पूर्वी बांगर: जनता के किया विकास नहीं तो वोट नहीं का निर्णय
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जनपद निर्माण से लेकर आज तक मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है क्षेत्र
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ग्रामीणों को मोबाइल की जानकारी तक नहीं, 108 सेवा का भी नहीं मिल रहा लाभ
रुद्रप्रयाग । जनपद निर्माण से लेकर उत्तराखण्ड राज्य की उत्पत्ति होने के बाद भी पहाड़ी क्षेत्र की एक ऐसी पट्टी, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, दूर संचार व पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से ग्रामीण कोसों दूर हैं। इस पट्टी में सुविधाओं के नाम पर कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है। ऐसे में यहां की जनता ने आगामी विधानसभा चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया है।
नये वर्ष 2017 के फरवरी माह में संभवतः विधानसभा चुनाव हो जायेंगे और इसके लिए भाजपा, कांग्रेस, उक्रांद व निर्दलीय उम्मीदवार जनता के बीच जाकर वोट मांगने के साथ ही अपनी पार्टी का भी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, मगर रुद्रप्रयाग जनपद के पूर्वी बांगर पट्टी की जनता इस बार के चुनाव बहिष्कार को लेकर अड़िग है। जनपद निर्माण के बीस वर्ष और उत्तराखण्ड गठन के 17 वर्षों बाद पूर्वी बांगर पट्टी की जनता की एक भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। पहले दस सालों तक विधायक रहते हुए पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी ने जनता के साथ छलावा किया और फिर बाद में डाॅ हरक सिंह रावत ने सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए इस्तेमाल किया।
यहां की जनता आज नेताओं से खार खाने लगी। पट्टी की सबसे बड़ी समस्या मोटरमार्ग की है। मोटरमार्ग की जीर्ण-शीर्ण हालत किसी से छिपी नहीं है। जगह-जगह पड़े गड्ढे और गदेरों में बहता पानी हादसों को न्यौता दे रहा है, जबकि क्षेत्र में उच्च शिक्षा के नाम पर राइंका घंघासू में शिक्षकों का टोटा बना हुआ है। इसके साथ ही स्वास्थ्य के नाम पर कोई भी सुविधा ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। यहां तक की जब कोई मरीज गंभीर हो जाता है तो 108 आपातकालीन सेवा का लाभ भी ग्रामीणों को नहीं मिल पाता। ऐसे में ग्रामीण जनता अपनी किस्मत को कोसती रहती है। पूर्वी बांगर पट्टी के अन्तर्गत डांगी, खौड़, बक्सीर, भुनालगांव, मथ्यागांव व उच्छोला सहित छः ग्राम पंचायते आती हैं। इन ग्राम पंचायतों से करीब दस हजार की जनता जुड़ी हुई है। गांव को जोड़ने वाले छेनागाड़-बक्सीर मोटरमार्ग का आठ साल बाद भी डामरीकरण नहीं हो पाया है, साथ ही दो जगहों पर पुलिया का निर्माण न होने से बरसात के दिनों में वाहनों का आवागमन बंद रहता है। जिससे ग्रामीणों को मीलों का सफर पैदल ही तय करना पड़ता है।
इसके अलावा क्षेत्र की एक ओर बड़ी समस्या है। जहां संचार क्रांति के युग हरेक व्यक्ति हाईटेक जिंदगी जी रहा है, वहीं पूर्वी बांगर पट्टी की जनता दूर संचार व्यवस्था से कोसों दूर है। ग्रामीण जनता को मोबाइल तक की जानकारी भी नहीं है। पढ़े-लिखे युवा दूर संचार की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने को तैयार है। ठेठ ग्रामीण इलाका होने से आर्थिक रूप से सक्षम लोगों ने अपने बच्चों को बाहर पढ़ने को भेजा है, जबकि जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं उनके पाल्य गांव में ही अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। क्षेत्र की स्थिति इतनी दयनीय बनी हुई है कि बुजुर्ग से लेकर युवा पीढ़ी तक आज चुनाव बहिष्कार की बात करने लगा है।
ग्रामीण बलबीर लाल, बलवीर राणा, भोपाल सिंह, चन्द्रप्रकाश सेमवाल, नरेन्द्र पंवार, सतेन्द्र सिंह, विजय बैरवाण ने कहा कि पूर्वी बांगर की जनता आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेगी। हर बार जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है। वोट मांगते समय समस्याओं के निस्तारण की बात की जाती है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद समस्याओं का निस्तारण तो दूर कोई भी जनप्रतिनिधि जनता के बीच नहीं आता है। ऐसे में जनता अब ऐसे नेताओं से परेशान हो चुकी है। जब क्षेत्र का विकास होना ही नहीं है तो वोट देकर भी क्या फायदा है। यदि कोई अधिकारी या नेता जनता के बीच आकर वोट देने की बात करेगा तो जनता उसे भी सबक सिखाएगी।
डाॅ आनंद सिंह बोहरा जिलाध्यक्ष, भाजपा का कहना है कि पूर्वी बांगर क्षेत्र विकास से कोसों दूर है। क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा के बुरे हाल हैं। 108 सेवा भी गांवों में नहीं पहुंच रही है। दूर संचार की कोई सुविधा नहीं है। ऐसा लगता है यह क्षेत्र आज भी बीसवीं सदी में जीवन यापन कर रहा है। ग्रामीणों को मोबाइल तक की जानकारी नहीं है। सक्षम लोग अपने बच्चों को शहरों में भेज रहे हैं और आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीणों की कोई सुनने वाला ही नहीं है। अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का क्षेत्र के प्रति नकारात्मक रवैये से ग्रामीण परेशान हैं।
वहीं जिलाधिकारी डाॅ राघव लंगर का कहना है कि जिले का दूरस्थ क्षेत्र घंघासू-बांगर है। क्षेत्र में फैली समस्याओं के निस्तारण के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। सड़क का कार्य लोनिवि द्वारा गतिमान है। इसके साथ ही जिला स्तर के कार्य भी क्षेत्र में किये जा रहे हैं। यदि पूर्वी बांगर की जनता चुनाव बहिष्कार की बात कर रही तो क्षेत्र में जाकर उन्हें जागरूक किया जायेगा और चुनाव बहिष्कार न करने की सलाह दी जायेगी।