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कोविड-19ः एनबीटी ने मनोवैज्ञानिक-सामाजिक प्रभाव के आकलन को जारी की ऑनलाइन प्रश्‍नावली

नई दिल्ली। कोविड-19 और उसके बाद लॉकडाउन संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) मनोवैज्ञानिक-सामाजिक प्रभाव पर सात पुस्तिकाएं तैयार कर रहा है। कोरोना स्टडीज सीरीज के अंतर्गत इन पुस्तकों में कोरोना संक्रमण की महामारी के मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक प्रभाव को लेकर लोगों की धारणा का आकलन किया जा सकेगा।

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एनबीटी मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत पुस्तक प्रकाशन और पुस्तकों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय निकाय है।एनबीटी स्टडी ग्रुप (जाने-माने मनोवैज्ञानिकों और सलाहकारों के एक समूह) ने कोविड-19 के मनोवैज्ञानिक-सामाजिक प्रभाव और लॉकडाउन तथा इससे कैसे मुकाबला किया जाए, के आकलन के लिए सात खंडों की हिन्‍दी और अंग्रेजी में प्रश्नावली का एक सेट जारी किया है।

सात खंडों में शामिल हैं: 1. माता-पिता, माता और महिला; 2. बच्चे, किशोर और युवा; 3. कर्मचारी, पेशेवर, स्व-नियोजित और श्रमिक; 4. नि:शक्‍तजन; 5. कोविड-19 से प्रभावित परिवार; 6. चिकित्सा और आवश्यक सेवा प्रदाता; 7. बुजुर्ग (60 वर्ष और अधिक)। प्रश्नावली के सार्वजनिक प्रसार का उद्देश्य समुदाय की भागीदारी और लॉकडाउन की अवधि में भावनाओं को साझा करने के लिए अनुकूल वातावरण बनाना है।

पाठकों और आम जनता को ऑनलाइन प्रश्नावली में भाग लेने और सभी के लिए अध्ययन को उपयोगी बनाने के लिए अपनी भावनाओं और अनुभवों को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कोरोना प्रभावित परिवारों को भाग लेने और अपनी प्रतिक्रिया भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। प्रश्नावली तक इस लिंक-

https://nbtindia.gov.in/home__92__on-line-questionnaire-for-nbt-study.nbt के जरिये पहुंचा जा सकता है।

एनबीटी स्टडी ग्रुप में डॉ. जितेन्‍द्र नागपाल, डॉ. हर्षिता, स्‍क्‍वाड्रन लीडर (सेवानिवृत्‍त) मीना अरोड़ा, लेफ्टिनेंट कर्नल तरुण उप्‍पल, रेखा चौहान, सोनी सिद्धू और अपराजिता दीक्षित शामिल हैं। इनके द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है, “यह अध्ययन समूह कोविड-19 वैश्विक महामारी संकट के कठिन समय में सौपे गए चुनौतीपूर्ण कार्य के प्रति अत्‍यन्‍त जागरूक है। समूह स्थितियों से निपटने के लिए कार्यप्रणाली और व्यावहारिक सुझाव तैयार करेगा, जिससे विभिन्न खंडों जैसे अनुसंधान, वास्‍तविक साक्षात्कार और मामले के अध्ययन को आसानी से आत्‍मसात किया जा सकेगा। इससे लॉकडाउन से निपटने और भावनात्मक शक्ति और प्रोत्‍साहन बनाए रखने में समग्र सशक्तिकरण और जागरूकता में मदद मिलेगी। “

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