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नेपाल की भारत सीमा पर अब चीन के थर्मल दूरबीन कैमरे

एक थर्मल कैमरे से भारत के भीतर वो दस किमी की गतिविधियों को कैद कर सकेगा

कैमरो को संचालित करने के लिए इंटरनेट सिस्टम भी चीन द्वारा ही दिया गया है

दिनेश मानसेरा

उत्तराखंड में लीपूपास तक सड़क बनाये जाने से भारत की चीन सीमा तक सुरक्षा मजबूत होने से चीन ने नेपाल को आगे कर कूटनीति का दांव खेला है। नए नक्शे बनाकर नेपाल भारत को अब आंखे दिखा रहा है। बात यही खत्म नही हो जाती पिछले कुछ महीनों से नेपाल भारत सीमा पर चीन की कई और भी हरकते सामने आई है जिसमे नेपाल को एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया जारहा है।

जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड से लगी भारत नेपाल पूरी सीमा पर नेपाल ,निगरानी के लिए थर्मल कैमरे लगा रहा है जिसमे चीन उसे मदद कर रहा है। एक थर्मल कैमरे से भारत के भीतर वो दस किमी की गतिविधियों को कैद कर सकेगा।
उत्तराखंड में करीब तीन सौ किमी की भारत नेपाल की खुली अंतरराष्ट्रीय सीमा है,भारत ने यहां सीमा सशस्त्र बल तैनात की हुई है,अब नेपाल भी इस सीमा पर अपनी चौकसी मजबूत करने जा रहा है,इसी क्रम में गड्ढा चौकी से धारचूला से आगे कालापानी इलाके तक नेपाल सशस्त्र प्रहरी की 106 बॉर्डर आउट पोस्ट बनाने जा रहा है, इनमें हर चौकी में 35 नेपाली सैनिक और एक निरीक्षक तैनात किया गया है। इन चौकियों में नाईट विजन थर्मल पावरफुल कैमरे लगाए जा रहे है, जिनका सीधी निगरानी जुल्लाघाट में एक निगरानी रूम में होगी,चिंता वाली बात ये है कि इन सभी पोस्ट पर लगने वाले थर्मल कैमरो के लिए,अत्याधुनिक तकनीक चीन द्वारा मुहैय्या करवायी गयी है। जानकारी के मुताबिक ,यहां तक कि कैमरो को संचालित करने के लिए इंटरनेट सिस्टम भी चीन द्वारा ही दिया गया है। इसके लिए बाकायदा दोनों देशों के बीच एक समझौता भी हुआ है।
भारत के लिए चिंता वाली बात ये हो गयी है कि भारत नेपाल की खुली अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी में चीन की घुसपैठ होंगयीं है एक डिवाइस भी भारत की सीमा की सभी सूचनाएं नेपाल के रास्ते चीन पहुंचने में सेकंड भी नही लगने है।यानि सीधे सीधे चीन अपनी तकनीक के सहारे भारत पर निगरानी रखेगा।अब सवाल ये भी है कि नेपाल ने भारत के बजाय इस योजना पर काम करने के लिए चीन से ही क्यों मदद मांगी?माना जाता है कि इसमे नेपाल से ज्यादा चीन की रुचि ज्यादा है क्योंकि वो किसी न किसी बहाने से भारत नेपाल खुली सीमा पर आकर बैठना चाहता है।मालूम हो कि भारत नेपाल सीमा पर पिलर विवाद,नो मैन्स लैंड पर नेपालियों के कब्जे के विवाद पहले से चर्चा के केंद्र में है।उत्तराखंड से लगी भारत नेपाल सीमा पर चीन फिर से हरकत कर रहा है,जानकारी के मुताबिक नेपाल पूरी सीमा पर निगरानी के लिए थर्मल कैमरे लगा रहा है जिसमे चीन उसे मदद कर रहा है।
एक थर्मल कैमरे से भारत के भीतर वो दस किमी की गतिविधियों को कैद कर सकेगा।
उत्तराखंड में करीब तीन सौ किमी की भारत नेपाल की खुली अंतरराष्ट्रीय सीमा है,भारत ने यहां सीमा सशस्त्र बल तैनात की हुई है,अब नेपाल भी इस सीमा पर अपनी चौकसी मजबूत करने जा रहा है,इसी क्रम में गड्ढा चौकी से धारचूला से आगे कालापानी इलाके तक नेपाल सशस्त्र प्रहरी की 106 बॉर्डर आउट पोस्ट बनाने जा रहा है,इनमें हर चौकी में 35 नेपाली सैनिक और एक निरीक्षक तैनात किया गया है।इन चौकियों में नाईट विजन थर्मल पावरफुल कैमरे लगाए जा रहे है, जिनका सीधी निगरानी जुल्लाघाट में एक निगरानी रूम में होगी,चिंता वाली बात ये है कि इन सभी पोस्ट पर लगने वाले थर्मल कैमरो के लिए,अत्याधुनिक तकनीक चीन द्वारा मुहैय्या करवायी गयी है।जानकारी के मुताबिक ,यहां तक कि कैमरो को संचालित करने के लिए इंटरनेट सिस्टम भी चीन द्वारा ही दिया गया है। इसके लिए बाकायदा दोनों देशों के बीच एक समझौता भी हुआ है।
भारत के लिए चिंता वाली बात ये हो गयी है कि भारत नेपाल की खुली अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी में चीन की घुसपैठ होंगयीं है एक डिवाइस भी भारत की सीमा की सभी सूचनाएं नेपाल के रास्ते चीन पहुंचने में सेकंड भी नही लगने है।यानि सीधे सीधे चीन अपनी तकनीक के सहारे भारत पर निगरानी रखेगा।अब सवाल ये भी है कि नेपाल ने भारत के बजाय इस योजना पर काम करने के लिए चीन से ही क्यों मदद मांगी?माना जाता है कि इसमे नेपाल से ज्यादा चीन की रुचि ज्यादा है क्योंकि वो किसी न किसी बहाने से भारत नेपाल खुली सीमा पर आकर बैठना चाहता है।
नेपाल ने न सिर्फ बॉर्डर पर कैमरे लगाए है बल्कि ताज़ा सीमा विवाद के बाद छंगरु में सीमा चौकी,जौलजीवी झूलाघाट के सामने लाली और पंचेश्वर बांध परियोजना स्थल के पास भी बीओपी स्थापित कर दी है।
सवाल ये उठता है कि नेपाल को भारत से क्या खतरा हो गया जबकि भारत उसकी हर जरूरत को पूरा करता है।

मालूम हो कि भारत नेपाल सीमा पर पिलर विवाद,नो मैन्स लैंड पर नेपालियों के कब्जे के विवाद पहले से चर्चा के केंद्र में है।
भारत नेपाल खुली सीमा अब पहले की तरह सुरक्षित नहीं रही बॉर्डर को तारबाड़ से बांधना जरूरी समझा जारहा है,जैसा कि बंग्लादेश भूटान की सीमा पर किया गया है।परन्तु भारत सरकार इस बारे में अभी तक सजग नहीं हुई है हाल ही में नेपाल ने भारत से आने वाले वाहनों पर भारी कर(भन्सार)भी लगा दिए है,जिसेलेकर नेपाल में काम करने वाले भारतीयों में गुस्सा है।
बरहाल नेपाल में चीन किसी न किसी बहाने अपनी दखलंदाजी बढ़ा रहा है जोकि कूटनीति दृष्टि से भारत की आंतरिक सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है।

वरिष्ठ पत्रकार दिनेश मनसेरा की फेसबुक वाल से साभार 

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