चापलूस और चालाक नेताओं की पार्टी में ”नो एंट्री”

- भाजपा की विचारधारा गाँव-गांव और घर-घर तक पहुंचाना जरुरी : शाह
- संगठन महामंत्री जी तुम्हें मेरा भय भी न रहा
- अमित शाह ने सत्ता में आगामी 30 साल तक काबिज रहने का दिया मंत्र
देहरादून : उत्तराखंड दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दो टूक अंदाज में कहा कि चापलूस और चालाक नेताओं से पार्टी को सतर्क रहने की जरुरत है। उन्होंने कहा दूसरे दलों के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को पार्टी में जोड़े जाने के भी संकेत दिए। उन्होंने कहा कि उनके लिए पार्टी के दरवाजे खुले हैं, लेकिन उन्हें हम एडजस्ट नहीं डाइजेस्ट करने में विश्वास रखते हैं जो केवल एडजस्ट होने यहाँ आना चाहते हैं उन्हें दूर ही रखा जाय तो ठीक है।
मंगलवार को होटल मधुबन में शाह ने ताबड़तोड़ बैठकें निपटाई। बैठकों में उन्होंने पार्टी के विस्तारक, पालक, मोर्चा व प्रकोष्ठों व जिला संगठन के अध्यक्षों व प्रभारियों से लेकर प्रदेश पदाधिकारियों व वरिष्ठ नेताओं को दो टूक नसीहत दी कि अब राजनीति में सिर्फ भावना से काम नहीं चलेगा।आगामी तीस साल के लिए पार्टी को अजेय बनाना है। यह पीएम नरेंद्र मोदी के अगुवाई में संभव है। हमें इसके लिए काम करना होगा।
- आगामी तीस साल के लिए पार्टी को देश में अजेय बनाना लक्ष्य
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि आजादी के बाद पंचायत से लेकर संसद तक की शासन व्यवस्था में 25 से 30 साल कांग्रेस को काम करने के लिए मिले थे। उन्होंने कहा अब भाजपा को इसी तरह मेहनत कर आगामी तीस साल के लिए पार्टी को देश में अजेय बनाना है,और सत्ता में काबिज रखना होगा यह तभी हो पायेगा जब भाजपा की विचारधारा गाँव-गांव और घर-घर तक पहुंचेगी।उन्होंने कहा यह तभी संभव है जब कार्यकर्ताओं को थोड़ी और मेहनत करनी होगी।
मंगलवार को आयोजित लगभग सभी बैठकों में शाह ने कहा कि पंडित दीनदयाल जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान पार्टी का एक ही संकल्प है। पूरे देश में कोई राज्य और बूथ न छूटे, जहां तक बीजेपी की पकड़ न होऔर गांव-गांव से लेकर हमारी विचारधारा को घर-घर तक पहुंचाना अब कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है।
- अब लक्ष्य आधारित राजनीति का समय
उन्होंने कहा कि अब लक्ष्य आधारित राजनीति का समय चल रहा है। उन्होंने कहा कि भावनात्मक राजनीति से हम अपने साथ लोगों को कुछ समय तक के लिए जोड़ तो सकते हैं, लेकिन लम्बे समय तक के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि संगठनात्मक मजबूती के लिए जरूरी है कि 90 दिन के भीतर वे सारे मोर्चा और प्रकोष्ठ गठित हो जाएं, जो यहाँ अभी तक नहीं बन पाए हैं। इसी तरह, 120 दिनों में जिला प्रभारियों को आज से ही हर मंडल में बैठक करनी होगी। उन्होंने जिला प्रभारियों को निर्देश दिए कि वे दिन में कम से कम एक बार जिलाध्यक्ष से फोन पर संगठन से जुड़े मसलों पर बात जरूर करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा यदि कैडर बेस पार्टी है तो बूथ स्तर तक कार्यकर्ता को राष्ट्रीय व प्रांतीय संगठन से लेकर जिला, ब्लाक व बूथ इकाइयों तक पार्टी के कार्यक्रमों की जानकारी होनी चाहिए।
- अभी 5 लाख में से 10 लाख सदस्यों का सत्यापन
शाह ने कहा कि प्रदेश में अभी 5 लाख में से 10 लाख सदस्यों का सत्यापन हो पाया है। शेष पांच लाख सदस्यों का सत्यापन होना है। लाखों लोग मिस कॉल देकर सदस्य बने हैं। इन्हें उन्होंने पार्टी का शुभचिंतक करार दिया। शाह बोले, हमें इन शुभचिंतकों को कार्यकर्ता बनाना है। उत्तराखंड में लचर हो चुके संगठन को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष नाराज भी नज़र आये ।इन दो दिनों के प्रदेश दौरे की शुरूआत में मंगलवार को अमित शाह राज्य में सरकार और संगठन की मजबूती के उपाय तलाशते नज़र आये ।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मंगलवार को पार्टी संगठन के विभिन्न पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से भेंट करने के अलावा, सामाजिक जीवन के अन्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। इस दौरान, वह बीजेपी संगठन की मजबूती के लिए फीडबैक लेते और गाइड लाइन देते हुए भी नज़र आये । उन्होंने अपनी सबसे पहली बैठक में पदाधिकारियों की शिकायतें और सुझावों को भी सुना।
- संगठन महामंत्री जी तुम्हें मेरा भय भी न नहीं
शाह ने सबसे आखिर में मोर्चा व प्रकोष्ठ पदाधिकारियों की बैठक निपटाई। बैठक के दौरान उन्होंने युवा मोर्चा की कार्यसमिति की एक भी बैठक न होने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने संगठन महामंत्री संजय कुमार की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘तुम्हें मेरा भय भी न रहा।’शाह ने मोर्चा की बैठक हर हाल में करने और नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने के निर्देश दिए।
- मैं सुनने आया हूं,सुनाने नहीं
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बैठकों में पदाधिकारियों को खुलकर बोलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि वे किसी का नाम लिए बगैर बेधड़क बात कहें। कुछ नेताओं ने जब उनके संबोधन में गुणगान करने की कोशिश की तो उन्होंने दो टूक कहा कि सीधे मुद्दे पर आएं और अपनी बात कहें। जहां मुद्दे दोहराए गए, वहां उन्होंने टोक दिया।
- नोट होती रही बैठकों की एक-एक बात
शाह की बैठक में एक खासियत यह भी रही कि उनकी टीम के दो सदस्य हर बात को नोट करते रहे। बैठक के दौरान ही शाह ने कहा कि संगठन और सरकार के लिए जो बातें, सुझाव महत्वपूर्ण होंगे, उन पर अमल होगा। वह व्यक्तिगत रूप से इनका जवाब भी देंगे।
- शाह की बात पर जब हंस पड़े नेता तो उन्हें आया गुस्सा
एक बैठक के दौरान पदाधिकारियों को यह कहकर डांट पिलाई कि वे किसी पर हंसे नहीं । वे यहां किसी का उपहास उड़ाने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि किसी को भी डरने या हिचकने की आवश्यकता नहीं है। जिसे जो कहना है कि वह कह डाले। जब उन्होंने यह नसीहत पिलाई तो सभागार में ठहाका गूंज गया। शाह को यह नागवार गुजरा। तुरंत उन्होंने प्रतिक्रिया दी कि वह किसी का उपहास उड़ाने नहीं आए जो लोग हंस रहे हैं।
इतना ही नहीं पूरी बैठकों के दौरान अनुशासन की कमान उन्होंने खुद अपने हाथों में थाम रखी थी। उनके आदेश पर केवल उन्हीं लोगों को बैठक में आने की इजाजत दी गई जिनसे संबंधित बैठक थी। कतिपय पदाधिकारियों ने बैठक में घुसने का प्रयास किया तो उन्हें बेहद सख्ती के साथ मना कर दिया गया।[mom_video type=”youtube” id=”daH6SKOjQAQ” width=”600″ height=”400″]