अब पहाड़ों में सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक मिलेगी शराब
- शराब की दुकानों को 10 बजे रात तक खोले जाने का निर्णय
- मृतक आश्रितों में तलाक शुदा पुत्री भी शामिल
- जीएसटी की सीमा को 10 लाख से बढ़ाते हुए 20 लाख
- GMVN,KMVN व निकाय कर्मियों को सातवाँ वेतनमान
देहरादून : त्रिवेंद्र रावत मंत्रीमंडल की बैठक में सरकार ने अपने पूर्व निर्णय को पलटते हुए राज्य के पर्वतीय जिलों में अब सुबह दस बजे से रात दस बजे तक शराब की दुकानों को खुला रखने का निर्णय लिया है। इससे पहले सरकार ने सुबह दस बजे से सायं छह बजे तक पर्वतीय जिलों में शराब की दुकानों को खोलने का निर्णय लिया था। सरकार का मानना है कि इस निर्णय से पर्वतीय इलाकों में अवैध शराब की खपत बढ़ गयी थी जो लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रही थी। वहीँ इस बैठक में कई और अहम फैसले लिए गए। जिनमें जीएमवीएन, केएमवीएम, सहित जिला पंचायत और निकाय कर्मियों को सातवां वेतनमान का लाभ देने पर भी कैबिनेट सहमत हो गयी है। सरकार का कहना है इस निर्णय से सरकार पर 150 करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा।
बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कुलमिलाकर 24 बिंदुओं पर हुई चर्चा की गई। राज्य में वेतन समिति की संस्तुतियों के आधार पर गढ़वाल मंडल विकास निगम व कुमाऊं मंडल विकास निगम में सातवां वेतनमान की मंजूरी दे दी गई। स्थानीय निकायों में भी सातवें वेतनमान पर सहमति बनी। वहीँ जिला पंचायत कार्मिकों को सातवें वेतनमान की संस्तुतियों के क्रम में पुनरीक्षित वेतनमान की अनुमति प्रदान की गई।
वहीँ मंत्रिमंडल की बैठक में मंत्रिमंडल ने राज्य सेवा के अधिकारियों और कर्मचरियों के आश्रितों की श्रेणी में अब उनकी तलाक शुदा पुत्री को भी पिता अथवा माँ के अकाल मृत्यु पर आश्रित का लाभ मिल सकेगा। वहीँ मंत्रिमंडल ने राज्य में जीएसटी की सीमा को 10 लाख से बढ़ाते हुए 20 लाख किये जाने को भी मंजूरी दे दी है।
मंत्रिमंडल की बैठक में हरिद्वार और रुड़की नगर निगम की सीमा विस्तार को भी मंजूरी दी गई। वहीँ राज्य कर्मियों को वित्तीय वर्ष 16-17 के लिए तदर्थ बोनस देने की अनुमति भी प्रदान की गई। वहीँ मंत्रिमंडल की बैठक में राजकीय महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को विद्यालय में सहायक प्रध्यापकों के रिक्त पदों पर लोक सेवा आयोग से भर्ती होने तक वैकल्पिक व्यवस्था करने को भी को मंजूरी दे दी गई है । इसके तहत यूजीसी के निर्धारित अर्हता के योग्य अभ्यर्थियों को पांच सौ रुपये प्रति पीरियड के हिसाब से मानदेय पर रखा जाएगा। लेकिन इस पारिश्रमिक की सीमा 25 हजार रुपये से अधिक नहीं होगी।