NGT का नरेन्द्रनगर के पास पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर नोटिस
चर्चाओं में एक पूर्व विधायक का नाम
अब तक एक हज़ार से ज्यादा कट चुके हैं पेड़ !
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में नरेंद्रनगर के पट्टी धमन्सु इलाके में मौजूद निजी वन क्षेत्र में 1000 से अधिक पेड़ काटे जाने और जेसीबी जैसी भारी मशीनों का इस्तेमाल करते हुए अन्य निर्माण गतिविधियों के मामले पर नोटिस जारी किया है। नोटिस में ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और निजी वन क्षेत्र के मालिक और अन्य प्राधिकरणों से जवाब मांगा है।मामले में एक पूर्व विधायक आजकल खासी चर्चाओं में है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे प्रकरण में एक पूर्व विधायक का नाम ख़ासा चर्चाओं में जिसने पहले तो विधायक निधि से राजस्व व वन भूमि में इस जमीन तक जाने के लिए सड़क निर्माण कराया ताकि पेड़ों को काटने के बाद और आसानी से उनको खुर्द-बुर्द किया जा सके और जमीन खरीदने वाले भू-माफियाओं को उसका लाभ मिल सके. कि NGT ने जिनको नोटिस जारी किये हैं किये हैं उसमें से एक कंपनी के साथ पूर्व विधायक की साझेदारी भी बतायी गयी है।
ट्रिब्यूनल में दायर याचिका में याची चंद्रप्रकाश बुडाकोटी ने आरोप लगाया है कि हिमालय के उपजाऊ इलाके में करीब 16 हजार हेक्टेयर में फैले निजी वन क्षेत्र में आदेश का उल्लंघन कर पेड़ काटा जा रहा है। इससे न सिर्फ हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरणीय संतुलन को नुकसान पहुंचेगा बल्कि पर्यावरण कानूनों का भी यह खुला उल्लंघन है। जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने याची की याचिका पर संबंधित प्राधिकरणों से जनवरी तक जवाब मांगा गया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पट्टी धमंसु स्थित खाता संख्या 2 में खसरा नंबर 512 और 514 मौजूद हैं। जिनका क्षेत्रफल क्रमश: 7156 और 9718 हेक्टेयर है। वहीं राजस्व रिकॉर्ड में हिमालयी उपजाऊ क्षेत्र में आने वाली यह जमीनें निजी वन क्षेत्र के तौर पर दर्ज हैं। याचिका में कहा गया है कि पेड़ काटे जाने व अन्य गतिविधियों में महानंद शर्मा और इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, वेस्टिन ग्रुप ऑफ होटल्स, परियोजना प्रबंधक धर्मपाल, वीकेजे प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। इस इलाके में पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन कर न सिर्फ इनके जरिए जेसीबी व अन्य मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है बल्कि निर्माण गतिविधि के जरिए हिमालय की पारिस्थितिकी को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
याची का आरोप है कि इस खसरा संख्या के इर्द-गिर्द की जमीनें भी हरित क्षेत्र जिसमें राजस्व व वन भूमि हैं। वहीं ठेकेदारों के जरिए इलाके में अब तक एक हजार से अधिक पेड़ काटे गए हैं। वहीं केंद्रीय प्रावधानों के मुताबिक इस इलाके में पेड़ काटने या अन्य गतिविधियों के लिए परियोजना प्रस्तावकों के पास किसी तरह की मंजूरी नहीं है।
याची ने एनजीटी से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से इन इलाकों में पेड़ काटने की गतिविधि पर रोक लगनी चाहिए। साथ ही इस काम में संलिप्त सभी लोगों पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए। फिलहाल एनजीटी ने इस मामले में केंद्र व राज्य प्राधिकरणों समेत निजी वन क्षेत्र के मालिकों को नोटिस देकर जवाब दाखिल करने को कहा है।