केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने जी-20 सदस्यों के समक्ष कोविड के दौर में शिक्षा प्रणाली में बदलाव के प्रयासों का उल्लेख किया
जी-20 शिक्षा मंत्रियों ने संकट के समय में शिक्षण और अध्ययन को प्रोत्साहन के लिए सहयोगपूर्ण प्रयासों को साझा करने की प्रतिबद्धता जताई
जी-20 शिक्षा मंत्रियों ने संकट के समय में शिक्षण और अध्ययन को प्रोत्साहन के लिए सहयोगपूर्ण प्रयासों को साझा करने की प्रतिबद्धता जताई
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने जी-20 शिक्षा मंत्रियों की विशेष वर्चुअल बैठक में भाग लिया। इस विशेष सत्र का आयोजन शिक्षा क्षेत्र पर कोविड 19 महामारी के प्रभावों, विभिन्न देशों ने इसका सामना कैसे किया और सदस्य देश इस कठिन समय में शिक्षण गतिविधियों को आगे बढ़ाने में कैसे सहयोग कर सकते हैं, जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में केंद्रीय मंत्री ने शिक्षा क्षेत्र में महामारी से उत्पन्न व्यापक व्यवधानों को दूर करने में सहयोग के लिए जी-20 राष्ट्रों की इस ऐतिहासिक और प्रासंगिक बैठक को आयोजित करने की पहल के लिए अध्यक्ष का आभार व्यक्त किया।
केंद्रीय मंत्री ने सभी सदस्यों को शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों पर कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के भारत के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘आत्मानिर्भर भारत’ अभियान को शुरू किया है। भारत सरकार ने हमारे देश के शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों को सुदृढ़ करने के लिए पर्याप्त वित्तीय आवंटन के साथ भारत के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 10 प्रतिशत के बराबर एक अभूतपूर्व आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की है।
आज #G20 वर्चुअल शिक्षा मंत्रियों की बैठक में प्रतिभाग किया।#COVID_19 @PMOIndia @HMOIndia@PIB_India @MIB_India@DDNewslive @HRDMinistry pic.twitter.com/hwUK28sgFP
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank ( Modi Ka Parivar) (@DrRPNishank) June 27, 2020
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केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने जी-20 सदस्यों के समक्ष कोविड के दौर में शिक्षा प्रणाली में बदलाव के प्रयासों का उल्लेख किया
जी-20 शिक्षा मंत्रियों ने संकट के समय में शिक्षण और अध्ययन को प्रोत्साहन के लिए सहयोगपूर्ण प्रयासों को साझा करने की प्रतिबद्धता जताईदेवभूमि मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने जी-20 शिक्षा मंत्रियों की विशेष वर्चुअल बैठक में भाग लिया। इस विशेष सत्र का आयोजन शिक्षा क्षेत्र पर कोविड 19 महामारी के प्रभावों, विभिन्न देशों ने इसका सामना कैसे किया और सदस्य देश इस कठिन समय में शिक्षण गतिविधियों को आगे बढ़ाने में कैसे सहयोग कर सकते हैं, जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।बैठक में केंद्रीय मंत्री ने शिक्षा क्षेत्र में महामारी से उत्पन्न व्यापक व्यवधानों को दूर करने में सहयोग के लिए जी-20 राष्ट्रों की इस ऐतिहासिक और प्रासंगिक बैठक को आयोजित करने की पहल के लिए अध्यक्ष का आभार व्यक्त किया।केंद्रीय मंत्री ने सभी सदस्यों को शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों पर कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के भारत के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘आत्मानिर्भर भारत’ अभियान को शुरू किया है। भारत सरकार ने हमारे देश के शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों को सुदृढ़ करने के लिए पर्याप्त वित्तीय आवंटन के साथ भारत के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 10 प्रतिशत के बराबर एक अभूतपूर्व आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की है।पोखरियाल ने कोविड-19 संकट के दौरान डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रयासों के बारे में भी जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उत्कृष्ट डिजिटल शैक्षिक सामग्री तैयार की गई है। ये दीक्षा, स्वयं, वर्चुअल लैब, ई–पीजी पाठशाला और नेशनल डिजिटल लाईब्रेरी जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों पर उपलब्ध हैं।उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि ऐसे कई छात्र हैं, जिनके पास शिक्षा के डिजिटल साधनों तक पर्याप्त पहुंच नहीं है। डिजिटल पहुँच को आसान बनाने के लिए हम 34 डीटीएच टीवी चैनलों के एक समूह- स्वयं प्रभा और सामुदायिक रेडियो सहित रेडियो का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे हैं। इनकी मदद से, हम दूरस्थ क्षेत्रों में भी छात्रों को 24X7 शिक्षा प्रदान करने में सफल हुए हैं।मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि सभी ई-संसाधनों को एक साझा मंच पर लाने के लिए, हम जल्द ही प्रधानमंत्री ई-विद्या कार्यक्रम का शुभारंभ करने जा रहे हैं। इसमें शामिल होंगे-एक राष्ट्र, एक डिजिटल प्लेटफॉर्मः सभी शैक्षिक ई-संसाधनों को ‘वन नेशन वन डिजिटल’ कार्यक्रम की अवधारणा के तहत एक मंच पर लाया जाएगा, जिसमें एकल एकीकृत खोज के माध्यम से नेविगेशन आसान होगा।एक कक्षा एक चैनलः गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक सामग्री प्रदान करने के लिए कक्षा 1 से 12 तक के लिए हर कक्षा के लिए एक समर्पित टीवी चैनल होगा। पीएम ई-विद्या कार्यक्रम से लगभग 25 करोड़ स्कूली बच्चों को लाभ होने की उम्मीद है।विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन कार्यक्रमः देश के 100 शीर्ष रैंक वाले विश्वविद्यालय जल्द ही एक पूर्ण ऑनलाइन कार्यक्रम प्रारंभ करने जा रहे हैं। शिक्षा के पारंपरिक, खुले और दूरस्थ साधनों में उचित ऑनलाइन सामाग्री को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाएगा।स्वयं मॉक्स पाठ्यक्रमः स्वयं मॉक्स पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम के साथ समेकित किया जा रहा है और उच्च शिक्षा संस्थानों को इसे पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।क्षेत्रीय भाषाएंः आठ क्षेत्रीय भाषाओं में ई-शिक्षण संसाधन तैयार किए जा रहे हैं।डेज़ीः डिजिटल एक्सेसिबल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (डीएआईएसवाई) और सांकेतिक भाषा में दिव्यांगों के लिए अध्ययन सामग्री तैयार की जा रही है।मनोदर्पणः शिक्षा मंत्रालय द्वारा छात्रों, शिक्षकों और परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक देखभाल के एक मनोवैज्ञानिक सहायता के रूप में ‘मनोदर्पण’ के रूप में एक पहल है। परामर्श प्रदान करने के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन स्थापित की गई है।केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न देशों के संदर्भों में विभिन्न प्रकार के दूरस्थ और ई-शिक्षण समाधानों और बदलावपूर्ण शिक्षण रणनीतियों के विकास एवं प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जी-20 राष्ट्र समूह के समन्वित प्रयासों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता जताई।