रेस की ओर से गतिरोध रहा।
हालांकि वेतन व्यक्तिगत होता है तथा इस पर कैबिनेट का फैसला लागू नहीं हो सकता । फिर भी हम सब कांग्रेस विधयकों ने निर्णय लिया कि , इस वैष्विक संकट में हमारी नेता सदन डॉक्टर इंदिरा हृदयेश जो भी निर्णय लेंगी, उसे हम मानेंगे । उन्होंने अप्रैल के माह के अंत में कैबिनेट की भावनाओं के अनुसार अपने वेतन निर्वाचन क्षेत्र भत्ता तथा सचिव व्यवस्था भत्ते के का 30% सरकार को देने का सहमति पत्र जारी किया ।
इस हिसाब से हम सभी कांग्रेस विधायकों जो कि सदन में 11 की संख्या में हैं का मई से वेतन का ₹57600 कटना शुरू हुआ। हमारे 2 माननीय विधायकों ने मार्च के महीने में भी 30000 रुपये कॅरोना हेतु कटवाए थे उनके भी मई के महीने में समायोजित कर ₹57600 का ही आंकड़ा बैठता है। जब नेता प्रतिपक्ष ने सहमति दे दी थी तो विधानसभा को कांग्रेस के विधायकों के अप्रैल माह के वेतन के हिस्से की भी ₹57600 कटौती कर देनी चाहिये थी।
सरकार ने इस मामले में विपक्ष को भरोसे में नही लिया लेकिन उनके प्रवक्ता माननीय विधायक श्री मुन्ना सिंह चौहान जी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि , कांग्रेस के विधायक संकट में कैबिनेट के निर्णय को नही मान रहे हैं। लेकिन बाद में पता चला कि कैबिनेट के निर्णय के बाद , जिन विधानसभा सदस्यों की पार्टी की राज्य में सरकार है , वे ही अपने वेतन में पृथक- पृथक कटौती करा रहे हैं ।
अब इस मामले में प्राप्त तो सूचना अधिकार से भी इसकी पुष्टि हो गयी है । पता चला कि, सत्ता दल के सदस्य जो कि सरकार में हैं , और जिनकी सरकार की कैबिनेट ने फैसला लिया है , उनके 58 (57 और 1 ऐंग्लो इंडियन मनोनीत विधायकों) से केवल 13 विधानसभा सदस्य ही कैबिनेट के निर्णय के अनुरूप ₹57600 कटवा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के 16 माननीय विधायक अपने वेतन से ₹30000 की कटौती कर आ रहे हैं । चार विधायक ₹12600 और 13 भाजपा विधायक अपने वेतन से केवल ₹9000 प्रति माह की कटौती करा रहे हैं ।
विधानसभा ने माननीय नेता सदन जो कि माननीय मुख्यमंत्री जी भी हैं , माननीय विधानसभा अध्यक्ष , माननीय विधानसभा उपाध्यक्ष और माननीय मंत्री गणों द्वारा अपने वेतन में करायी जा रही कटौती सूचना नहीं दी है , यह तो विधानसभा का कार्यालय ही जानता होगा कि, ये सब माननीय गण भी क्या कैबिनेट की भावनाओं के अनुरूप , वेतन कटा रहे हैं या नहीं ? कांग्रेस की विधायक दल की नेता और माननीय नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश अपने वेतन का ₹75600 कटा रही हैं। उनका पद माननीय कैबिनेट मंत्रियों के समकक्ष है।
अब मैं अपने साथी विधायक श्री मुन्ना सिंह चौहान जी से पूछना चाहता हूं कि , उनकी ही सरकार की कैबिनेट का निर्णय था और उन्होंने ही अपने वेतन से केवल ₹30000 की कटौती करा कर क्या अपनी ही सरकार की कैबिनेट के निर्णय की अपमान नही किया है ? उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि , कांग्रेस के विधायक , अपने वेतन से हिस्सा नहीं देना चाह रहे हैं। जबकि कांग्रेस का विरोध आपदा या राष्ट्रीय संकट के समय सरकार के एकतरफा फैसले से था , जिसे कांग्रेस विधायकों ने सार्वजनिक रूप से भी व्यक्त भी किया था।
देश और प्रदेश हित में इस तरह के निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए , संकट में राजनीति नही करनी चाहिए और न ही हर जगह की तरह , सरकार और बीजेपी कोआपदा में भी अवसर नही खोजने चाहिए । पर उस सरकार का क्या , उस कैबिनेट के क्या जो अपने निर्णयों के पालन अपनी ही पार्टी के विधायकों से ही नहीं करवा पा रही है ।
(इस आलेख के लेखक मनोज रावत, विधायक, केदारनाथ हैं)

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