HARIDWAR

हरिद्वार में नवनिर्मित बायोडाइजेस्टर शौचालय एवं शुद्ध पेयजल फिल्टर का लोकार्पण

बीएचईएल, जीवा और फिक्की के संयुक्त तत्वाधान में लगा पंतद्वीप पार्किंग में बायो बायोडाइजेस्टर शौचालय 

बायो डाइजेस्टर शौचालय पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वरदान : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

हरिद्वार। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि खुले में शौच हमारी संस्कृति पर एक कंलक है। बायो डाइजेस्टर गंध रहित और पर्यावरण के लिये सुरक्षित शौचालय है। हरिद्वार, हर की पौड़ी क्षेत्र विश्व विख्यात है यहां पर विश्व के अनेक देशों से गंगा जी के दर्शन के लिये, भारत के अध्यात्म को आत्मसात करने और ध्यान के लिये श्रद्धालु आते है उस स्थान को स्वच्छ और सुन्दर रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। माँ गंगा को स्वच्छ रखना हम सभी का प्रथम कर्तव्य है। स्वामी जी ने कहा कि बायो डाइजेस्टर शौचालय पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वरदान साबित हुआ है।

सम्बोधन से पूर्व बीएचईएल, जीवा (गंगा एक्शन परिवार) और फिक्की के संयुक्त तत्वाधान में पंतद्वीप, पार्किंग, हरिद्वार में नवनिर्मित बायोडाइजेस्टर शौचालय एवं शुद्ध पेयजल फिल्टर का उद्घाटन परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, अनिल कपूर, निदेशक (मानव संसाधन) बीएचईएल, नई दिल्ली, दीपेन्द्र कुमार चौधरी, जिलाधिकारी, हरिद्वार, संजय गुलाटी, कार्यपालक निदेशक, बीएचईएल, हरिद्वार, निरंकार सक्सेना जी, डिप्टी सेक्रेटरी जनरल, फिक्की, नई दिल्ली, संजय सिन्हा , महाप्रबंधक (मानव संसाधन) हीप बीएचईएल, हरिद्वार ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

गौरतलब हो कि बायो डाइजेस्टर शौचालय प्रमुख रूप से सीवेज की समस्या का पर्यावरण के अनुकूल और स्थायी समाधान प्रदान करता है। इस प्रकार के शौचालय लगाने की शुरूआत तीन प्रमुख संस्थाओं की संयुक्त साझेदारी से हुई। इन शौचालयों का निर्माण हरित और स्वच्छ भारत के निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। पंतद्वीप, हरिद्वार पार्किंग पर बायो डाइजेस्टर के निर्माण से वहां आने वाले पर्यटकों, तीर्थयात्रियों के लिये यह बहुत अच्छी सुविधा है, साथ ही तीर्थ क्षेत्र में सीवेज प्रबंधन का भी उपयुक्त साधन है; इससे हम गंगा जी की स्वच्छता और पवित्रता को भी बनायें रख सकते है। बायो डाइजेस्टर से न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी बल्कि गंगा के किनारे पर खुले में शौच से भी मुक्ति मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि बायोडाइजेस्टर का आविष्कार डीआरडीओ ने किया था। इस शौचालय में एनेरोबिक बैक्टीरिया होते है जो मानव मल को पानी और गैसों में बदल देते है। इसमें फ्लश टाॅयलेट्स और पारम्परिक शौचालयों की तुलना में बहुत कम पानी की जरूरत पड़ती है तथा फ्लश शौचालय के माध्यम से आज भी बिना ट्रीटमेंट के नदियों और नालों के माध्यम से 90 से 95 प्रतिशत मल समुद्र में पहुंच जाता है जबकि बायो डाइजेस्टर शौचालय पूर्ण रूप से पर्यावरण के अनुकूल है। भारत को खुले में शौच से मुक्त रखने के लिये बायो डाइजेस्टर का महत्वपूर्ण स्थान है।

पंतद्वीप में आज बायो डायजेस्टर का लोकार्पण स्वच्छ, हरित और सुन्दर कुम्भ की दिशा में पहला कदम है। यह आगाज है कि वर्ष 2021 का कुम्भ मेला वास्तव में अद्भुत, स्वच्छ और दिव्य होगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने विशेष रूप से बीएचईएल को इस पावन कार्य के लिये धन्यवाद दिया तथा पूर्व चेयरमैन श्री बीपी राव जी, श्री विजय कुमार सारस्वती जी जो वर्तमान में नीति आयोग सम्मानीय सदस्य के रूप में कार्यरत है को भी इस अवसर पर याद किया।

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