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वन मंत्री और अपर मुख्य सचिव में जांच को लेकर ठनी

  • वाह रे उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी …..
  • जांच के निशाने पर आये अधिकारी को ही सौंप दी जांच 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून।  उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी कितनी बेलगाम और  गैरकानूनी कार्यों को करने पर आमादा हो चुकी है इसका इस मामले से अच्छा और कोई उदाहरण नहीं हो सकता। वन विभाग का कार्य देख रहे अपर मुख्य सचिव ने एक आदेश के तहत एक ऐसे वन अधिकारी को जांच सौंप दी जो खुद ही मामले में जांच के निशाने पर है। इतना ही नहीं मामले में यह बात भी सामने आयी है कि जब जांच अधिकारी मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन ने शासन से राजाजी टाइगर रिज़र्व के निदेशक सनातन सोनकर और कोमल सिंह के खिलाफ बीती अगस्त में  सीआरपीसी की धारा 197 के तहत मुकदमा चलाने की स्वीकृति मांगी तो अपर मुख्यसचिव ने किन्हीं कारणों से यह स्वीकृति आज तक नहीं दी और जांच अधिकारी ही बदल डाला !

मिली जानकारी के अनुसार 22 मार्च को वन विभाग के  अधिकारियों ने मोतीचूर सपेरा बस्ती में  एक बोरे में गुलदार की खाल और हड्डियां बरामद की थी। मामले में जांच के बाद विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पायी गयी थी। मामले में वन विभाग ने रायवाला के एक मीट कारोबारी अमित कुमार को गिरफ्तार किया था जबकि शेष पांच  लोगों को मामले में नामजद किया था।  इसके बाद इन पांचों आरोपियों ने न्यायालयमें आत्मसमर्पण करते हुए अपने को निर्दोष बताया था। 

इस चर्चित मामले की जांच मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन ने की और मामले में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की इस घटना में संलिप्तता पायी थी।  इतना ही नहीं जांच अधिकारी ने पाया कि जिस बक्से में गुलदार की खाल और हड्डियां सील की गयी थी वनविभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मीलीभगत  से जहाँ उस बक्से पर लगी सील तोड़ दी गयी थी और ताला तक बदल दिया गया था।  जांच अधिकारी श्री मनोज चंद्रन ने मामले को बहुत ही गंभीर मानते हुए इसकी भी जांच किये जाने की जरुरत बताते हुए अधिकारियों को अवगत कराया था।

वन विभाग के आरोपी अधिकारियों और सचिवालय में प्रदेश की जनता और स्वच्छ प्रशासन देने का जिम्मा लिए अधिकारियों की कारस्तानी तो देखिये जिस अधिकारी को जांच रिपोर्ट में संदिग्ध पाया गया और जिसकी भूमिका पर जांच अधिकारी ने ही सवाल उठाये थे बीते दिन उसी अधिकारी को सूबे के अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह ने मामले की जांच सौंप डाली।  जैसे ही अपर मुख्य सचिव ने जांच के आदेश किये पूरे प्रदेश में हंगामा मच गया और लोगों ने सूबे के वन मंत्री से मामले की शिकायत करते हुए अपर मुख्य सचिव के जांच बदलने के आदेश पर सवाल खड़े कर दिए ।

सूबे के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के संज्ञान में मामला आने के बाद बीते दिन ही उन्होंने अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह के आदेशों को पलटने के वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दे डाले।  इसके बाद मुख्य वन्य जंतु प्रतिपालक मोनिश मालिक ने अपर मुख्य सचिव द्वारा नामित जांच अधिकारी राजाजी टाइगर रिज़र्व के निदेशक सनातन सोनकर से जांच हटाने के आदेश पारित कर दिए हैं। 

मामले में प्रदेश के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि जिस अधिकारी की भूमिका को जांच अधिकारी ने संदिग्ध पाया हो उसे कैसे उसी मामले की जांच सौंपी जा सकती है। इतना ही नहीं वन मंत्री ने कहा कोई भी अधिकारी बिना सरकार को पूछे कैसे जांच अधिकारी बदल सकता है और गुलदार प्रकरण में जांच अधिकारी बिना सरकार से अनुमति लिए बदला गया है जो गैर कानूनी तो है ही साथ ही न्याय के साथ खिलवाड़ भी है।  उन्होंने कहा जांच अधिकारी बदलने का अधिकार केवल सरकार को ही है।  

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