अब आंखों से आग नहीं, आंसू बहते हैं : उमा भारती

ऋषिकेश : अब आंखों से आग नहीं, बल्कि आंसू बहते हैं। यह कहना है भाजपा सरकार की केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती का, उन्होंने कहा कि वह पहले फायर ब्रांड थीं, अब वाटर ब्रांड हो गई हैं।
देश -दुनिया में बढ़ते गंगा प्रदूषण पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा में प्रदूषण बढ़ने से जलीय जीव भी संकट में हैं। गोल्ड फिश, महासीर, हिल्सा जैसी मछलियों के अलावा कछुओं की विभिन्न प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर पहुंच रही हैं। उमा ने कहा कि इन्हें बचाने के लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत पायलेट प्रोजक्ट पर पर काम किया जा रहा है। इसके लिए अभयारण्य विकसित किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि गंगा की निर्मलता किसी प्रयोगशाला के प्रमाण पत्र से नहीं, बल्कि जैव विविधता की संपन्नता से आंकी जाएगी। ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन में आयोजित रामकथा में पहुंची उमा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नमामि गंगे के तहत गंगा स्वच्छता के लिए किए जा रहे कार्यों का असर वर्ष 2018 तक नजर आने लगेगा। उन्होंने कहा कि पहले नमामि गंगे का पंजीकरण एक सोसाइटी के रूप में किया गया था, जो अब अथॉरिटी बना दी गई है।
इससे नमामि गंगे को निर्णय लेने के साथ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की शक्ति भी मिल गई है। निर्मल गंगा के लिए औद्योगिक इकाइयों के अवशिष्ट को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए चार हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। उन्होंने कहा कि पहले पुराने ट्रीटमेंट प्लांटों को दुरुस्त कर उनकी क्षमता बढ़ाई जा रही है। इसके साथ ही नए ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण व गंगा में मिलने वाले दूषित नालों को टेप करने का रोडमैप भी तैयार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता के लिए हमने 10 वर्ष का समय मांगा है।