बाघों मौतों के शिकार पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण नाराज

- कार्बेट नेशनल पार्क में बीते वर्ष सबसे ज्यादा 36 बाघों का हुआ शिकार
देहरादून : राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने देश में बाघों के शिकार पर चिंता जताते हुए देश के वन्य जीव अधिकारियों को साफ़ -साफ़ कहा कि वे देश के बचे हुए बाघों के हो रहे शिकार के प्रति सतर्कता बढ़ाएं। साथ ही एनटीसीए ने कहा देश में भले ही देश में बाघों की तादाद बढ़ रही हो, लेकिन इसके साथ उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता भी अब बहुत जरुरी हो गयी है। बाघ सुरक्षा पर चल रहे मंथन में सामने आया कि कार्बेट नेशनल पार्क में वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा 36 बाघों का शिकार किया गया, जो बेहद चिंताजनक है। बाघों की सुरक्षा पर आयोजित इस कार्यक्रम में 13 प्रदेशों के वन्य जीव अधिकायों ने भाग लिया।
मंथन के आखिरी दिन एनटीसीए के सदस्य सचिव देवव्रत सिंवाई ने टाइगर रिजर्व के निदेशकों से कहा कि मौतों पर आपसी संघर्ष या बीमारी की वजह सामने आने पर उसकी वैज्ञानिक पुष्टि कराने के बाद रिपोर्ट एनटीसीए को भेजनी होगी। उन्होंने जानकारी दी कि बाघ संरक्षण कार्यों की मॉनिटेयरिंग के लिए एनटीसीए ने एक एम स्ट्राइप्स एप्लीकेशन एप तैयार कराया है।
एनटीसीए के अधिकारी ने कहा कि देशभर में हर हाल में मानीटियरिंग का कार्य एक फरवरी से ऑनलाइन कर दिया जायेगा । इस एप की मदद से बाघों की गणना, वनकर्मियों की गश्त और पार्क के भीतर किए जा रहे संरक्षण कार्य का ब्योरा एनटीसीए को सीधे उपलब्ध हो सकेगा।
वहीँ एनटीसीए के सदस्य सचिव ने टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत को लेकर लंबित चल रहे मामलों को भी बैठक में उठाया और कहा कि राज्यों को लंबित मामलों का ब्योरा जल्द एनटीसीए को उपलब्ध कराना होगा। कार्यक्रम में उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक डीबीएस खाती और एनटीसीए के आइजी डीपी बनख्वाल मौजूद रहे ।