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गायब बाघिन को लेकर अंधेरे में हाथ -पांव मारते वन्य जीव महकमे के अधिकारी !

गायब बाघिन की तस्दीक करने के लिए सूबे के वन्य जीव महकमे के अधिकारी नहीं अधिकृत 

गायब हुई बाघिन की तस्दीक वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के अधिकारी वैज्ञानिक तत्थ्यों के आधार पर करेंगे

देवभूमि मीडिया ब्यूरो  

बड़ा सवाल : पार्क में मौजूद बाघ तो अधिकारियों से संभल नहीं रहे,तो क्या अन्यत्र से बाघों को यहां मरवाने या मारने के लिए लाया जा रहा ?

राजाजी टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से पांच बाघों को लाने की तैयारियां चल रही हैं वह भी ऐसे समय में जब राजाजी पार्क के अधिकारियों से पार्क में मौजूद बाघ ही नहीं संभल रहे हैं तो क्या अन्यत्र से बाघों को मरवाने या मारने के लिए लाया जा रहा है यह सवाल वन्य जीव प्रेमियों को साल रहा है। 
देहरादून : पिछले ढाई महीने से लापता बाघिन के कांसरों के जंगल में संदेहास्पद तौर पर मिलने की बात भले ही उत्तराखंड के वन्य जीव अधिकारी कहते हुए खुद ही अपनी पीठ ठोंक रहे हैं ,लेकिन वन्य अधिकारियों के वन्य प्राणियों के प्रति सजगता ने खुद ही इसकी पोल खोलकर रख दी है। वहीं यह बात भी सामने आ रही है कि मोतीचूर रेंज में वन्यजीवों की गतिविधियों को देखने के लिए लगाएं गए कई कमरे भी गायब हैं जिनका अभी तक कोई पता नहीं, ऐसे में कैसे वन्य जीवों पर नज़र रखी जा सकेगी यह विचारणीय है। 
मामला ढाई महीने से लापता बाघिन के अचानक गायब होने की जानकारी को छिपाए रखना और जब गायब बाघिन की खबर अखबारों और वेव मीडिया में सुर्खियां बनने लगी तो उत्तराखंड के वन्यजीव प्रतिपालक सहित अधीनस्थ अधिकारियों की नींद टूटी और वे अँधेरे में ही बाघिन की खोज के लिए हाथ -पांव मारने लगे। इससे साफ़ पता चलता है कि अब तक वन्यजीव महकमे के आला अधिकारी सूबे के मुख्यमंत्री सहित वन मंत्री तक को गुमराह कर रहे थे। 
वन्य अधिकारियों का वन्य जीवों के प्रति उदासीनता और लचर व्यवस्था का आलम यह रहा कि कभी वन्य जीव प्रतिपालक बाघिन की लोकेशन को  मोतीचूर रेंज से 27 किलोमीटर दूर बड़कोट रेंज बता रहे थे, लेकिन बीती सायं अचानक वन्य जीव महकमें के अधिकारीयों को सपना आया कि गायब हुई बाघिन तो वहीं आस पास ही कांसरों के जंगल में हैं। 
लेकिन अब यह सवाल उठता है कि बीते ढाई महीने से गायब बाघिन क्या वही बाघिन हैं जो गायब हुई थी या वह कोई और ही है। हालांकि वन्य जीव विभाग के अधिकारी उसके पग मार्क और Scat यानि (बाघिन की पोट्टी) मिलने की बात कर रहे हैं। लेकिन उनके पास इस बाघिन की मौजूदा कोई भी तस्वीर नहीं है। हालांकि वन्यजीव अधिकारियों की इस बात की तस्दीक करने के लिए सूबे के वन्य जीव महकमे के अधिकारी अधिकृत नहीं है कि यह वही गायब बाघिन है,नियमानुसार अब इस बात ही तस्दीक वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के अधिकारी वैज्ञानिक तत्थ्यों के आधार पर करेंगे। 
मामले में सूबे के वन्य जीव प्रतिपालक को कुछ सवाल किये गए थे कि क्या गायब बाघिन किसी कमरे में ट्रेप हुई है ? या उसके पगमार्क मिले हैं जिसके आधार पर यह कहा जाए की यह वही गायब बाघिन है ? का समाचार लिखने तक जवाब नहीं मिला, उनका जवाब मिलने पर उनका पक्ष भी प्रकाशित किया जाएगा। 

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